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बिहार को मिले विशेष राज्य का दर्जा : सीएम नीतीश कुमार

नयी दिल्ली : नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार पिछले कई वर्षों से 10 फीसदी से अधिक आर्थिक विकास दर हासिल कर रहा है. भले ही यह राष्ट्रीय विकास दर से अधिक है, लेकिन राज्य की […]

नयी दिल्ली : नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की. मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार पिछले कई वर्षों से 10 फीसदी से अधिक आर्थिक विकास दर हासिल कर रहा है.
भले ही यह राष्ट्रीय विकास दर से अधिक है, लेकिन राज्य की प्रति व्यक्ति आय अन्य विकसित राज्यों एवं राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम है.
पिछड़े राज्यों के विकास के लिए गठित रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट में भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की वकालत की गयी है. रघुराम राजन रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के सर्वाधिक पिछड़े राज्यों में विकास की गति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार अन्य रूप में सहायता उपलब्ध करा सकती है. विभिन्न मानकों पर तुलना करने पर भी बिहार काफी पीछे है.
राज्य की प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2017-18 में 28,485 रूपये थी, जबकि इस दौरान देश की प्रति व्यक्ति आय 86,668 रूपये थी. प्रति व्यक्ति बिजली खपत के मामले में भी बिहार राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है. मानव विकास के सूचकांक के मामले में भी राज्य को काफी दूरी तय करनी है. इसलिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिया जाये.
सीएम ने कहा कि संघीय ढांचे में केंद्र और राज्यों की आपसी सहमति जरूरी है और इसमें नीति आयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. वैश्विक स्तर पर आर्थिक, सामाजिक और तकनीक में आ रहे बदलाव को देखते हुए विकास के समावेशी दृष्टिकोण अपनाना बेहद जरूरी हो गया है. इसके लिए केंद्र और राज्य की सामूहिक जिम्मेदारी पहले से अधिक बढ़ गयी है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक के एजेंडे में राष्ट्रीय विकास की प्राथमिकताओं, नीतियों तथा विभिन्न क्षेत्रों की रणनीतियों के साथ-साथ राज्यों द्वारा उठाये जा रहे कदमों पर चर्चा हो रही है. लेकिन बिहार की कुछ मूलभूत जरूरतों का जिक्र करना जरूरी है.
समावेशी विकास के लिए चल रहा सात निश्चय कार्यक्रम
सीएम ने कहा कि न्याय के साथ विकास के लिए राज्य सरकार अपने सीमित संसाधनों से विकास को गति देने का काम कर रही है. सरकार आधारभूत संरचना विकास, कृषि रोड मैप, कौशल विकास मिशन, औद्योगिक विकास, कमजोर वर्गों का कल्याण, बिहार विकास मिशन को प्राथमिकता दे रही है. विकसित बिहार के 7 निश्चय के तहत राज्य सरकार सभी राज्यवासियों को पेयजल, शौचालय एवं बिजली, आधारभूत संरचनाओं जैसे सड़क, गली-नाली, पुल का तेजी से विकास किया जा रहा है.
राज्य सरकार युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर एवं सक्षम बनाने तथा उनके लिए उच्च, व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास के लिए भी काम कर रही है. विकास कार्यक्रमों के साथ-साथ सामाजिक सुधार जैसे शराबबंदी, नशामुक्ति का अभियान चलाया जा रहा है. बाल-विवाह और दहेज-प्रथा के खिलाफ मुहिम जारी है.
बिहार बंटवारे से हुए नुकसान की भरपायी करे केंद्र
सीएम ने कहा कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम-2000 में यह प्रावधान है किया गया था कि विभाजन के बाद बिहार को होने वाली वित्तीय समस्याओं को दूर करने में केंद्र मदद देगा. इसके लिए एक विशेष विभाग योजना आयोग के उपाध्यक्ष के नियंत्रण में गठित करने का प्रस्ताव किया गया था. ताकि बिहार की जरूरतों को पूरा करने के लिए यह विभाग सिफारिश करेगा.
लेकिन कुछ सालों तक इससे बिहार को लाभ मिला और बाद में बंद कर दिया गया. योजना आयोग के द्वारा राष्ट्रीय सम विकास योजना के तहत विशेष अनुदान उपलब्ध कराया गया था और बाद में पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि (बीआरजीएफ) के तहत भी बिहार को विशेष अनुदान उपलब्ध कराया गया था. लेकिन इसे बंद कर दिया गया. नीति आयोग को दोबारा इसे शुरू करने पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. सर्वशिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाली राशि में कटौती की गयी है.
इससे बिहार पर शिक्षकों को वेतन देने पर 7 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. पेंशन योजना में भी केंद्र को अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. इंदिरा गांधी नेशनल वृद्धावस्था पेंशन, इंदिरा गांधी विधवा पेंशन योजना, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय निःशक्तता पेंशन योजना केे लिए केंद्र को 50 फीसदी की बजाय 75 फीसदी योगदान देना चाहिए.
2024 तक 5,000 अरब डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य : पीएम
नीति आयोग के गवर्निग कांउसिल की पांचवीं बैठक में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र के साथ आगे बढ़ने की बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कही. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को 2024 तक 5,000 अरब डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखते हुए कहा कि भले ही यह चुनौतीपूर्ण है, लेकिन राज्यों के सहयोग से इसे हासिल किया जा सकता है. देश में सूखे की स्थिति को देखते हुए जल संरक्षण की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों को भी जल संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर इस समस्या से निजात पाने की जरूरत है.

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