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पटना : किसानों के लिए मशीनों की खरीद पर खर्च होंगे 163.51 करोड़ रुपये
पटना : राज्य में कृषि उत्पादन बढ़ाने व मैनपॉवर को कम करने के लिए कृषि विभाग किसानों को कई तरह के मशीन खरीद पर अनुदान दे रहा है. इस बार कृषि यंत्र खरीद अनुदान के लिए 163.513 करोड़ रुपये कर स्वीकृति दी गयी है. किसानों को कुल 75 तरह के मशीनों की खरीद के लिए […]
पटना : राज्य में कृषि उत्पादन बढ़ाने व मैनपॉवर को कम करने के लिए कृषि विभाग किसानों को कई तरह के मशीन खरीद पर अनुदान दे रहा है. इस बार कृषि यंत्र खरीद अनुदान के लिए 163.513 करोड़ रुपये कर स्वीकृति दी गयी है. किसानों को कुल 75 तरह के मशीनों की खरीद के लिए 40 से 80 फीसदी तक अनुदान दिया जायेगा. गुरुवार को कृषि मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसानों को कृषि यंत्रों के खरीद करने पर अनुसूचित जाति, जनजाति के किसानों के समान ही अनुदान दिया जायेगा. इस योजना के तहत खेतों की जुताई, बुआई, निकाई, गुराई, सिंचाई, पौधा संरक्षण, फसल की कटनी, दौनी इत्यादि के कार्यों में उपयोग होने वाले कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जायेगा. अनुदान के लिए किसान कृषि विभाग की साइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
मिलेगा प्रशिक्षण : किसान अपनी भूमि के आकार और फसल के अनुसार उपयुक्त कृषि यंत्रों की खरीद कर सकते हैं. फार्म मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थानों, कृषि विज्ञान केंद्रों एवं राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा कृषि मशीनरी के उचित उपयोग एवं सामयिक रख-रखाव तथा मरम्मत संबंधी प्रशिक्षण दिये जायेंगे.
कृषि मेले का होगा आयोजन
मंत्री ने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में सभी जिलों में कृषि यांत्रिकीकरण मेला आयोजित किया जायेगा. स्वीकृति पत्र के आधार पर मेला अथवा मेला के बाहर भी ऑनलाइन पंजीकृत विक्रेता से तय यंत्र खरीद करने पर कृषकों के लिए अनुदान देने का प्रावधान किया गया है.
परफॉर्मेन्स इंडिकेटर के रूप में चार कृषि यंत्रों स्ट्रॉ रीपर, पैडी ट्रांसप्लांटर, पावर टीलर एवं जीरोटिल, सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिलों में उपलब्ध कुल वित्तीय लक्ष्य का कम-से-कम 10 प्रतिशत राशि व्यय करने का लक्ष्य निर्धारित गया है.
उन्होंने कहा कि फसल अवशेष जलाने की समस्या के निदान पाने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन में उपयोगी यंत्र हैप्पी सीडर, स्ट्रॉ बेलर, रोटरी मल्चर एवं रीपर-कम-बाइडर पर जिलों में उपलब्ध कुल वित्तीय लक्ष्य का कम-से-कम 15 प्रतिशत राशि व्यय किया जायेगा.
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