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पटना : आठ वर्षों में मात्र दो गांवों का नक्शा आ पाया बाजार में
विभाग ने तैयार किया अब तक की हुई कार्रवाई का खाका, कैसे-कैसे लग रहा काम में ब्रेक पटना : राज्य में बीते आठ वर्षों से चल रहा जमीन सर्वे का काम सांप-सीढ़ी के खेल की तरह उलझा हुआ है. पिछले आठ सालों में मात्र दो गांवों के नक्शे का अंतिम प्रकाशन हो पाया है. अब […]
विभाग ने तैयार किया अब तक की हुई कार्रवाई का खाका, कैसे-कैसे लग रहा काम में ब्रेक
पटना : राज्य में बीते आठ वर्षों से चल रहा जमीन सर्वे का काम सांप-सीढ़ी के खेल की तरह उलझा हुआ है. पिछले आठ सालों में मात्र दो गांवों के नक्शे का अंतिम प्रकाशन हो पाया है.
अब तक लखीसराय, बेगूसराय, खगड़िया, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, जहानाबाद, शिवहर, अरवल, सीतामढ़ी, नालंदा, शेखपुरा, मुंगेर, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, बांका, जमुई व पश्चिमी चंपारण के 17385 गांवों में अब तक एजेंसी ने 11233 जगहों का नक्शा तैयार किया है. लेकिन मात्र 374 गांवों में प्रत्येक तीन गांवों के बीच लैंड मार्क लगाया गया है.
1247 गांवों में चौहद्दी जांच पूरी हो चुकी है. 266 गांवों का नक्शा प्रकाशित हो चुका है. इसमें 262 गांवों के नक्शे पर विवाद की सुनवाई चल रही है, जबकि मात्र दो गांवों के नक्शे का फाइनल प्रकाशन किया गया है. राजस्व व भूमि सुधार विभाग की ओर से तैयार किये गये अपने कामों की पॉवरप्वाइंट प्रेजेंटेशन में वर्ष 2011 से लेकर अब तक किये गये काम का खाका तैयार किया गया है.
इसमें विभाग ने बताया है कि कैसे सांप-सीढ़ी की खेल की तरह कई बार शुरू होने वाले सर्वे में अब तक एक भी प्रखंड का काम पूरा नहीं किया जा सका है. कैसे, एरिया फोटोग्राफी के तहत तैयार किये गये नक्शा को जमीन पर उतारने व जमीन के मालिकाना हक के सत्यापन का काम अब तक लटका हुआ है. विभाग के प्रधान सचिव स्तर पर इस पीपीटी का प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता मेे हुई बैठक में दिखाया गया है.
374 गांवों में प्रत्येक तीन गांवों के बीच लैंड मार्क लगाया गया
ऐसे समझिए सर्वे में सांप-सीढ़ी का खेल
बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्ती नियमावली के तहत वर्ष 2011-12 में राज्य के 14 जिलों में जमीन सर्वेक्षण का काम शुरू किया गया था. इसके वर्ष 2022 तक पूरा किया जाना था. इनमें कुछ जगहों पर काम की शुरुआत हुई.
लेकिन, कुछ ही समय बाद काम बंद कर दिया गया. फिर नालंदा, बेगूसराय को जोड़ते हुए 13 जिलों में सर्वेक्षण की शुरुआत हुई. फिर इसमें छह जिलों को प्राथमिकता सूची से हटा गया गया. फिर आगे सात बचे जिलों में सर्वेक्षण के लिए सात जिले और जोड़े गये. अब कुल 14 जिलों में फिर सात जिलों को हटा कर फिर सात जिलों में सर्वेक्षण शुरू करने की बात कही जा रही है.
बिहार जैसा किसी भी राज्य में नहीं हो रहा कामबिहार में हाइब्रिड मैथेड फाॅर्मूले से काम शुरू हुआ, उसका उदाहरण किसी दूसरे राज्य में नहीं मिलता है.
गुजरात, महाराष्ट्र से लेकर अन्य राज्य में अलग-अलग तरीके से सर्वेक्षण किया जाता है. यहां एरियल फोटोग्राफी के माध्यम से नक्शा पूरे राज्य का तैयार किया गया. एटीएस मशीन से बगैर जमीन की मापी किये सत्यापन और सर्वे के काम पूरे करने हैं. ओड़िशा के दो प्रखंडों में इस विधि से सर्वेक्षण की शुरुआत हुई थी, लेकिन बाद में उसे बंद कर दिया गया.
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