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शहर को नाले से निकालेगा जलपार्षद

कंकड़बाग इलाके में नाला बनाने को लेकर एनबीसीसी ने खड़े किये हाथ पटना : एनबीसीसी ने कंकड़बाग क्षेत्र में नाला निर्माण सहित शेष बचे कार्यो से अपने हाथ खड़े कर लिये हैं. नगर विकास एवं आवास विभाग ने वर्षो से लंबित कार्यो को अपने हाथ में लेते हुए विभाग ने बिहार राज्य जल पर्षद से […]

कंकड़बाग इलाके में नाला बनाने को लेकर एनबीसीसी ने खड़े किये हाथ
पटना : एनबीसीसी ने कंकड़बाग क्षेत्र में नाला निर्माण सहित शेष बचे कार्यो से अपने हाथ खड़े कर लिये हैं. नगर विकास एवं आवास विभाग ने वर्षो से लंबित कार्यो को अपने हाथ में लेते हुए विभाग ने बिहार राज्य जल पर्षद से शेष बचे कार्यो का निर्माण कराने की सैद्धांतिक सहमति बना ली है.
एनबीसीसी द्वारा कु ल 49 करोड़ की योजना में करीब 41 करोड़ की योजना पर काम करा लिया है. कंपनी के कार्यपालक निदेशक ने कंकड़बाग क्षेत्र में शेष बचे कार्यो से यह कहते हुए अपना हाथ खड़ा कर लिया है कि शेष कार्यो के लिए निर्धारित राशि सरकार काट ले. एजेंसी द्वारा कार्य नहीं कराया जा सकता.
केंद्रीय एजेंसी के हाथ खड़े किये जाने के बाद अब राज्य सरकार काम करायेगी.
नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा ने बरसात के पूर्व पटना में जल जमाव की स्थिति की समीक्षा की. समीक्षा में अब कंकड़बाग क्षेत्र के शेष कार्यो का निर्माण बरसात के पहले कराने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा राजधानी में जल जमाव को दूर करने के लिए सैदपुर नाले की सफाई का आधा काम पूरा हो चुका है.
पिछले साथ राजधानी में जल जमाव की मुख्य वजह बना शनिचरा स्थान के पास पुल का धसाव होना. अब पथ निर्माण विभाग ने शनिचरा स्थान के पास धंसे पुल के निर्माण का निर्णय पथ निर्माण विभाग ने ले लिया है. इसक टेंडर भी जारी कर दिया गया. नगर विकास विभाग ने एनएच के साथ न्यू बाइपास के किनारे अधूरे पड़े नाले के निर्माण पर सहमति बना ली है.
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 40 करोड़ की लागत से मीठापुर बसस्टैंड से नंदलाल छपरा के पास तक बाइपास के साथ साथ नाले के निर्माण की मंजूरी दे दी है. अब इन कार्यो के हो जाने के बाद पटना में जल जमाव की समस्या से निजात मिलने की उम्मीद बढ़ गयी है.
पटना : कभी एशिया के सबसे बड़ा कॉलोनी कंकड़बाग वर्षो तक मॉनसून के दौरान बारिश की पानी से डूबता था. इस जलजमाव को लेकर आंदोलन करने वाले लोग विधायक और मंत्री बन गये, लेकिन आज भी कंकड़बाग की समस्या जस की तस बनी हुई है.
हालांकि, कंकड़बाग की जलजमाव की समस्या को लेकर कंकड़बाग ड्रेनेज योजना बनायी गयी और करीब 49 करोड़ खर्च करने का प्रावधान किया गया. इस योजना को पूरा करने के लिए नगर-आवास विकास विभाग ने निजी एजेंसी एनबीसीसी को चयनित किया, जिसने काम शुरू किया.
एनबीसीसी के काम शुरू होते ही मानक मेटेरियल उपयोग करने पर विवाद हुआ, इसके बाद भी एनबीसीसी ने ड्रेनेज योजना का काम शुरू रखा. चयनित एजेंसी ने जैसे-तैसे 41 करोड़ रुपये का कार्य किया, लेकिन आधा-अधूरा कार्य को छोड़ वर्ष 2010 में चला गया. इस कार्य को निरीक्षण किसी स्तर से नहीं किया गया और समस्या वही के वहीं खड़ा रखा.

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