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सेहत पर भारी गोरखधंधा : बिहार में 9600 करोड़ का दवाओं का सालाना कारोबार
रविशंकर उपाध्याय पटना : बिहार में दवाओं का सालाना कारोबार करीब 9600 करोड़ रुपये पहुंच गया है. हम देश में कुल दवाओं का 7.68 फीसदी हिस्सा खर्च करते हैं.हमारे राज्य में पिछले पांच सालों से दवाओं का कारोबार छह प्रतिशत की गति से आगे बढ़ रहा है. यदि यह गति बरकरार रही तो जल्दी ही […]
रविशंकर उपाध्याय
पटना : बिहार में दवाओं का सालाना कारोबार करीब 9600 करोड़ रुपये पहुंच गया है. हम देश में कुल दवाओं का 7.68 फीसदी हिस्सा खर्च करते हैं.हमारे राज्य में पिछले पांच सालों से दवाओं का कारोबार छह प्रतिशत की गति से आगे बढ़ रहा है. यदि यह गति बरकरार रही तो जल्दी ही हम दस फीसदी हिस्सेदारी को छूने की ओर कदम बढ़ा देंगे.
यह आंकड़ा इस वजह से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि देश में दवाओं का सालाना कारोबार 1.25 लाख करोड़ रुपये का है. दवाओं के 9600 करोड़ रुपये के सालाना कारोबार की यह राशि इतनी बड़ी है जो राज्य सरकार के स्वास्थ्य के 2019 के सालाना बजट 9622 करोड़ रुपये से थोड़ा ही पीछे है.
वरिष्ठ अर्थशास्त्री और एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक प्रो डीएम दिवाकर कहते हैं कि दवाओं का कारोबार वहीं फलता फूलता है, जहां सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं अत्यधिक प्रभावी नहीं होती है. सरकार ने स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए कुछ साल पहले दस कदम-स्वस्थ रहेंगे हम योजना शुरू की थी लेकिन वह गुम हो गयी. यदि पैसे को बचा लें तो राज्य में अशिक्षा, कुपोषण दूर करने में मदद मिल सकती है.
सालाना 6% की दर से बढ़ रहा आगे
बिहार केमिस्ट ड्रग एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रसन्न कुमार सिंह ने बताया कि राज्य में दवाओं का सालाना कारोबार छह प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रहा है. इस साल कारोबार 9600 करोड़ तक पहुंच गया है, लेकिन इसका फायदा दवा कंपनियों और डॉक्टरों को ही ज्यादा हो रहा है क्योंकि रिटेलर और होल सेलर के लिए तो मार्जिन की दर 10 से 20 फीसदी के बीच तय कर दी गयी है.
रिटेलरों को 16-20% तो होलसेलर को 8-10%
प्रभात खबर की पड़ताल कहती है कि मुनाफे का बड़ा हिस्सा दवा कंपनी सीधे डॉक्टरों को डील के मुताबिक दे देती हैं. यानी दवा कारोबार से किसी के घर सबसे ज्यादा समृद्धि आ रही है, तो वह डॉक्टरों का घर है.
इसके बाद रिटेलर और होलसेलर के बीच 30 फीसदी की राशि बंटती है. बिहार केमिस्ट ड्रगिस्ट एसोसिएशन के मुताबिक रिटेलर और होलसेलर नियमों से बंधे हैं. रिटेलरों को 16-20% तो होलसेलर की 8-10% हिस्सेदारी दी जाती है. लेकिन दवा कंपनी और डॉक्टरों के बीच डील को कोई नहीं मॉनिटर करता है.
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