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चुनावी मैदान में दिल्ली की टीशर्ट-टोपी, मुंबई से आ रहा मेटल बैज

रविशंकर उपाध्याय, पटना : हार के चुनावी मैदान में कोई पीएम की तस्वीर वाली ‘मैं हूं चौकीदार’ टीशर्ट पहने नजर आ रहा है, तो कोई राहुल गांधी की तस्वीर वाली कैप. कोई लालू और लालटेन का मेटल बैज लगाये हुए नजर आ रहा है, तो कोई तीर छाप की क्लिप लगाकर अपनी पार्टी का समर्पित […]

रविशंकर उपाध्याय, पटना : हार के चुनावी मैदान में कोई पीएम की तस्वीर वाली ‘मैं हूं चौकीदार’ टीशर्ट पहने नजर आ रहा है, तो कोई राहुल गांधी की तस्वीर वाली कैप. कोई लालू और लालटेन का मेटल बैज लगाये हुए नजर आ रहा है, तो कोई तीर छाप की क्लिप लगाकर अपनी पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता बना नजर आ रहा है, लेकिन आपको जानकर यह आश्चर्य हो सकता है कि दिल्ली से सभी चुनावी टीशर्ट और टोपी तो मुंबई से मेटल बैज, क्लिप और बैंड राजधानी में मंगवाये जा रहे हैं, जो यहां से सुदूर गांव-कस्बे तक पहुंचते हैं.

बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में कुछ कारोबारियों ने प्रचार सामग्री बनाने का काम किया था, लेकिन माल और मैनपावर की कमी के कारण पूरा कारोबार दोनों मेट्रो शहरों में केंद्रित हो गया है. राजधानी के बड़े कारोबारियों का कहना है कि दोनों बड़े शहरों में सस्ते माल और श्रम के कारण उत्पाद कम कीमत में मिलते हैं.
भाजपा के प्रचार में सबसे आगे निकला चौकीदार
लोकसभा चुनाव में सभी पार्टियों के बीच प्रचार के मामले में एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ चल रही है. भाजपा समर्थक नमो टी शर्ट ले रहे हैं, तो कांग्रेस समर्थक राहुल की कैप. राज्य में कमल, तीर, लालटेन और हाथ छाप के बैज की भी धूम है. सबसे अधिक मांग गले में टांगने के फटके की है.
सभी पार्टियों में इसकी मांग ज्यादा है. खासकर युवा कार्यकर्ता यह लेना ज्यादा पसंद करते हैं. भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच चौकीदार छाप सबसे आगे चल रहा है. वीरचंद पटेल पथ से हाइकोर्ट रोड और बाकरगंज में प्रचार सामग्री की दुकानों में यहां पार्टी के रंग में बने टी शर्ट, कैप, बैज, पेन, नोटबुक, बुकमार्क से लेकर चश्मे, टोपी, रिस्ट बैंड मौजूद हैं.
एक दुकान के संचालक राजीव रंजन कहते हैं कि यहां सभी पार्टियों की प्रचार सामग्री मौजूद हैं. कई नये आइटम के आॅर्डर भी दिये गये हैं जिसमें रिस्ट बैंड, घड़ी, पेन ड्राइव, काफी मग, पेन, पेंसिल और राइटिंग पैड भी शामिल हैं. एक से दो दिनों में ये सामग्री भी उपलब्ध हो जायेंगे.
70 लाख की सीमा के कारण बाजार में मंदी
शिवम इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर सत्येंद्र सिंह ने बताया कि चुनाव आयोग के 70 लाख रुपये की खर्च की सीमा तय करने के कारण बाजार में थोड़ी मंदी छायी हुई है. सभी लोग प्रचार सामग्री पर कम ही खर्च करना चाहते हैं. हम व्यापारियों की पूंजी फंसी हुई है. यदि यह सीमा एक व्यावहारिक राशि तक बढ़ा दी जाये तो फिर बाजार में और विस्तार होगा.

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