प्रमोद झा
पटना : चुनावों में बढ़ते खर्च व जनता में निर्दलीय उम्मीदवारों के प्रति कम आकर्षण से संसद पहुंचने की राह उनके लिए मुश्किल हो गयी है. पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों का जनता के बीच गहरी पैठ होने से चुनाव में समर्थन मिलने से उनकी जीत सुनिश्चित होती थी. चुनाव भी कम खर्चीला था. एकाध छोड़ कर लगभग सभी चुनाव में उन्हें सफलता मिली. अब बड़े-बड़े दलों द्वारा चुनाव में व्यापक प्रचार-प्रसार व खर्च ने वोटरों को बड़े दलों के उम्मीदवारों के प्रति आकर्षित कर रखा है.
इसका परिणाम है कि निर्दलीय उम्मीदवार अब अपनी जगह पाने में असमर्थ दिख रहे हैं. लोकसभा चुनाव में संयुक्त बिहार से 12 निर्दलीय उम्मीदवार संसद पहुंचे थे. केवल बिहार के क्षेत्रों की बात करें तो अब तक लोकसभा चुनाव में आठ निर्दलीय उम्मीदवारों को वोटरों ने संसद में पहुंचाया. बिहार बंटवारे के बाद हुए तीन लोकसभा चुनाव में 2009 के चुनाव में दो निर्दलीय उम्मीदवार बांका से दिग्विजय सिंह व सीवान से ओम प्रकाश यादव जीतने में सफल रहे थे.
बंटवारे के बाद तीन उम्मीदवार रहे सफल
बिहार बंटवारे के बाद से अब तक तीन लोकसभा चुनाव संपन्न हुए हैं. इसमें दो निर्दलीय उम्मीदवार संसद पहुंचने में सफल रहे. 2004 व 2014 में निर्दलीय उम्मीदवारों को सफलता नहीं मिली. 2009 में बांका से दिग्विजय सिंह व सीवान से ओमप्रकाश यादव ने जीत हासिल की थी. 2010 में दिग्विजय सिंह के निधन के बाद बांका में हुए मध्यावधि चुनाव में उनकी पत्नी पुतुल देवी भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज कर संसद पहुंची थीं.
पहले चुनाव में एक को मिली थी सफलता
1952 में हुए देश के पहले लोकसभा चुनाव में बिहार से एकमात्र निर्दलीय उम्मीदवार शाहाबाद नॉर्थ वेस्ट सीट से कमल सिंह जीत कर संसद पहुंचे थे. उस समय संयुक्त बिहार में कुल 49 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. 1957 में हुए दूसरे लोकसभा चुनाव में 60 निर्दलीय उम्मीदवार में बिहार में बक्सर से कमल सिंह जीत दर्ज कर पाये थे.
चौथे लोकसभा चुनाव 1967 में चार निर्दलीय उम्मीदवार संसद में जगह बनाने में कामयाब रहे थे. इसमें चतरा से वी राजे, सिंहभूम सुरक्षित से के बीरूआ, हजारीबाग से बीएन सिंह व नवादा से एमएसएन पूरी सफल रहे थे. चुनाव में 99 निर्दलीय उम्मीदवार खड़े थे.1971 में खूंटी सुरक्षित से नीरेल एनम होराे, 1977 में धनबाद से एके रॉय व 1980 में धनबाद से एके रॉय व दुमका सुरक्षित से शिबू सोरेन चुनाव जीते थे. 1984 में हुए लोकसभा चुनावों में गोपालगंज सीट से काली प्रसाद पांडेय ने निर्दलीय लड़कर जीत हासिल की थी.
चुनाव में 492 निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में थे. 1989 व 1991 में एक भी निर्दलीय उम्मीदवार को सफलता नहीं मिली थी. चुनाव में कुल 1264 निर्दलीय उम्मीदवार थे. 1996 के चुनाव में खड़े 1103 निर्दलीय उम्मीदवार में बेगूसराय सीट से रमेंद्र कुमार विजेता रहे थे. 1999 के चुनाव में खड़े 187 निर्दलीय उम्मीदवार में पूर्णिया से राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव चुनाव जीत गये थे.

