पटना : बिहार की राजधानी पटना के बाढ़ से सर्वाधिक प्रभावित इलाकों में देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आये चिकित्सकों और मेडिकल कर्मियों का एक दल मुश्किल हालातों के बीच लोगों की मदद में जुटा है. राष्ट्रव्यापी मानवीय संगठन मुंबई के डॉक्टर्स फॉर यू (डीएफवाई) ने पूरे शहर के जलमग्न होने पर राजेंद्र नगर पुल के बाहर गोलचक्कर पर 30 सितंबर को ओपीडी शिविर शुरू किया.
डीएफवाई के संस्थापक डॉ. रविकांत सिंह ने कहा, ‘‘हमारे पास ओपीडी में बड़ी संख्या में मरीज आ रहे हैं और हमें महसूस हुआ कि उनमें से कुछ को वृहद चिकित्सा सहायता चाहिए इसलिए दो दिन बाद हमने गोल चक्कर के अंदर आईपीडी सेवा शुरू की और साथ ही एक अन्य शिविर में छोटा-सा कार्यालय खोला.” पटना निवासी सिंह ने बताया कि उनका घर बाजार समिति इलाके में है. यह क्षेत्र बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है. यहां शुरुआती दिनों में लोगों को सीने तक भरे पानी से गुजरना पड़ा या बाहर निकलने के लिए नौकाओं की मदद लेनी पड़ी.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पास6 नौकाएं हैं और उनमें से दो हमारे अपने बचाव दल के साथ तैनात है ताकि बाढ़ में डूबे मकानों में फंसे लोगों तक पहुंचा जा सके. इसके अलावा हम शिविरों में पहुंच रही महिलाओं को सैनिटरी पैड दे रहे हैं तथा बाढ़ में फंसी महिलाओं को उनके घरों में पैड बांट रहे हैं.” डॉ. केशव कुमार ने बताया कि डीएफवाई के 15 दल हैं जिनमें दो डॉक्टर, असम से एक नर्स तथा केरल और बिहार के अन्य हिस्सों से बचाव एवं अन्य चिकित्साकर्मी हैं तथा कुछ स्वयंसेवक भी शामिल हैं. साथ ही एक एम्बुलेंस भी है.
कुमार और सिंह मिलकर हर दिन सैकड़ों मरीजों को देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि लोगों में सबसे आम समस्या त्वचा संक्रमण और एलर्जी है. कुमार ने कहा, ‘‘ज्यादातर मरीजों ने त्वचा संक्रमण की शिकायत की क्योंकि या तो उन्होंने पानी में काफी वक्त गुजारा या पानी में सीवर का कचरा तथा पशुओं के शवों के कारण एलर्जी हुई.” इन दो मुद्दों के अलावा लोग निर्जलीकरण तथा असामान्य रक्तचाप, दस्त की शिकायत कर रहे हैं और कुछ मामलों में लोगों को गंभीर चोटें आयी हैं जिनमें टांके लगाने की जरूरत है.
सिंह ने कहा, ‘‘चूंकि पानी का स्तर घट रहा है और कई इलाके सूख गये हैं तो पीछे बचा कचरा एक अन्य चुनौती है. कई मरीज यहां आये जिन्हें पानी में कांच या लोहे का कोई टुकड़ा चुभ गया इसलिए पैरों की चोट के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं.” बेगूसराय के रहने वाले कुमार ने आरोप लगाया कि बाढ़ ने ‘‘नगर निगम की नाकामी” को उजागर कर दिया है, लेकिन अगर पानी घटने के बाद अधिकारियों ने आवश्यक एहतियात नहीं बरती तो यह ‘‘बड़ी नाकामी” होगी. इन एहतियाती कदमों में कीटनाशकों का छिड़काव, पानी की गुणवत्ता की जांच करना तथा कचरे का तुरंत एवं उचित तरीके से निपटान करना शामिल हैं.
भारत और नेपाल में 2015 में आए विनाशकारी भूकंप में काम करने वाले सिंह ने कहा कि चिकित्सा शिविर लगाना एक चुनौती था क्योंकि रामअवतार शास्त्री गोलंबर दशकों से दयनीय स्थिति में पड़ा था. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों तथा पुलिस ने शिविर लगाने में मदद की. कुमार ने बताया कि मेडिकल दल शिविर में सुबह पहुंचता है और रात करीब 10 बजे तक रहता है. उन्होंने बताया कि जब से शिविर लगाया है तब से 2,000 मरीजों का इलाज किया जा चुका है.
डीएफवाई की स्थापना 2007 में डॉक्टरों, मेडिकल छात्रों और ‘‘सभी के लिए स्वास्थ्य” तथा आपदाओं के दौरान लोगों को चिकित्सा देखभाल उपलब्ध कराने की सोच रखने वाले लोगों ने की थी. डीएफवाई के साथ राहत कार्य में जुटी एक स्थानीय स्वयंसेवक ने कहा कि पटना को इस बाढ़ से सबक सीखना चाहिए. सरकार को दोष देना आसान है, लेकिन क्या नालों को जाम करने के लिए लोग जिम्मेदार नहीं हैं. यह एकजुटता दिखाने और आत्मनिरीक्षण का समय है.

