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बिहार में इस साल भी सूखे जैसे हालात, पिछले साल से 534 में से 280 प्रखंड सूखाग्रस्त घोषित हुए थे
पटना : राज्य में लगातार बारिश और कई हिस्सों में ग्राउंड वाटर लेवल में कमी होने से खेती और पेयजल के लिए गंभीर संकट व फिर सूखे जैसे हालात पैदा होने की आशंका बढ़ती जा रही है. मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट ने भी ताजा रिपोर्ट में मॉनसून के दौरान सामान्य से […]
पटना : राज्य में लगातार बारिश और कई हिस्सों में ग्राउंड वाटर लेवल में कमी होने से खेती और पेयजल के लिए गंभीर संकट व फिर सूखे जैसे हालात पैदा होने की आशंका बढ़ती जा रही है. मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट ने भी ताजा रिपोर्ट में मॉनसून के दौरान सामान्य से कम बारिश की संभावना जतायी है. पिछले साल भी कम बारिश होने से राज्य के आधे से ज्यादा हिस्से सूखाग्रस्त घोषित किये गये थे. यहां 534 में से 280 प्रखंडों में सूखे के हालात थे.
वहीं, टेलीमेटरी की ताजा रिपोर्ट से पता चला है कि राज्य के 102 प्रखंडों में ग्राउंड वाटर लेवल बहुत नीचे जा चुका है. इससे कई प्रखंडों में तो नलकूपों से पानी भी नहीं निकल रहा. मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काइमेट ने भी इस साल मॉनसून में सामान्य से कम बारिश की आशंका जतायी है.
उसके विशेषज्ञों ने इसकी बड़ी वजह अलनीनो को बताया है. हालांकि, इस रिपोर्ट में जिक्र किया गया है कि जून में भारत में प्रवेश करने वाले दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून के बनने तक इस अलनीनो के कमजोर होने की संभावना है. मॉनसून सामान्य रूप से जून के पहले सप्ताह में केरल के रास्ते देश में प्रवेश करती है.
राज्य में पिछले पांच वर्षों में सामान्य से कम बारिश
वर्ष बारिश की मात्रा सामान्य से कम
2014 849.3 मिमी 17%
2015 744.7 मिमी 27%
2016 971.6 मिमी 05%
2017 936.8 मिमी 9%
2018 771.3 मिमी 25%
(प्रत्येक साल एक जून से 30 सितंबर तक औसत बारिश)
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