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पीएम अगर संसद में बोलेंगे, तो उनकी गरिमा ही बढ़ेगी : नीतीश

पटना: जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद में जारी गतिरोध के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा बने विवादित मुद्दों के बारे में अगर सदन में दो शब्द बोलेंगे, तो उससे उनकी गरिमा ही बढ़ेगी. बिहार विधान परिषद के बाहर शुक्रवार […]

पटना: जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद में जारी गतिरोध के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री धर्मनिरपेक्षता के लिए खतरा बने विवादित मुद्दों के बारे में अगर सदन में दो शब्द बोलेंगे, तो उससे उनकी गरिमा ही बढ़ेगी.

बिहार विधान परिषद के बाहर शुक्रवार को पत्रकारों द्वारा संसद में जारी गतिरोध के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जिस तरह की बातें हो रही हैं, उससे देश के सामाजिक ताने-बाने को खतरा है. एक ओर राष्ट्रपिता के हत्यारे गोडसे को महिमा मंडित किया जा रहा है, तो दूसरी ओर प्रलोभन देकर धर्मातरण की कोशिश हो रही है.

उन्होंने कहा कि देश की सत्ता में बैठे लोग अपने को राष्ट्र भक्त कहते हैं. कोई राष्ट्रपिता के हत्यारे को आदर्श मान रहा है, तो कोई उनकी मूर्ति लगवाने की बात कर रहा है. क्या इस देश में यही चलेगा? संसद में लगातार हंगामा हो रहा है. इस पर सरकार इनिसियेटिव ले. प्रधानमंत्री की तरफ से स्पष्ट बात होनी चाहिए. प्रधानमंत्री अगर दो शब्द कहेंगे,तो उनकी गरिमा बढ़ेगी, घटेगी नहीं.

धर्मातरण के मुद्दे पर नीतीश कुमार ने कहा कि जनता को बरगलाने की कोशिश और समाज को तोड़ने की साजिश हो रही है. भाजपा ने जिस आधार पर वोट लिया था, हर तबके को जो हसीन सपने दिखाये गये थे, उससे मुकर रही है. इससे अब लोगों का मोहभंग हो रहा है, इसलिए वे समाज को बांटने के लिए मुद्दा बना रहे हैं. सोची-समझी रणनीति के तहत यह काम हो रहा है. किसी धर्म में जाना किसी की व्यक्तिगत आस्था हो सकती है और वह जिस धर्म को मानना चाहे, मान सकता है. धर्म को मानने के लिए किसी को प्रलोभन दिया जा रहा है, पैसा भी खर्च हो रहा है. मुख्य मुद्दे से किनारा करने के लिए और समाज को लड़वाने के लिए भ्रम फैलाया जा रहा है.

नीतीश कुमार ने कहा कि भाजपा नेताओं ने कहा था कि विदेश से काला धन लायेंगे. गरीबों को 15-20 लाख राशि देंगे. किसानों को लागत मूल्य में 50 फीसदी समर्थन मूल्य देंगे. केंद्र किसानों को बोनस देने के बजाय राज्य सरकार को ही मना कर रही है. युवाओं को रोजगार देने की बात हुई, लेकिन नये रोजगार देना तो दूर इस पर पाबंदी लगा दी गयी. इन्हीं मुद्दों को लेकर 22 दिसंबर को छह दलों का महा धरना दिल्ली में होने जा रहा है.

बिहार के प्रति नहीं दिखी प्राथमिकता : नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के सात महीने बीत चुके हैं. लोकसभा चुनाव के समय बिहार के लोगों से कितने वादे किये गये थे. विशेष राज्य का दर्जा छोड़िए, विशेष सहायता-विशेष पैकेज देने की बात कही थी. बिहार को प्राथमिकता देने की बात हुई थी, लेकिन सात महीने में अब तक प्राथमिकता नहीं दिखी. इतना हुआ कि बिहार के बजट आकार में कटौती की गयी.

आतंकवाद के खिलाफ सभी हो एकजुट : नीतीश कुमार ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ सब लोग एकजुट हो जाये. भारत ने भी पाकिस्तान की घटना पर संवेदना प्रकट की है. आतंकवाद धर्म और जात नहीं देखता.आतंकवाद मानवता के खिलाफ है. पेशावर के मारे गये स्कूली बच्चों का क्या कसूर था? उन्हें आतंकियों ने क्यों मारा? आज के समय में लोग व देशों को मिल कर आतंकवाद के खिलाफ वातावरण बनाये जाने की आवश्यकता है और इस पर कार्रवाई होनी चाहिए.

जदयू-राजद के विलय की बात : पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि पुराना जनता दल परिवार के विलय की बात चल रही है. दो बैठकें हो चुकी हैं. तीसरी बैठक में बात और आगे बढ़ेगी. सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है.इसी कड़ी में 22 दिसंबर को छह पार्टियों की केंद्र सरकार की नीति व वादाखिलाफी के विरोध में महाधरना होने जा रहा है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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