राजधानी में गली-गली गले तक पानी
आशियाना-दीघा : टॉयलेट भी जाने लायक नहीं
दो दिनों से खाना नहीं बना, टॉयलेट भी जाने लायक नहीं रह गया है. आशियाना-दीघा मार्ग के रेवेन्यू कॉलोनी की टाइप 3 के फ्लैट नंबर 26 में रहने वाली श्वेता कुमारी ने रविवार को बताया कि बारिश का पानी जब से घर में घुसा है, रहना मुहाल है. बेडरूम में दो फीट तक पानी भर गया है.
समान को ऊपर पलंग पर रखे हैं. अलमीरा में भी पानी घुस गया है. इसके कारण कपड़ों को भी निकाल कर बेड पर फैलाना पड़ा है. अब वहां बैठने की भी जगह नहीं बची है. किचेन में पानी भरने के कारण उसमें बरतन तैर रहे हैं और खाना बनाना भी संभव नहीं है.
इसके कारण कल शाम चार बजे से जब से पानी घुसा है, मेरे घर में खाना तक नहीं बना है. यह मेरी ही नहीं ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले सभी लोगों की स्थिति है. बाहर पूरे कॉलोनी परिसर में तीन फुट से अधिक पानी फैला है. कहीं निकलना भी मुश्किल है. पानी बढ़ता ही जा रहा है. बच्चों को तो परेशानी से बचाने के लिए आज अपने संबंधी के यहां भेज दिया है. लेकिन हमलोगों को पता नहीं ये परेशानी कब तक झेलनी पड़ेगी.
राजीव नगर : वाहन छोड़ पैदल निकले बाहर
राजीव नगर में नाला जाम होने और लगातार बारिश के कारण लोगों की हालत खराब हो गयी है. शनिवार की रात में अचानक दोगुना पानी बढ़ गया.
राजीवनगर, इंद्रपुरी, केशरीनगर, एजी कॉलोनी, पाटलिपुत्र कॉलोनी के लोग पानी में डूबते उतराते रहे. हर सड़क में कमर भर पानी आ गया और इसके कारण लोग वाहन बाहर नहीं निकाल सके. जिन लोगों ने भी इसकी कोशिश की, उनको काफी परेशानी झेलनी पड़ी. या तो उनकी गाड़ी बंद हो गयी या फिर उसको वह दूसरों की मदद से ठेल कर निकालने को विवश रहे.
इधर सुबह न तो कोई दूध वाला आया न ही अखबार मिल सके. इस वजह से दूसरे मुहल्लों की जानकारी के लिए केवल सोशल मीडिया, टीवी और रेडियो ही एकमात्र ठिकाना रहा. राजीव नगर नाला के रास्ते पर केवल कुछ फ्लांग ही जगह ऐसी थी, जहां पानी नहीं है. साईं मंदिर से लेकर अल्पना मार्केट तक इतना ज्यादा जलजमाव है कि बस और बड़ी एसयूवी छोड़कर कोई अन्य गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही है.
कलश स्थापना के लिए नहीं पहुंचे पुजारी जी
राजीव नगर रोड नंबर छह में मिले आदिदेव मंदिर के प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारी वीरेंद्र सिंह मिल गये. उन्होंने बताया कि अभी तक पंडित जी का इंतजार कर रहा हूं. कलश स्थापना में देर हो गयी है, लेकिन पूजा तो कराना ही है.
बोरिंग रोड : दूध-सब्जी को लेकर मशक्कत
लोगों को न सिर्फ घरों में पानी और सड़कों पर दिक्कतें हो रही है , बल्कि जरूरत की चीजें भी नहीं मिल रही है. बिगड़े मौसम के कारण सुधा बूथ के अलावा अन्य जगहों पर दूध की किल्लत हुई. हालांकि दूध की गाड़ी भी पहुंची थी, लेकिन कम समय में ही दूध खत्म हो गयी.
इसके अलावा सब्जियां खरीदने में भी आम लोगों को परेशानी हो रही है. लगातार दो दिनों से कई मुहल्लों में अखबार भी नहीं पहुंच पा रहा. जलजमाव के कारण हॉकर नहीं आ रहे. नवरात्र शुरू है. इस अवसर पर प्रसाद बनाना हो या फिर अन्य जरूरत दूध की मांग जरूर होती है. ऐसे में रविवार की शाम होते ही सुधा बूथ से दूध आउट ऑफ स्टॉक हो गयी. इस बारे में बोरिंग रोड की सिमरन ने बताया कि अभी के समय दूध की काफी जरूरत होती है, लेकिन मार्केट में दूध खत्म हो चुका है.
