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पटना : खुलेंगे नौ केंद्र, एड्स पीड़ितों का होगा इलाज

साकिब, पटना : राज्य में एचआइवी-एड्स से पीड़ित व्यक्तियों के लिए राहत की खबर है. अब जल्द ही नौ नये एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी ट्रीटमेंट ) केंद्र खोले जायेंगे. नाको, नयी दिल्ली से इन्हें खोलने की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है. फिलहाल राज्य के 18 जिलों में 20 एआरटी केंद्र हैं. वहीं, नये केंद्र खुलने […]

साकिब, पटना : राज्य में एचआइवी-एड्स से पीड़ित व्यक्तियों के लिए राहत की खबर है. अब जल्द ही नौ नये एआरटी (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी ट्रीटमेंट ) केंद्र खोले जायेंगे. नाको, नयी दिल्ली से इन्हें खोलने की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है. फिलहाल राज्य के 18 जिलों में 20 एआरटी केंद्र हैं. वहीं, नये केंद्र खुलने के बाद इनकी संख्या 29 हो जायेगी. नये एअारटी केंद्र सीवान, भभुआ, सुपौल, पूर्णिया, जमुई, मुंगेर, नालंदा, कैमूर व सासाराम में खोले जायेंगे.

प्राप्त जानकारी के मुताबिक इन्हें इस वित्तीय वर्ष के अंत तक शुरू कर देना है. इन केंद्रों के शुरू होने से इन जिलों के एचआइवी- एड्स पीड़ितों का आसानी से इलाज हो पायेगा. वहीं, इनके पड़ोसी जिलों के एआरटी केंद्रों से भी मरीजों का दबाव कम होगा. अभी राज्य के सात सरकारी मेडिकल कॉलेजों, एक प्राइवेट मेडिकल कॉलेज, एक निजी अस्पताल और 11 सदर अस्पताल में कुल 20 एआरटी केंद्र काम कर रहे हैं.
यहां मिलती है नि:शुल्क दवा : एचआइवी संक्रमित व्यक्तियों को एआरटी केंद्र में आजीवन एआरवी दवा नि:शुल्क दी जाती है. यहां एआरवी दवा शुरू होने के पूर्व देखभाल और आवश्यकतानुसार एचआइवी संक्रमित व्यक्तियों का उपचार किया जाता है. इन केंद्रों पर आनेवाले एचआइवी संक्रमित व्यक्तियों की वायरल लोड जांच और टीबी की जांच भी की जाती है.
इन केंद्रों के माध्यम से उन्हें सरकार की ओर से चलायी जा रही कई कल्याणकारी योजनाओं और जागरूकता कार्यक्रमों से भी जोड़ा जाता है. संक्रमित माताओं के छह सप्ताह के बच्चों में एचआइवी का पता चलने के बाद उसे पूर्ण देखभाल और उपचार के लिए एआरटी केंद्र भेजा जाता है.
ये नौ एआरटी केंद्र राज्य के नौ जिलों में खोले जायेंगे. इसके लिए नाको, नयी दिल्ली से स्वीकृति प्राप्त हो चुकी है. इसे वित्तीय वर्ष 2019 – 2020 के अंत तक शुरू कर देना है. बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति इन नये केंद्रों को खोलने के लिए काफी तेजी से काम कर रही है. अब इन जिलों के एचआइवी – एड्स मरीजों को अपने जिले में ही समुचित चिकित्सा मिल सकेगी. वहीं दूसरे जिलों के एआरटी केंद्रों से मरीजों का दबाव कम होगा.
मनोज कुमार सिन्हा, संयुक्त निदेशक, बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना

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