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रविशंकर, गिरिराज, नित्यानंद, आरके सिंह व अश्विनी बने मंत्री, नित्यानंद की नयी इंट्री, बाकी पुराने चेहरे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का गठन हो गया है. कैबिनेट रैंक के मंित्रयों में बिहार से तीन को जगह दी गयी है. इनमें दो भाजपा और एक लोजपा कोटे के हैं. बनाये गये तीन राज्यमंत्री भाजपा के हैं. जदयू ने इसमें शामिल होने से मना कर दिया है. वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद […]

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार का गठन हो गया है. कैबिनेट रैंक के मंित्रयों में बिहार से तीन को जगह दी गयी है. इनमें दो भाजपा और एक लोजपा कोटे के हैं. बनाये गये तीन राज्यमंत्री भाजपा के हैं. जदयू ने इसमें शामिल होने से मना कर दिया है. वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय को केंद्र में मंत्री बनाये जाने के बाद यहां प्रदेश स्तर पर नये नेतृत्व की खोज शुरू हो गयी है.

रविशंकर प्रसाद : पहली बार लोकसभा पहुंचे रविशंकर प्रसाद तीसरी बार बने केंद्र में मंत्री
चार बार राज्यसभा और पहली बार पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गये रविशंकर प्रसाद केंद्र में तीसरी बार मंत्री बनाये गये हैं. भाजयुमो के अध्यक्ष रहे रविशंकर प्रसाद छात्र राजनीति की उपज रहे हैं. चारा घोटाला मामले में आवेदकों की ओर से वकील रहे रविशंकर प्रसाद वाजपेयी सरकार में भी मंत्री रहे हैं. उनका राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है. वर्ष 2000 में पहली बार राज्यसभा में चुनकर सांसद बने और इसके बाद से लगातार वह राज्यसभा सदस्य बने रहे हैं. पटना के मूल निवासी रविशंकर प्रसाद की शुरुआती शिक्षा-दीक्षा पटना में ही हुई है.
रविशंकर के पास कानून की डिग्री है. वह पेशे से वकील हैं. वकालत में बेहद सक्रिय और एक सफल वकील रहते हुए उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. केंद्र में कानून मंत्री का भी उनके पास लंबा अनुभव है. इसके अलावा उनके पास अन्य कई महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो रहा है. उनके पिता स्व. ठाकुर प्रसाद भाजपा के संस्थापकों में रहे हैं. ठाकुर प्रसाद राज्य के उद्योग मंत्री भी रहे. भाजपा और संघ से उनका बेहद पुराना नाता रहा है.
आरके सिंह : ब्यूरोक्रेट से सांसद और दूसरी बार िफर केंद्र में मंत्री बने आरके सिंह
केंद्रीय गृह सचिव के पद से रिटायर्ड होने के बाद 2014 में आरके सिंह को पहली बार आरा से सांसद का टिकट मिला और वे जीते भी. इसी क्षेत्र से वह दूसरी बार चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे हैं. पहले कार्यकाल में भी उन्हें केंद्र की सरकार में जगह मिली और ऊर्जा राज्य मंत्री बनाये गये. राजनीति में उनका अनुभव भले ही कम हो, लेकिन सरकार और विभाग चलाने का उनका प्रशासनिक अनुभव काफी लंबा रहा है. उनकी छवि कड़क और सख्त निर्णय लेने वाले अधिकारियों की रही है. बिहार कैडर के आइएएस अधिकारी रहे आरके सिंह बिहार में भी गृह सचिव रह चुके हैं.
ब्यूरोक्रेट से राजनीति में प्रवेश करने वाले आरके सिंह सुपौल के रहने वाले हैं. उनका जन्म 20 दिसंबर 1952 को हुआ है. नयी दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से अंग्रेजी में ग्रेजुएट करने के साथ ही उन्होंने वकालत की डिग्री के अलावा प्रबंधन में डिप्लोमा भी किया है. नीदरलैंड से भी उन्होंने पढ़ाई की है. उनकी शादी 27 फरवरी 1975 में हुई और उनकी दो संतानें एक बेटा और एक बेटी है.
राज : कट्टर हिंदूवादी गिरिराज दूसरी बार बने केंद्र में मंत्री कन्हैया को हराने का मिला इनाम
कट्टरवादी हिन्दूवादी नेता की छवि वाले गिरिराज सिंह कई मौकों पर अपने तल्ख बयानों के लिए विवादों में बने रहते हैं. वह दूसरी बार बेगूसराय लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे हैं. इस बार वह बिहार में सबसे ज्यादा मत से चुनाव जीतने वाले दूसरे सांसद हैं.
जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष और बेगूसराय से भाकपा के उम्मीदवार कन्हैया कुमार को हराने का उन्हें इनाम मिला. पहली बार नवादा लोकसभा सीट से 2014 में चुनाव जीतकर संसद में पहुंचे थे. इस बार लोकसभा क्षेत्र बदलने पर उन्होंने चुनाव से पहले काफी नाराजगी भी जतायी थी.