इस कारण भींगते हुए कई जगहों पर भटकना पड़ा. वहीं, एसके पुरी की आरती ने बताया कि शाम 4.30 के करीब दूध मिल रहा था, लेकिन दुकान के आगे काफी भीड़ थी. लोग छाता लेकर खरीदारी कर रहे थे. हालांकि बारिश को देखते हुए सब्जी अन्य दिनों से और महंगी हो गयी है. नवरात्र में फल की मांग भी अधिक होती है. अन्य दिनों में हर मोड़ पर और चौक-चौराहों पर फल का ठेला लगा होता है, लेकिन बारिश के कारण फल का ठेला भी नदारद दिखा. इस कारण फल खरीदने में भी परेशानी हुई.
आखिर यह प्रकृति की नाराजगी नहीं, तो क्या
अजय कुमार
पटना में बारिश तो बहुत हुई. पर ऐसी नहीं हुई थी जो जेहन में टंक गयी हो. पटना में पानी की बात होती है, तो लोग 1975 की बाढ़ को याद करते हैं. तब पटना के कई मुहल्लों में नावें चल रही थीं.
इस बार बाढ़ तो नहीं है, पर लोग 75 की बाढ़ को याद कर रहे हैं. 45 साल पहले पटना में ऐसा ही नजारा रहा होगा. कई लोगों ने सोशल मीडिया पर उस बाढ़ को याद करते हुए इस बार की बारिश से परेशानी को महसूस किया है. विधान परिषद के पूर्व सभापति प्रो जाबिर हुसैन ने भी ऐसी ही कुछ यादों को साझा किया है. पटना की बाढ़ पर उन दिनों दिनमान में कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु का रिपोतार्ज छपता था. उस रिपोतार्ज के जरिये लोग पटना की उस बाढ़ के सितम को समझते हैं.
बाढ़ से बचने के इंतजाम तो कर लिये गये लेकिन बारिश से? यह बड़ा सवाल बनकर उभरा है. पटना ही नहीं, सभी छोटे-बड़े शहरों के लिए भी यह अहम सवाल बन गया है.
मॉनसून के तीन या चार दिनों में इतनी अतिवृष्टि हुई कि सब जगह पानी ही पानी दिखने लगा. अभी कुछ दिनों पहले प्रदेश का बड़ा हिस्सा पानी के लिए तरस रहा था. अब ज्यादा पानी के चलते धान को नुकसान पहुंचने का अंदेशा पैदा हो गया है. पटना ही नहीं, दूसरे शहरों में भी लोग घरों में तीन दिनों से कैद हैं. परेशानी ने उन्हें बीमारी की हद तक परेशान कर दिया है.
क्या यह प्रकृति की नाराजगी है? इस अतिवृष्टि को इस नजरिये से भी देखने की जरूरत है. पर्यावरण को हमने इतना नुकसान पहुंचा दिया है कि वह हमसे बदला लेने लगा है. असाधारण बारिश के पीछे प्रकृति की हमसे नाराजगी कैसे नहीं है?
पेड़ काटे. प्लास्टिक को जिंदगी का हिस्सा बना लिया. भौतिक सुख के दूसरे साधनों के पहाड़ के आगे प्रकृति-पर्यावरण की हमने चिंता कहां की? सुविधाओं के पहाड़ पर चढ़कर हम इतरा रहे हैं. अब बारिश हमारी समझ और हकीकत बता रही है. वास्तव में इस प्रचंड बारिश के संदेश को समझना होगा. वरना और हम बुरे हाल में होंगे.
दरियापुर : दुकान में पानी, लग रहा डर
शहर में लगातार मूसलाधार बारिश होने के कारण लोगों को रोजमर्रा की चीजें खरीदने में काफी दिक्कतों का सामना करना पर रहा है. शहर का कोई भी ऐसा निचला इलाका नहीं है, जहां जल-जमाव न हो. रविवार को भी दिन भर बारिश होने की वजह से दरियापुर गोला इलाके में लोगों के घरों और दुकानों में पानी आ जाने की वजह से लोग परेशान रहे. इलाके के लोगों ने कहा कि अब पानी से डर लगने लगा है, क्योंकि ज्यादातर दुकाने बंद है. बच्चों के लिए ब्रेड और दूध भी लाने के लिए दूर जाना पड़ रहा है. लालजी मार्केट स्थित शीला फुटवियर दुकान के अंदर पानी आ जाने के कारण काफी परेशान दिखे.
दुकानदार रमन मदान ने बताया कि इतनी बारिश होने के बारे में कभी सोचा ही नहीं था. यहां पानी निकलने का कोई व्यवस्था नहीं है. दुकान के अंदर पानी आ जाने की वजह से करीब डेढ़ लाख के माल का नुकसान हुआ है. फर्नीचर और रेक भी छतिग्रस्त हो गये. रमन बताते हैं कि तीन सालों के बाद दुकान के अंदर पानी आया है. गया जैसे शहर से पानी निकल जा रहा है, मगर अपने शहर का यह हाल है.
