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खुशखबरी : प्रदेश में 10 लाख टन तक बढ़ेगा चावल का उत्पादन

पटना : िसतंबर में हुई अच्छी बारिश के कारण राज्य में इस बार चावल का उत्पादन 10 लाख टन तक अधिक होने की संभावना है. खरीफ फसलों के उत्पादन का पहला आंकड़ा जारी किया जा चुका है. कहीं कम और कभी अधिक बारिश के बावजूद इस बार बीते वर्ष से अधिक पैदावार का अनुमान लगाया […]

पटना : िसतंबर में हुई अच्छी बारिश के कारण राज्य में इस बार चावल का उत्पादन 10 लाख टन तक अधिक होने की संभावना है. खरीफ फसलों के उत्पादन का पहला आंकड़ा जारी किया जा चुका है. कहीं कम और कभी अधिक बारिश के बावजूद इस बार बीते वर्ष से अधिक पैदावार का अनुमान लगाया है.
कृषि विभाग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष 65,50,877 टन चावल की उपज संभावित है, जबकि पिछले िवतीय वर्ष में चावल उत्पादन का आंकड़ा 60,31,016 टन था. दिसंबर के अंत में दूसरा, जनवरी में तीसरा और मार्च तक चौथाऔर फाइनल आंकड़ा जारी किया जायेगा. विभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पिछले साल से इस बार 10 लाख टन अधिक चावल की उपज अधिक होगी, क्योंकि पहले ही आकड़े में 5,19,861 टन की अधिक उपज दर्ज हुई है.
सितंबर की बारिश ने बढ़ायी पैदावार : विभाग के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सितंबर महीने में बारिश ने पूरे राज्य में खरीफ खासकर धान का उत्पादन बेहतर हुआ है. नवादा को छोड़कर पूरे दक्षिणी बिहार खासकर कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद, भोजपुर, बक्सर और चंपारण से लेकर अन्य जिलों में धान की उपज काफी हुई है. इसके अलावा बीते वर्ष की तुलना में डीजल अनुदान के लिए भी अधिक लोगों ने आवेदन किये थे. कुल 11,64,938 को डीजल अनुदान की राशि जारी की गयी है. इसके अलावा आपदा अनुदान के तहत कई प्रखंडों के किसानों को तीन-तीन हजार रुपये भी दिये गये हैं. इस कारण खरीफ की फसल बेहतर हुई है.
17.60 लाख किसानों को मिलेगा कृषि इनपुट अनुदान
इस बार 17 लाख 60 हजार 71 किसानों को कृषि इनपुट अनुदान किया जायेगा. 30 नवंबर की अंतिम तारीख तक इतने किसानों ने आवेदन किये है.
अनुदान के तहत परती भूमि वाले किसानों को 6800 रुपये प्रति हेक्टेयर, बाढ़ व अधिक बारिश से असिंचित फसल क्षेत्र में नुकसान के लिए 6800 रुपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित क्षेत्र के लिए 13500 रुपये प्रति हेक्टेयर, शाश्वत (पेरेनियल) फसलों के लिए 18000 रुपये प्रति हेक्टेयर दर तय की गयी है. वहीं, कृषि योग्य भूमि, जहां बालू या सिल्ट का जमाव तीन इंच से अधिक हो गया है, उन जगहों के लिए 12200 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जायेगा. यह अनुदान प्रति किसान अधिकतम दो हेक्टेयर क्षेत्र के लिए देय होगा. फसल क्षेत्र के लिए न्यूनतम 1000 रुपये और शाश्वत(पेरेनियल) फसल क्षेत्र के लिए न्यूनतम 2000 रुपये अनुदान दिया जाना है.
पटना : फरवरी तक रात में भी महसूस होगी गर्मी, घट सकता है गेहूं व आलू का उत्पादन
पटना : भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आधिकारिक बुलेटिन में कहा है कि दिसंबर 2019 से फरवरी 2020 तक बिहार सहित अधिकतर राज्यों के औसत न्यूनतम तापमान में लगभग एक डिग्री सेल्सियस का इजाफा होगा. प्रदेश के सामान्य तापमान में भी आधा डिग्री सेल्सियस में बढ़ोतरी के संकेत दिये हैं. इन वजहों से तीनों महीने की सर्दी में गर्मी कुछ बढ़ी हुई महसूस हो सकती है. खासतौर पर रात के समय कुछ गर्माहट महसूस होगी. शीतलहर में कुछ कमी आयेगी. आइएमडी पटना के मौसम विज्ञानी आनंद शंकर ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पश्चिमी विक्षोभ विकसित होने में कुछ दिक्कत आ रही है. मालूम है कि इस विक्षोभ के जरिये सर्दियों में भारत के मैदानी क्षेत्रों में शीतलहर और हिमालय के क्षेत्र में बर्फबारी होती है.
इधर डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ अब्दुल सत्तार ने बताया कि अगर बिहार में आगामी तीन माह तक न्यूनतम तापमान में एक डिग्री का इजाफा हुआ तो सबसे ज्यादा असर गेहूं के उत्पादन पर पड़ेगा.
गेहूं की पैदावार में 5 से 10% घट सकती है. गेहूं के दाने का आकार व चमक कम हो जायेगी. गेहूं की परिपक्वता अवधि भी कम हो जायेगी. डाॅ सत्तार ने बताया कि आलू में कंद यानी पौधे में लगने वाले आलूओं की संख्या कम हो सकती है. उसका साइज भी छोटा हो सकता है.
सरसों में लाही लगने की आशंका हो सकती है. दरअसल, तापमान में एक डिग्री इजाफे से खेत में नमी का अभाव पैदा हो जाता है. तेज धूप के चलते नमी की कमी आती है. इस वजह से दाने के सिकुड़ने या छोटे होने की आशंका बन जाती है. उल्लेखनीय है कि गेहूं की आदर्श खेती के लिए न्यूनतम तापमान आठ डिग्री और अधिकतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए. सर्दियों में कुछ हद तक गर्मी के महसूस होने से मानव स्वास्थ्य पर भी हल्का असर पड़ना तय है.

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