दीपक कुमार मिश्रा
पटना : राज्य में खेती को लेकर एक अनुठा प्रयोग शुरू होने वाला है. इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है. राज्य में बिना मिट्टी के सिर्फ पानी के सहारे खेती होगी. इस विधि से होने वाली खेती को हाइड्रोपोनिक कहते हैं. जल संवर्धन विधि के द्वारा होने वाली खेती में पानी में वह सारे तत्व उपलब्ध होंगे, जो खेती के लिए आवश्यक हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय इस दिशा में काम करेगा. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत होने वाले इस योजना पर तीन साल में 1.80 करोड़ खर्च किये जायेंगे. कृषि विभाग ने इस पर अपनी सहमति दे दी है.
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पानी में होगी मक्का, गेहूं व सब्जी की खेती, योजना पर तीन साल में होंगे 1.80 करोड़ खर्च
दीपक कुमार मिश्रापटना : राज्य में खेती को लेकर एक अनुठा प्रयोग शुरू होने वाला है. इस दिशा में काम भी शुरू हो गया है. राज्य में बिना मिट्टी के सिर्फ पानी के सहारे खेती होगी. इस विधि से होने वाली खेती को हाइड्रोपोनिक कहते हैं. जल संवर्धन विधि के द्वारा होने वाली खेती में […]
आवश्यक तत्व घोल के रूप में पानी में होंगे उपलब्ध
हाइड्रोपोनिक खेती की एेसी विधि है, जिसमें खेती के लिए आवश्यक तत्व घोल के रूप में पानी में उपलब्ध कराये जाते हैं. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डाॅ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि यह विदेशी तकनीक है, लेकिन अपने देश में भी अब केरल, तमिलनाडु, गोवा, मुंबई और अहमदाबाद आदि में शुरू हो गया है. डाॅ गुप्ता ही इस दिशा में काम कर रहे हैं. डाॅ आरके सोहाने इसके नोडल पदाधिकारी हैं. डाॅ गुप्ता ने बताया कि इस खेती से तकनीक पर अधिक खर्च होता है, पर बाद में यह कम हो जाता है.
आॅफ सीजन में होगी खेती
इस विधि से आॅफ सीजन में चारा और सब्जी की खेती की जायेगी. इसके लिए एक नियंत्रित मशीन होगी, जिसके ट्रे में खेती होगी. ड्रिप सिंचाई की व्यवस्था रहेगी. सारा काम स्वचालित होगा. मक्का, जौ और गेहूं को उपजाया जा सकता है. इस विधि में आठ से दस दिनों में ही एक फुट का पौधा हो जायेगा.
सब्जी में धनिया, टमाटर, खीरा आदि की खेती की जा सकेगी. डाॅ संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि किसान इस विधि से खेती कर अच्छी आमदनी कर सकते हैं. इसके लिए जमीन की जरूरत नहीं होगी. फसल में खर-पतवार भी नहीं होगा. बाढ़, सुखाड़ की स्थिति में भी हरा चारा उपलब्ध रहेगा.
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