डेंगू का शिकार बने बिहार के विभिन्न क्षेत्राें के मरीजों से शहर के अस्पतालों के वार्ड भर चुके हैं, दिन पर दिन मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. मरीजों को अस्पतालों में किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और उनका किस तरह इलाज किया जा रहा है, यह जानने के लिए प्रभात खबर की टीम बुधवार को पीएमसीएच और एनएमसीएच के डेंगू वार्ड पहुंची. वहां भर्ती मरीजों और उनके परिजनों से बातचीत की.
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अस्पतालों में फुल हैं डेंगू वार्ड, नहीं मिल रही हैं सुविधाएं, मरीजों को रात में पूछने वाला कोई नहीं
डेंगू का शिकार बने बिहार के विभिन्न क्षेत्राें के मरीजों से शहर के अस्पतालों के वार्ड भर चुके हैं, दिन पर दिन मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. मरीजों को अस्पतालों में किस तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और उनका किस तरह इलाज किया जा रहा है, यह जानने […]
एनएमसीएच
डेंगू मेल वार्ड डी में 10 डेंगू के मरीज और महिलाओं के लिए बने स्पेशल डेंगू वार्ड में 8 मरीज भर्ती दिखे. उनमें से कुछ बीमारी की वजह से बेचैन थे. ज्यादातर मरीजों के परिजनों ने एक ही बात कही कि दिन में डॉक्टर और नर्स सब रहते हैं, मगर रात में हम भगवान भरोसे ही रहते हैं. रात में अगर मरीज की तबीयत बिगड़ने लगती है, तो रात काटना मुश्किल हो जाता है.
महिला डेंगू वार्ड में मरीज और उनके परिजनों ने बताया कि बाथरूम इतना गंदा है कि जाने में डर लगता है. उन्होंने बताया कि वार्ड में दो बाथरूम हैं, जिनमें एक ही में पानी आता है. मरीज के साथ आये परिजनों ने बताया कि कुछ दवाइयां अस्पताल की तरफ से मिल रही हैं. ज्यादातर बाहर से ही लानी पड़ती हैं.
डॉक्टर को बुलाने के लिए दूर जाना पड़ता है
दिन में डॉक्टर साहब आते हैं. इलाज भी ठीक से हो रहा है. मगर रात में वार्ड में नर्स की कमी है. मैं अकेली हूं, रात में डॉक्टर को बुलाने के लिए मरीज को छोड़कर इमरजेंसी विभाग में जाना पड़ता है. दवा की शीशी या कचरा फेंकने के लिए डस्टबीन की व्यवस्था नहीं है. एक ही बाथरूम है वह भी गंदा है.
नीलम देवी, मसौढ़ी
6 दिनों से टॉयलेट में पड़े है गंदे सेनेटरी पैड
मेरी वाइफ और साली महिला डेंगू वार्ड इ में चार दिनों से भर्ती हैं. मरीज को टॉयलेट जाने में भी काफी परेशानी हो रही है. पिछले 6 दिनों से टॉयलेट में गंदे सेनेटरी पैड पड़े हैं लेकिन कोई हटाने वाला नहीं है. रात में एक ही नर्स रहती है. 10 बजे के बाद मरीजों को कोई देखने वाला नहीं होता है.
राजन कुमार, गौरीचक, पीएमसीएच
डेंगू वार्ड में 43 मरीज थे भर्ती पांच-छह बार बुलाने के बाद पहुंचते हैं डॉक्टर या नर्स
यहां इमरजेंसी वार्ड में एक बेड पर दो डेंगू के मरीज दिखे. परेशान परिजन अपने मरीज को डेंगू वार्ड में भर्ती करवाने की जद्दोजहद करते दिखायी दिये. वहां मौजूद परिजनों से पूछने पर पता चला कि पहले फ्लोर पर बना डेंगू वार्ड मरीजों से भरा है, जिसके साथ ज्यादा परिजन हैं या फिर पैसे वाले हैं, उन्हें उस वार्ड में पहले भेज दिया जा रहा है. डेंगू वार्ड में 43 मरीज भर्ती थे. मरीज के परिजनों ने बताया की नर्स या फिर डॉक्टर 5 से 6 बार बुलाने के बाद पहुंचते हैं. इस फ्लोर पर एक ही कॉमन बाथरूम है, जो काफी गंदा है.
डेंगू की कॉमन दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हैं
मेरी पत्नी 4 दिनों से यहां भर्ती है. भर्ती हुई थी, तो प्लेटलेट्स 1 लाख 10 हजार था. अभी 80 हजार है. 60% दवाइयां अस्पताल से मिल रही हैं, मगर कॉमन दवाई कालपॉल यहां नहीं दी जा रही है. बाहर से खरीदनी पड़ रही है. डॉक्टर व नर्स को 5-6 बार बुलाने पर घंटे भर बाद आती हैं.
आदित्य कुमार, महेंद्रू
स्लाइन पाइप में खून आ गया तब आयीं नर्स
पानी खत्म होने के बाद घंटों नर्स को परिजन बुलाते रहे, लेकिन कोई नहीं आया. जब स्लाइन पाइप में खून जाने लगा, तब नर्स ने ठीक किया. मेरे साथ में आयी मां और बहन को कॉमन टॉयलेट में जाने में काफी दिक्कत होती है. वार्ड अटेंडेंट की कमी से दिक्कत है. परेशानी में घंटों इंतजार करना पड़ता है.
धीरज कुमार, आरा
मरीजों के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में नहीं हैं दवाइयां
मेरी बेटी छह दिनों से वार्ड में भर्ती है. अस्पताल में कुछ दवाएं मिलती हैं, बाकी बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं. रात में स्लाइन की बोतल खत्म हो जाने पर या फिर अन्य जरूरत पड़ने पर काफी परेशानी होती है.
सोमवार से परेशान था, आज मिला है वार्ड
डेंगू डिटेक्ट होने के बाद मुझे आज वार्ड में बेड मिला है. यहां टॉयलेट काफी गंदा है. परिजन अस्पताल से दवा लेने जाते हैं, तो सुबह से शाम का चक्कर लगवाया जाता है. मजबूरी में महंगी दवा बाहर से ही खरीदनी पड़ रही है.
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