वहीं, इसी इलाके के बैपटिस्ट चर्च के सामने रहने वाले भोला प्रसाद भी घर के अंदर पानी आ जाने की वजह से परेशान रहे. उन्होंने बताया कि बेड से नीचे उतरनेे में डर लगता है. जलजमाव की वजह से सबसे ज्यादा परेशानी हम बुजुर्गों और घर के बच्चों को हो रही है. आस-पास की दुकाने बंद होने के कारण दैनिक इस्तमाल करने वाले सामान लाने में भी काफी दिक्कत हो रही है.
मार्केट : नवरात्र पर भी पसरा है सन्नाटा
तीन-चार दिनों से लगातार बारिश के कारण राजधानी के प्रमुख बाजार हथुआ मार्केट, पटना मार्केट, नाला रोड, ठाकुरबाड़ी रोड, बाकरगंज मार्केट में भी सन्नाटा पसरा है. बारिश का पानी जलजमाव होकर दुकानों के अंदर घुस जाने से कारोबारियों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. जलजमाव के कारण नवरात्र के इस मौके पर भी उनको अपनी दुकानें बंद रखनी पड़ रही हैं.
कई मार्केटों में में दो-दो फीट तक पानी भरा है. नगर निगम के कर्मियों की वजह से इस बार वैसी जगहों पर पानी जमा है, जहां पहले नहीं पहुंचता था. फ्रेजर रोड स्थित रेमंड शॉप के रेडिमेड सेक्शन में दूसरे दिन पानी निकासी की कोशिश की गयी. हथुआ मार्केट में 60 दुकानें हैं.
सभी दुकानों में पानी भरा हुआ है. यहां से भी भीगे कपड़ों को निकाल कर सुखाने का प्रयास किया गया. यहां के दुकानदार हताश हैं, क्योंकि पूजा को लेकर लाखों रुपये के नया माल मंगाया था.
रिजर्व बैंक : बोल्ट बचाने में जुटे अधिकारी
गांधी मैदान स्थित भारतीय रिजर्व बैंक परिसर में पानी प्रवेश कर गया है. लगातार बारिश होने के कारण रिजर्व बैंक के बोल्ट (जहां रुपये सुरक्षित रखे जाते हैं) के अंदर पानी घुस गया है. शनिवार से लगातार मोटर चला कर पानी निकालने का काम आज भी जारी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जमीन से पानी रिस कर वोल्ट में आ रहा है.
लेकिन अधिकारियों व इंजीनियरों की मुस्तैदी के कारण वहां पानी जमा नहीं हो पाया है. लगातार होती बारिश को देखते हुए पानी निकासी के लिए हैवी क्षमता का मोटर लगाया गया है. इस संबंध में रिजर्व बैंक के वरीय अधिकारियों से बात की गयी तो उन्होंने वोल्ट में पानी घुसने से साफ इंकार किया. लेकिन उन्होंने कहा कि जिस तरीके से बारिश हो रही है, उसे लेकर बैंक पूरी तरह तैयार है.
कंकड़बाग राजेंद्र नगर पुल के नीचे और दीघा स्थित भारतीय रिजर्व बैंक के क्वार्टर में भी पानी प्रवेश कर गया है. इसके कारण यहां रह रहे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. मिली जानकारी के अनुसार कंकड़बाग में 100 क्वार्टर तथा दीघा में 200 क्वार्टर हैं. क्वार्टर के निचले तल्ले में लगभग एक से दो फुट तक पानी जमा हुआ है. इसके कारण निचले तल्ले वाले लोगों ने ऊपरी तल्ले पर शरण ले रखी है.
पोस्टल पार्क : दुकान में सामान भीगा
कंकड़बाग ऑटो स्टैंड से लेकर उसके आस-पास इलाकों में लगभग कमर भर पानी इकट्ठा हो जाने से रहने वाले लोगों की मुसीबत बढ़ गयी है. पोस्टल पार्क, नवरत्नपुर, इंदिरा नगर, संजय नगर, रामविलास चौक, विग्रहपुर, बैंक कॉलोनी रोड में भी घुटना से ऊपर तक पानी रहा. जलजमाव के साथ ही बिजली गुल होने से संकट दोगुना हो गया है. पोस्टल पार्क में पे-फोन संचालक व किराना दुकानदार अनिल साह ने बताया कि दुकान में पानी घुस गया है.
