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जीतनराम मांझी का बयान उनके ही मंत्री को नहीं आ रही रास

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि जदयू और सरकार के बीच शीत युद्ध जारी है. पूरी पार्टी, नौकरशाह, विधायक और मंत्री दो गुट में बंटे हैं. नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी के बीच जारी खींच-तान में बिहार का विकास अधर में है. उन्होंने कहा कि बागी विधायकों के मामले पर हाइकोर्ट के फैसले […]

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि जदयू और सरकार के बीच शीत युद्ध जारी है. पूरी पार्टी, नौकरशाह, विधायक और मंत्री दो गुट में बंटे हैं. नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी के बीच जारी खींच-तान में बिहार का विकास अधर में है. उन्होंने कहा कि बागी विधायकों के मामले पर हाइकोर्ट के फैसले पर मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का बयान उनके ही मंत्री श्रवण कुमार को रास नहीं आ रहा है. उन्होंने सीएम को नसीहत तक दे डाली. अपने ही मुख्यमंत्री पर अपमानजनक टिप्पणी के बावजूद मंत्रिपरिषद में उनका बने रहना सीएम के लिए एक बड़ी चुनौती है.

एक ओर नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री बनने को बेचैन हैं,वहीं दूसरी ओर जीतन राम मांझी अपनी कुरसी बचाने के लिए जोड़-तोड़ में लगे हैं. जीतन राम मांझी को हटाने के अभियान में लगे ललन सिंह का सीएम ने पर कतर दिया है, वहीं नीतीश कुमार के चहेते और वफादार आइएएस अफसरों को भी छह महीने के अंदर चुन-चुन कर तबादला किया है. दो गुट में बंटे जदयू के कई विधायक राजद के साथ महाविलय के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने को तैयार नहीं हैं. जदयू में मचे घमासान का असर सरकार और उसके कार्यो पर भी गंभीर रूप से पड़ रहा है.

मुख्यमंत्री खुद कह रहे हैं कि उनके अफसर और मंत्री उनकी बात नहीं सुन रहे हैं. उनका यह बयान सरकार और पार्टी के बीच जारी द्वंद्व को व्यक्त करने के लिए काफी है. पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कुछ खास लोग सीएम मांझी को हटाने के अभियान में लगे हैं. उनका मकसद मांझी को मजबूर कर कुरसी से हटाना है ताकि नीतीश कुमार की ताजपोशी हो सके. दूसरी ओर मांझी की कोशिश जदयू के एक बड़े गुट को अपने पक्ष में कर कुरसी बचाने की है. इन सबका खामियाजा बिहार को भुगतना पड़ रहा है.
केंद्र नहीं, सूबे की सत्ता गलत हाथों में : नंद किशोर
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बयान कि देश की सत्ता गलत हाथ में चली गयी है, पर गुरुवार को विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष नंद किशोर यादव ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि केंद्र की नहीं, बिहार की सत्ता गलत हाथ में चली गयी है. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व सीएम नीतीश कुमार अपनी कथनी-करनी से जनादेश का अपमान कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि मांझी जी का बयान उन करोड़ों मतदाताओं का अपमान है,जिनके वोट से केंद्र में मजबूत सरकार बनी है. केंद्र सरकार ने जन-धन योजना के तहत लाखों गरीबों को बैंक सेवाओं से जोड़ा. बीपीएल परिवारों के लिए मात्र 800 रुपये में रसोई गैस कनेक्शन देने की योजना शुरू की और गया में आइएमए खोलने के लिए मंजूरी दी. उन्होंने जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार से पूछा है कि क्या यह फैसला गलत हाथों का है? बिहार में जिस तरह से विकास ठप है,किसान-मजदूर परेशान हैं और अपराधी दु:साहसी हो गये हैं. उससे साफ हो गया है कि सूबे की सत्ता दूसरे हाथों में चली गयी है. आठ महीने बाद जनता इसे सही हाथ में सौंपने का मन बना चुकी है. उन्होंने कहा कि एक तरफ नरेंद्र मोदी सरकार अपने कल्याणकारी फैसलों से देश-विदेश में लोकप्रिय हो रही है,तो दूसरी ओर बिहार की जदयू सरकार विकास विरोधी हो गयी है. सूबे में भ्रष्टाचार चरम पर है. व्यापारियों से रंगदारी की मांग करोड़ों तक पहुंच गयी है. खुद मुख्यमंत्री निवेशकों से लेवी वसूलने की नक्सली कार्रवाई का समर्थन कर भय का वातावरण बना रहे हैं. उन्होंने नीतीश कुमार से पूछा है कि क्या वह अपने मुख्यमंत्री की लेवी को जायज ठहराने वाली बात से सहमत हैं?

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