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पुलिसवालों को गांधी सेतु पर जाम हटाने के लिए तैनात किया जाता तो जनता को लाभ होता : जीतन राम मांझी

भाषा पटना : बिहार सरकार द्वारा पटना के एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को वहां मौजूद आम और लीची का आनंद लेने से कथित रूप से रोकने के आरोप पर नीतीश कुमार और मांझी के बीच जुबानी जंग शुरू हो गयी है. मांझी फरवरी महीने में मुख्यमंत्री पद […]

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पटना : बिहार सरकार द्वारा पटना के एक अणे मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को वहां मौजूद आम और लीची का आनंद लेने से कथित रूप से रोकने के आरोप पर नीतीश कुमार और मांझी के बीच जुबानी जंग शुरू हो गयी है. मांझी फरवरी महीने में मुख्यमंत्री पद से हटाने के बावजूद मुख्यमंत्री आवास में रह रहे हैं, जबकि नीतीश फिलहाल 7 सकुर्लर रोड स्थित एक सरकारी आवास में रह रहे हैं. एक अणे मार्ग स्थित फलदार वृक्षों, जिसमें आम और लीची आदि शामिल हैं, से फल तोडने से मांझी और उनके परिवार को रोकने के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, यह आश्चर्य की बात है कि एक व्यक्ति एक बंगले में रहता है, लेकिन वहां लगे वृक्षों के फलों का आनंद नहीं ले सकता.
नीतीश ने मांझी के आरोप पर हंसते हुए आज पत्रकारों से बातचीत के दौरान उसे तुच्छ बताया और कहा कि इस मामले की उन्हें जानकारी नहीं थी और जब आज अखबारों के जरिए उससे अवगत हुए तो प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पी के ठाकुर से पूछा है कि मामला क्या है और ऐसा क्यों हो रहा है? उन्होंने कहा कि अगर उनकी जानकारी में इसे पहले लाया जाता तो वे एक अणे मार्ग में पेडों पर लगे सभी आम और लीची तुडवाकर वहां रहने वाले (मांझी) को दे देते. ठाकुर ने बताया कि मुख्यमंत्री जैसी हस्तियों की सुरक्षा के लिए एसएसजी की तैनाती की जाती है और वर्तमान विवाद को लेकर एसएसजी के समादेष्टा से रिपोर्ट तलब की गयी है.
जीतन राम मांझी ने यह भी आरोप लगाया कि हाल में एक माली ने उनके परिवार के सदस्यों को आम तोडने से मना किया.
उन्होंने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद वर्ष 2005 में एक अणे मार्ग में अपनी पत्नी राबडी देवी के सत्ता से बेदखल हो जाने पर करीब छह महीने रहे थे. लेकिन उस दौरान मुख्यमंत्री पद पर आसीन नीतीश ने लालू के खिलाफ ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया था. मांझी ने कहा कि एक दलित होने के नाते वह ज्यादा शक्तिशाली नहीं हैं, शायद इसी वजह से उन्हें इस स्तर तक नीतीश द्वारा अपमानित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर नीतीश प्रशासन ने इन 24 पुलिसकर्मियों को उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार की लाईफलाईन माने जाने वाले गंगा नदी पर बने महात्मा गांधी सेतु पर लगने वाले जाम को हटाने के लिए इस्तेमाल करते पर तो जनता को कुछ लाभ भी होता, लेकिन उनकी प्राथमिकता उन्हें और उनके परिवार को परेशान करना है.

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