डूब जाने से फ्रीज भी खराब हो गया. सोडा वाटर की दुकान चलाने वाले कुलवंत ने बताया कि पिछले 48 घंटे में स्थिति बहुत खराब हुई है. पानी जमा होने से बीमारियों का खतरा सताने लगा है. कई मकान में पहले तल्ले पर रहने वाले लोगों की चौकियां भी जलजमाव से डूब गयी हैं. किचेन से लेकर बाथरूम तक गली का गंदा पानी घुस जाने से परेशानी बढ़ गयी है.
इलाके के मीठापुर बस स्टैंड रोड में लगभग एक फीट से अधिक का पानी जमा है. सड़क निर्माण होने के कारण बड़े गिट्टी सड़क पर आ गये हैं, जिससे वाहन चलाना बहुत मुश्किल हो गया है. इस सड़क पर ऑटो वाले मनमाना भाड़ा वसूल रहे हैं. मीठापुर बस स्टैंड से करबिगहिया के लिए 10 रुपये की जगह 20 से 30 रुपये तक लिया जा रहा है. बस स्टैंड की अधिकांश गाड़ियां सड़क पर खड़ी हैं.
एसकेपुरी : दूध, ब्रेड, आलू नहीं पहुंच रहे
लगातार चौथे दिन आसमान से बारिश और जमीन पर जलजमाव ने लोगों को घर-बार छोड़ने पर मजबूर कर दिया है. एसकेपुरी पार्क पानी से डूब गया है. नाले सड़क से ऊपर बहने लगे हैं. लोगों के घरों में गंदा पानी भर गया है. ग्राउंट फ्लोर पर रहने वाले रेंटर पूरे शहर में परेशान हैं. एसके पुरी इलाके में तो शिवपुरी, पटेलनगर, विवेकानंद मार्ग, भगत सिंह मार्ग में घुटने भर पानी है. जिनका मकान ग्राउंड फ्लोर से नीचे है, उनकी घर में कमर तक पानी है.
लोगों को खाना बनाने, नहाने, कपड़े सुखाने, शौच के लिए नारकीय स्थिति से गुजरना पड़ रहा है. सड़कों पर कोई न तो गाड़ी लेकर निकल पा रहा है ओर न ही पैदल. नेहरू नगर में भी कमोवेश यही हालात हैं. सड़कों में बड़े-बड़े गड्ढे हो गये हैं. शनिवार को सभी संप हाउस चले थे, लेकिन रविवार के दिन में बंद था. इसके बाद पानी भर गया.
लोगों को सरकारी मदद मुकम्मल नहीं हो रही है. प्रशासन का दावा है कि दूध और सूखा राशन भेजा गया है, लेकिन यह नाकाफी है. सबको यह सुविधा नहीं है. हालत है कि ग्राउंउ फ्लोर में तबाही है और राहत कहीं-कहीं पहुंच पा रही है. वहीं, मुहल्ले की दुकानें सुबह एक घंटे के लिए खुल रही हैं. यहां पर भी दूध और आलू नहीं मिल रहा. लोग बच्चों के लिए ब्रेड, मैगी, पास्ता का इंतजाम बड़े मुश्किल से कर रहे हैं.
यारपुर : पारा से यारपुर तक पानी
सिपारा पुल से लेकर यारपुर तक भारी बारिश की वजह से जगह-जगह काफी पानी भर गया है. यहां पिछले दो दिनों से स्थिति काफी दयनीय है.
पूरा जक्कनपुर इलाका जलमग्न हो चुका है. मुख्य सड़क से लेकर तकरीबन हर गली में बाढ़ जैसे हालात हैं. घरों में करीब आधा फ्लोर डूब चुका है. ऐसी स्थिति हर घर में हैं. हर जगह पानी घुसा हुआ है. लोग कमर तक पानी में घुसकर ही इधर-उधर जा रहे हैं.
दिनेश गुप्ता ने बताया कि घरों में पानी घुस जाने की वजह से घर में बहुत मुश्किल हो रही है. कीचन तक में पानी घुसा हुआ है. बहुत मुश्किल से घर से निकल पा रहे हैं तो चारों ओर पानी ही पानी नजर आ रहा है. नगर निगम कुछ नहीं कर रहा है. पानी की वजह से यहां लगने वाला सब्जी मार्केट भी नहीं लग रहा है. रोजमर्रा की चीजें नहीं मिल रही हैं. हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
दूध भी नहीं मिल रहा है. दोपुलवा व तीनपुलवा की स्थिति और भी भयावह है. तीनपुलवा के पास कौशल कुमार ने बताया कि यहां जांघ तक पानी है. बाइक पानी की वजह से बंद हो जा रहे हैं. साइलेंसर में पानी घुस जा रहा है. गलियों में कमर तक पानी है. सभी दुकानें बंद हैं. किसी तरह से लोग यहां से आ जा रहे हैं. पुरंदरपुर, बी-एरिया, चांदपुर बेला, जयप्रकाश नगर, मीठापुर में भी पानी है.