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बिहार में बारिश का कहर: बेटा बाहर रहता है, दाई नहीं आ रही, पटना में बुजुर्गों को हो रही है ऐसी परेशानी

आज अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर समूचे विश्व से लेकर देश व प्रदेश में उनकी बेहतरी को लेकर चर्चाएं होंगी. लेकिन, इन चर्चाओं से पटना शहर के भीषण जलजमाव में फंसे हजारों बुजुर्ग दूर रहेंगे. खास कर वैसे बुजुर्ग जिनके बच्चे उनसे दूर विदेशों में या दूसरे प्रदेशों में रह कर काम कर रहे हैं. पिछले […]

आज अंतरराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर समूचे विश्व से लेकर देश व प्रदेश में उनकी बेहतरी को लेकर चर्चाएं होंगी. लेकिन, इन चर्चाओं से पटना शहर के भीषण जलजमाव में फंसे हजारों बुजुर्ग दूर रहेंगे. खास कर वैसे बुजुर्ग जिनके बच्चे उनसे दूर विदेशों में या दूसरे प्रदेशों में रह कर काम कर रहे हैं. पिछले तीन-चार दिनों की जबरदस्त बारिश के बाद अकेले रहने वाले इन बुजुर्गों की परेशानी काफी बढ़ गयी है. बिजली गुल होने से इनका मोबाइल चार्ज नहीं हो पा रहा, जिससे उनका बाहर के लोगों से संपर्क बाधित हो गया है. कई की दवा खत्म हो गयी है. काम करने वाली घरेलू महिला के नहीं पहुंच पाने से खाना भी नहीं मिल पा रहा. किसी तरह खिचड़ी बना कर व घर में रखे बिस्कुट खाकर गुजारा कर रहे हैं. बाहर रहने वाले इन बुजुर्गों के बच्चे प्रशासन के समक्ष उनको रेस्क्यू करने की गुहार लगा रहे हैं. प्रभात खबर संवाददाता अंबर ने ऐसे बुजुर्गों व उनके परिवार के लोगों से बातचीत की…

कैंसर के मरीज हैं भाई कैसे मिलेगी दवा

कंकड़बाग रेंटल फ्लैट नंबर 211 में एक ही परिवार के चार लोग फंसे हुए हैं. इसमें 87 वर्षीय बीएन झा भी शामिल हैं. आशियाना रामनगरी में रहने वाली उनकी बेटी शीला बताती हैं कि उस घर में उनके माता-पिता और भाई-भाभी हैं. भाई कैंसर के मरीज हैं. एनडीआरएफ की टीम से बात हुई तो उन्होंने कहा कि वह कंकड़बाग टेंपो स्टैंड तक ही छोड़ सकते हैं. शीला बताती हैं कि किसी तरह उनके परिवार को वहां से निकाला जाये. उनकी दवाओं को लेकर भी चिंता हो रही है.

बेटा बाहर रहता है, दाई नहीं आ रही

कंकड़बाग रेंटल फ्लैट में रहने वाले रवींद्र कुमार अकेले रहने वाले बुजुर्ग हैं. उनके बच्चे दूसरे प्रदेशों में रहते हैं. अपनी पीड़ा बताते हुए रवींद्र जी ने कहा कि घर में चार सीढी तक पानी आ गया है. बारिश के कारण काम करने वाली दाई नहीं आ रही. इससे खाने-पीने की मुश्किल हो गयी है. पीने का पानी थोड़ा सहेज कर रखा है. एचआइजी कॉलोनी में बेटी-दामाद रहते हैं. लेकिन उनकी गाड़ी भी डूबी हुई है, इसलिए वो लोग भी खाना लेकर नहीं आ सकते. खिचड़ी बनाना जानते हैं, वही बना कर खा रहे हैं.

नहीं मिल रही कोई मदद

कंकड़बाग रेंटल फ्लैट नंबर 285 में अमित कुमार उपाध्याय और उनका परिवार भी जल जमाव के कारण काफी परेशान रहा. उन्होंने बताया कि किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिल रही. सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्ग मां को हो रही है. उनकी उम्र 75 साल से अधिक है. तीन दिनों से लाइट नहीं होने के कारण पीने का पानी तक नहीं है. उन्होंने बताया कि घर का सारा समान पानी में तैर रहा है. प्रशासन की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही. घर में खाने-पीने की समान भी खत्म हो चुका है.

दादा-दादी को कहां ले जाऊं सुरक्षित

राजेंद्र नगर रोड नंबर नौ के हाउस नंबर 244 में रहने वाले अपने दादा और दादी को वहां से निकालने के लिए सिद्धार्थ अग्रवाल भी काफी परेशान रहे. उन्होंने बताया कि वह गांधी मैदान स्थित ट्विन टावर अपार्टमेंट में रहते हैं. वह चाहकर भी अपने दादा-दादी को वहां से सुरक्षित नहीं निकाल सकतें हैं, क्योंकि वह दोनो मरीज हैं और पैदल चल नहीं सकते. उन्होंने बताया की दादा ओम प्रकाश 80 वर्षीय हैं, जिन्हें ब्रेन स्ट्रोक आ चुका है. वह बोल भी नहीं पाते हैं. वह बताते हैं कि फिलहाल उन्हें छत पर बने कमरा में शिफ्ट किया गया है.

कोई रिश्तेदार भी नहीं आ सकता
कंकड़बाग के प्रोफेसर कोलोनी में मुन्नाचक चौराहा के समीप रहने वाली 65 वर्षीय डॉ. मंजू सिंह ने रेस्क्यू को लेकर परिचितों के माध्यम से जिला प्रशासन को गुहार लगायी है. उन्होंने बताया कि पिछले तीन दिनों से जल जमाव के कारण लाइट नहीं आ रही. पानी ज्यादा होने के कारण कोई रिश्तेदार भी नहीं आ सकते. लाइट नहीं होने के कारण पीने के पानी की भी काफी दिक्कत हो रही है. आज किसी तरह अनीसाबाद से मेरा नाती पानी में आया है. लेकिन, पानी इतना ज्यादा है कि यहां से निकलने का कोई व्यवस्था नहीं है. मैं बीमार हूं, इसलिए पानी में खुद से उतना दूर चल भी नहीं सकती हूं.

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