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स्कूलों ने मानसिक यातना दी, तो होगी कार्रवाई

पटना: मेंटल ह्रासमेंट से जुड़ा मामला कोई रजनी गुप्ता या अनिकेत का नहीं, बल्कि अधिकांश स्टूडेंट्स का यही हाल है. छात्रों को छोटी-छोटी बातों पर भी मेंटल टॉर्चर से स्कूल से गुजरना पड़ता है. किसी भी बात का विरोध करने पर स्कूल के टीचर और स्कूल प्रशासन उस स्टूडेंट्स के पीछे पड़ जाते हैं. वे […]

पटना: मेंटल ह्रासमेंट से जुड़ा मामला कोई रजनी गुप्ता या अनिकेत का नहीं, बल्कि अधिकांश स्टूडेंट्स का यही हाल है. छात्रों को छोटी-छोटी बातों पर भी मेंटल टॉर्चर से स्कूल से गुजरना पड़ता है. किसी भी बात का विरोध करने पर स्कूल के टीचर और स्कूल प्रशासन उस स्टूडेंट्स के पीछे पड़ जाते हैं.

वे स्टूडेंट्स के एकेडमिक कैरियर को भी खत्म करने से बाज नहीं आते हैं. स्कूलों में स्टूडेंट्स के ऊपर मेंटल ह्रासमेंट को लेकर तैयार की गयी सीबीएसइ की रिपोर्ट के अनुसार देश भर के स्कूलों में स्टूडेंट्स के साथ मेंटल ह्रासमेंट किया जाता है. इसकी वजह से कई बार स्टूडेंट्स सुसाइड करने की कोशिश करते हैं या कर भी लेते हैं. इस रिपोर्ट को सीबीएसइ ने देश भर के स्कूलों में किये गये सर्वे करने के बाद जारी किया है.

हर पांच बच्चों में एक हो रहा शिकार
सीबीएसइ के अनुसार वर्तमान में मेंटल ह्रासमेंट से हर पांच में से एक छात्र शिकार हो रहा है. इसका बहुत ही बुरा असर पड़ रहा है. सीबीएसइ और आइसीएसइ बोर्ड ने तमाम स्कूलों को आगाह किया है कि अगर किसी भी स्कूल में स्टूडेंट्स के साथ मेंटल ह्रासमेंट किया जायेगा तो उस स्कूल प्रशासन और वहां के टीचर पर आइपीसी (इंडियन पैनल कोड) की धारा के तहत मुकदमा चलेगा. इसमें स्कूल प्रशासन और वे टीचर भी फंसेंगे, जो इस तरह के काम को अंजाम देते हैं.
फिजिकल ह्रासमेंट कम होने पर बढ़ा मामला
आइसीएसइ द्वारा किये गये सर्वे के अनुसार 2009 में शिक्षा के अधिकार कानून के खत्म हो जाने के बाद फिजिकल ह्रासमेंट को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. बच्चों को मारने और पीटने की घटनाएं बंद कर दी गयीं. इसके बाद स्कूलों की ओर से बच्चों को मेंटल ह्रासमेंट देना शुरू किया गया. रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक दूसरे स्टूडेंट्स के सामने बेइज्जती करने का मेंटल ह्रासमेंट स्टूडेंट्स को दिया जाता है. इसका बहुत ही बुरा असर बच्चों के कैरियर पर पड़ता हैं. बच्चे स्कूल जाना बंद कर देते है. उन्हें बेइज्जती महसूस होती है. शिक्षा के अधिकार कानून के अनुसार किसी भी स्टूडेंट् को फिजिकल के साथ मेंटल ह्रासमेंट भी नहीं दिया जा सकता है.
इन धाराओं के तहत की जायेगी कार्रवाई
सेक्शन 305 – अगर स्टूडेंट मेंटल ह्रासमेंट से तंग आकर सुसाइड की कोशिश करता है.
सेक्शन 323 – अगर किसी स्टूडेंट को जानबूझ कर बेइज्जती या चोट पहुंचायी जाती है.
सेक्शन 325 – अगर किसी स्टूडेंट को टीचर सरेआम बेइज्जती करते हैं और वह इससे काफी हर्ट होता है.
सेक्शन 326 – टीचर द्वारा जानबूझ कर स्टूडेंट को हर्ट किया जाता है.
सेक्शन 352 – टीचर द्वारा स्टूडेंट्स को मेंटल टॉर्चर करते हुए किसी गलत काम के लिए प्रोवोक किया जाता है.
सेक्शन 354 – छात्रओं के साथ रैंगिंग या मजाक उड़ाया जाता है.
सेक्शन 506 – टीचर द्वारा स्टूडेंट को आपराधिक धमकी दी जाती है.
केस : वन
डीएवी की छात्र रजनी गुप्ता (बदला हुआ नाम) बीमार होने के कारण एक सप्ताह तक स्कूल नहीं गयी. जब स्कूल जाना शुरू किया, तो टीचर उसे इग्नोर करने लगे. रजनी गुप्ता को पढ़ाई और कई दूसरी चीजों से मेंटल ह्रासमेंट भी किया जाने लगा. अंत में परेशान होकर रजनी गुप्ता से अपने गाजिर्यन से यह शिकायत की. मामला बाल अधिकार संरक्षण आयोग तक भी पहुंचा. इसके बाद रजनी गुप्ता ने लिखित शिकायत सीबीएसइ से भी की.
केस : टू
सेंट माइकल का 11वीं का स्टूडेंट अनिकेत ने शादी में भाग लेने के लिए चार दिनों की छुट्टी ली. बाद में बीमार पड़ने पर कुछ दिनों तक घर पर ही रहना पड़ा. मेडिकल सर्टिफिकेट देने पर भी अनिकेत को स्कूल वाले प्रताड़ित करते रहे. उसे किसी-न-किसी वजह से वहां के टीचर मेंटल ह्रासमेंट करते रहे. अंत में 12वीं बोर्ड की परीक्षा देने पर जब अनिकेत को रोक लगा दी गयी, तो फिर वह बाल अधिकार संरक्षण आयोग और हाइकोर्ट पहुंचा.
सीबीएसइ व आइसीएसइ का यह कदम काफी सराहनीय है. सही में स्कूलों में मेंटल ह्रासमेंट काफी बढ़ गया है. इससे छात्रों की पढ़ाई बाधित होती है. कभी-कभी इसके चक्कर में स्टूडेंट्स एकेडमिक कैरियर भी खत्म कर लेते हैं. वे दुबारा स्कूल नहीं जाना चाहते हैं. स्कूलों पर कार्रवाई होने से ऐसे घटनाएं कम होंगी. – सीबी सिंह, सचिव, सीबीएसइ पाटलिपुत्र सहोदया

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