27.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

अयोध्या फैसला : आडवाणी की गिरफ्तारी से भाजपा को हुआ लाभ, जानें… ऐसे बढ़ा पार्टी का राजनीतिक कद

समस्तीपुर : अयोध्या भूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से कुछ पक्षों को निराशा हाथ लगी तो कुछ को राहत मिली, लेकिन इस फैसले से भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी निश्चित रूप से खुश होंगे. उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राममंदिर का रास्ता साफ करने वाला फैसला ठीक उनके 92वें जन्मदिन के […]

समस्तीपुर : अयोध्या भूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले से कुछ पक्षों को निराशा हाथ लगी तो कुछ को राहत मिली, लेकिन इस फैसले से भाजपा के वयोवृद्ध नेता लाल कृष्ण आडवाणी निश्चित रूप से खुश होंगे. उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में राममंदिर का रास्ता साफ करने वाला फैसला ठीक उनके 92वें जन्मदिन के एक दिन बाद दिया है. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए लाल कृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक की रथ यात्रा निकाली थी. 23 अक्टूबर 1990 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा बिहार के समस्तीपुर में रोक दी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

इस घटना ने आने वाले वर्षों में देश की राजनीति का रुख ही मोड़ कर रख दिया और भाजपा को इसका सबसे अधिक लाभ हुआ. समस्तीपुर में जब आडवाणी की गिरफ्तारी की गयी तब वह भाजपा अध्यक्ष थे और नाटकीय रूप से इसका असर पार्टी की राजनीति पर पड़ा. वयोवृद्ध पत्रकार एसडी नारायण जो उस समय ‘पीटीआई-भाषा’ पटना ब्यूरो के प्रमुख थे, बताते हैं, ‘‘ वह तड़के का समय था जब फोन की घंटी बजी. मैं हतप्रभ था कि दूसरी ओर मुख्यमंत्री थे. उन्होंने कहा कितना सोते हैं, जबकि मैं जानता था कि प्रसाद खुद देर से उठते हैं, मैंने पूछा कि इतनी जल्दी उठने का कारण क्या है.’

नारायण ने बताया, ‘‘उन्होंने जवाब दिया बाबा (आडवाणी) को पकड़ लिया है. देश और कई राज्यों की सरकारें राम रथ यात्रा की आंच महसूस कर रहीं थी और इसे रोकने के लिए कुछ करना था. अंतत: बिहार के मुख्यमंत्री ने इसे रोकने का फैसला किया.’ समस्तीपुर के रहने वाले एक पत्रकार उस समय हिंदी अखबार में नये-नये संवाददाता थे. उन्होंने याद करते हुए कहा कि उस समय माहौल तनावपूर्ण था. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कहा गया कि हाजीपुर से समस्तीपुर तक रथ यात्रा के साथ जाऊं. आडवाणी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया, लेकिन आश्चर्यजनक रूप उस समय आसमान में हेलीकॉप्टर मंडरा रहे थे. हमारे मन में था कि कुछ बड़ा होने वाला है.’

आडवाणी की गिरफ्तारी की खबर पत्रकारों को समस्तीपुर के जिलाधिकारी आरके सिंह की ओर से दी गयी. नारायण ने बताया कि आडवाणी की गिरफ्तारी से पहले सभी टेलीफोन बंद कर दियेगये और सूचना के लिए केवल सरकारी ब्रीफिंग ही जरिया था क्योंकि उस समय मोबाइल फोन या इंटरनेट की सुविधा नहीं थी और फैक्स मशीन विरले ही होती थीं. आरके सिंह बाद में केंद्रीय गृह सचिव बने और अब केंद्रीय मंत्री हैं. आडवाणी को कुछ दिन बाद रिहा करने से पहले विमान से मौजूदा झारखंड के दुमका स्थित अतिथि गृह ले जाया गया.

नारायण ने कहा, इस गिरफ्तारी के साथ ही आडवाणी की रथ यात्रा जरूर अचानक से समाप्त हो गयी, लेकिन इससे बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और विभिन्न शहरों में सांप्रदायिक दंगे शुरू हो गये, खासतौर उत्तर भारत में. आडवाणी की गिरफ्तारी से ने केवल भाजपा को फायदा हुआ और पार्टी का राजनीतिक कद कई गुना बढ़ गया लेकिन इससे लालू को भी लाभ हुआ और उन्होंने खुद को भगवा विरोधी खेमे के नेता के रूप में स्थापित किया. मुस्लिम नेताओं की कमी की वजह से लालू पिछड़े वर्ग के ही नहीं अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ने वाले नेता के रूप में उभरे. समस्तीपुर अध्याय के दोनों नायक अब सुर्खियों से दूर हैं. आडवाणी भाजपा के मार्गदर्शक मंडल में शामिल हैं, जबकि लालू झारखंड की जेल में समय बिता रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें