अनिकेत त्रिवेदी
पटना : बिल्डर व रियल इस्टेट कंपनियों की धोखाधड़ी, फ्लैट व अन्य निर्माण ग्राहकों को देने में देरी आम शिकायत है. मगर, सूबे और खासकर पटना व आसपास क्षेत्र में लगभग 75% ऐसे निर्माण हैं, जिनका काम रुका हुआ. कही 10 तो कहीं 25% तक काम कर बिल्डरों ने बंद कर दिया है. खास बात है कि एक तो लोगों को समय पर घर नहीं मिल रहा, दूसरी तरफ आम आदमी का पैसा भी फंसा हुआ है. जानकारी के अनुसार लगभग 600 प्रोजेक्टों में सिर्फ सौ का काम चलने व पूरा होने की जानकारी है, जबकि पांच सौ से अधिक प्रोजेक्ट ऐसे ही रुकी हुई हैं.
रेरा के अधिकारियों के अनुसार आम लोगों की 200 करोड़ से अधिक राशि फंसा हुई है. इन्हीं बातों को लेकर रेरा बड़ी प्रोजेक्टों की फॉरेंसिंक ऑडिट करने की तैयारी कर रहा है. एक-एक प्रोजेक्ट के पीछे एक-एक सीए फाॅर्म को लगाकर पूरा रिकॉर्ड खंगालने की तैयारी चल रही है.
प्रोजेक्ट के पैसे से बिल्डर खरीद रहे व्यक्तिगत जमीन : रेरा में आयी शिकायतों के आधार पर कई ऐसे मामले है, जिनमें बिल्डरों ने एक प्रोजेक्ट का पैसा दूसरे प्रोजेक्ट में लगा दिया. कई मामले तो ऐसे हैं, जिनमें बिल्डर ने किसी खास प्रोजेक्ट पर आम आदमी के पैसे से अपने नाम पर जमीन तक खरीद ली है और प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर रहे हैं. उन्हीं बातों को ध्यान में रखकर रेरा की ओर से लगभग 10 सीए कंपनियों को अपने पैनल में सूचीबद्ध
करने के लिए आवेदन निकाला जा रहा है. रेरा इन सीए कंपनियों से धोखाधड़ी करने वाली कम-से-कम 20-30 प्रोजेक्टों की पूरी जांच करायेगी. आखिर उस प्रोजेक्ट को क्यों नहीं पूरा किया जा रहा और बिल्डर ने उसका पैसा कहां लगा दिया है, इसकी पूरी जांच होगी. रेरा फरवरी तक सीएम कंपनियों को रख लेगा.
800 का हुआ निबंधन, 720 शिकायतें
रेरा में मई, 2018 से लेकर अब तक 720 शिकायतें दर्ज की गयी हैं. इनमें लगभग 130 शिकायतों का निबटारा भी कर दिया गया है. इसके अलावा निबंधन नहीं कराने वाले या अन्य गड़बड़ियां करने वाले लगभग 420 रियल स्टेट प्रोजेक्टों पर रेरा ने खुद से संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया है.
रेरा ने गड़बड़ी करने वाले लगभग एक दर्जन रियल इस्टेट कंपनियों के बैंक खाते फ्रीज किये हैं. साथ ही अब तक 1200 रजिस्ट्रेशन के आवेदन आये हैं, जिनमें लगभग 800 प्रोजेक्टों का रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है. गौरतलब है कि आठ फ्लैट से अधिक व लगभग चार कट्ठे में निर्माण करने वालों को रेरा से रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता है.
रेरा की ओर से नियमित कार्रवाई होती रहती है. लेकिन, बड़ी प्रोजेक्ट, जिनका काम रुका हुआ है, ऐसे मामलों की फॉरेंसिंक ऑडिट करवाने की तैयारी की जा रही है. इसके लिए सीए कंपनियों को रेरा अपने से सूचीबद्ध करेगी.
– आरबी सिन्हा, रेरा सदस्य