सांसद बनने से पहले गिरिराज 2002 में पहली बार बिहार में एमएलसी बने और राज्य में लंबे समय तक सहकारिता के अलावा पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री भी रहे हैं. गिरिराज सिंह का जन्म 8 सितंबर 1952 को लखीसराय जिले के बड़हिया में हुआ था. मगध विश्वविद्यालय से उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई की है. शादीशुदा सांसद की एक बेटी है.
नित्यानंद राय दूसरी बार सांसद और पहली बार केंद्र में मंत्री बने नित्यानंद राय
उजियारपुर से दूसरी बार जीत कर इस बार फिर से लोकसभा में पहुंचे नित्यानंद राय पहली बार मंत्री बने हैं. बिहार की राजनीति में भाजपा के यादव फेस नित्यानंद राय संसद पहुंचने से पहले चार बार भाजपा की टिकट पर विधायक रह चुके हैं.
इस बार उन्होंने रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को पराजित किया है. 54 साल के नित्यानंद राय का जन्म हाजीपुर में हुआ. यहीं से उनकी पढ़ाई-लिखाई भी हुई है. हाजीपुर के राजनारायण कॉलेज से ग्रेजुएट करने के बाद वह कृषि आधारित उद्योग को संचालित करते थे. दो बार सांसद बनने से पहले वह चार बार हाजीपुर से विधायक भी रह चुके हैं.
सबसे पहले वर्ष 2000 में विधायक चुने गये थे. इसके बाद से वह लगातार इस क्षेत्र से विधायक रहे हैं. लोकसभा के अपने पहले कार्यकाल के दौरान कृषि, पेट्रोलियम समेत कमेटी के सदस्य भी रहे हैं. वह शुरू से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं और सक्रिय राजनीति में आने से पहले उनका संघ का उनका लंबा अनुभव रहा है.
जियारपुर से दूसरी बार जीत कर इस बार फिर से लोकसभा में पहुंचे नित्यानंद राय पहली बार मंत्री बने हैं. बिहार की राजनीति में भाजपा के यादव फेस नित्यानंद राय संसद पहुंचने से पहले चार बार भाजपा की टिकट पर विधायक रह चुके हैं. इस बार उन्होंने रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को पराजित किया है. 54 साल के नित्यानंद राय का जन्म हाजीपुर में हुआ.
यहीं से उनकी पढ़ाई-लिखाई भी हुई है. हाजीपुर के राजनारायण कॉलेज से ग्रेजुएट करने के बाद वह कृषि आधारित उद्योग को संचालित करते थे. दो बार सांसद बनने से पहले वह चार बार हाजीपुर से विधायक भी रह चुके हैं.
सबसे पहले वर्ष 2000 में विधायक चुने गये थे. इसके बाद से वह लगातार इस क्षेत्र से विधायक रहे हैं. लोकसभा के अपने पहले कार्यकाल के दौरान कृषि, पेट्रोलियम समेत कमेटी के सदस्य भी रहे हैं. वह शुरू से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं और सक्रिय राजनीति में आने से पहले उनका संघ का उनका लंबा अनुभव रहा है.
नित्यानंद की छवि सौम्य और मामलों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने वाले नेता की रही है. तभी तमाम चुनावी प्रक्रिया और कई अहम मौकों पर पार्टी में उनकी भूमिका बेहद अहम रही है. कई मामलों में उनकी पहल का जबर्दस्त फायदा पार्टी को हुआ है. जुलाई 1989 में उनकी शादी हुई थी. उनकी एक बेटी भी है.
अश्विनी कुमार चौबे बने फिर राज्यमंत्री
बक्सर लोकसभा क्षेत्र से दोबारा चुने गये सांसद अश्विनी कुमार चौबे का राजनीतिक सफर काफी लंबा रहा है. वह 1995 में पहली बार विधायक चुने गये और पांच बार विधायक रहे. राज्य सरकार में स्वास्थ्य और पीएचइडी विभागों के मंत्री रहे हैं. 2014 में उन्हें पहली बार लोकसभा का टिकट मिला, तो वे सांसद बने. इसके बाद पहली बार केंद्र में मंत्री बनाये गये.
बक्सर लोकसभा सीट से दूसरी बार जीत के बाद उन्हें केंद्र में िफर से राज्यमंत्री बनाना सवर्ण मतदाताओं को साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. अश्विनी चौबेे भाजपा से काफी लंबे से जुड़े रहे हैं. उनकी छवि एक लोकप्रिय ब्राह्मण नेता के रूप में रही है. 2 जनवरी 1953 को उनका जन्म भागलपुर जिले के दरियापुर में हुआ था.
अश्विनी चौबे ने पटना विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट तक की पढ़ाई की है. 8 मई 1978 को उनकी शादी हुई और उनके दो बेटे हैं. भाजपा ने इस बार राज्य से दो ब्राहम्ण नेताओं को उम्मीदवार बनाया था. गोपाल जी ठाकुर ने दरभंगा से और अश्विनी चौबे ने बक्सर से विजयी हासिल की है.

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