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पटना : पूर्व मुख्यमंत्रियों को नहीं मिलेगा सरकारी आवास, इन्हें खाली करना पड़ सकता है सरकारी बंगला
पटना हाइकोर्ट ने कहा, यह जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त आजीवन सरकारी आवास की सुविधा खत्म कर दी है. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में […]
पटना हाइकोर्ट ने कहा, यह जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग
पटना : पटना हाइकोर्ट ने राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त आजीवन सरकारी आवास की सुविधा खत्म कर दी है. मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में जारी किये गये आदेश को निरस्त कर दिया.
कोर्ट ने कहा कि सरकार का इस तरह का निर्णय गैर संवैधानिक है और राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग भी है, इसलिए इसे रद्द किया जाता है.हाइकोर्ट के इस फैसले से पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, लालू प्रसाद, डाॅ जगन्नाथ मिश्र, जीतनराम मांझी और सतीश प्रसाद सिंह प्रभावित होंगे. हालांकि, राबड़ी देवी और जीतनराम मांझी को अब भी विधानमंडल का सदस्य होने और उनकी वरिष्ठता के आधार पर मौजूदा बंगला का आवंटन बरकरार रह सकता है. लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह और डाॅ जगन्नाथ मिश्र के नाम आवंटित सरकारी आवास छिन जायेगा.
राबड़ी तीन बार सीएम रही हैं, जबकि मांझी कई टर्म विधायक रहे हैं. महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट के फैसले की पुष्टि की है. हाइकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई शुरू की थी. सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समेत उन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी किया था, जो पूर्व मुख्यमंत्री के नाम पर आवंटित सरकारी आवास समेत सभी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे.
कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों को अपनी सुरक्षा का इतना भय है, वह अपने निजी घर के अंदर और अपने निजी आवास में बंकर बनाकर क्यों नहीं रहते हैं? सरकार उन्हें हर प्रकार की सुरक्षा उपलब्ध करायेगी. ऐसी बात नही है कि सरकारी आवास में ही उन्हें ज्यादा सुरक्षा उपलब्ध होगा. कोर्ट द्वारा जारी किये गये नोटिस के बाद इस मामले की सुनवाई 11 फरवरी को फिर हुई.
उस दिन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों की तरफ से कोर्ट में उनके उनके अधिवक्ताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी . मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने सात सर्कुलर रोड स्थित आवास को सात जनवरी, 2019 को ही खाली कर चुके हैं, जिसे मुख्य सचिव को आवंटित कर दिया गया है. सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने 11 फरवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था.
इन्हें खाली करना पड़ सकता है सरकारी बंगला
तेजस्वी की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने लिया था स्वत : संज्ञान
विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने एक याचिका दायर कर राज्य सरकार के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें पूर्व उपमुख्यमंत्री के रूप में आवंटित आवास को खाली करने का निर्देश दिया गया था.
कोर्ट को बताया गया था कि एक ओर जहां तेजस्वी यादव को बंगला खाली करने का निर्देश दिया गया है, वहीं राज्य के सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुफ्त में सरकारी बंगला समेत सभी तरह की सुविधाएं सरकार दे रही है. इस बात को सुनकर कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी कर कोर्ट में 11 फरवरी को उपस्थित होकर उनका जवाब देने को कहा था.
हाइकोर्ट ने राज्य सरकार और पूर्व मुख्यमंत्रियों से पूछा था कि लोक प्रहरी केस में यूपी के संबंध आये सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में क्यों बिहार विशेष सुरक्षा ग्रुप (संशोधन) एक्ट-2010 को निरस्त किया गया. इसी कानून के तहत राज्य में पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला आवंटित किया जाता था.
बड़ा फैसला
पूर्व सीएम के रूप में आवंटित आवास को खाली कर चुके हैं नीतीश कुमार
बिहार विशेष सुरक्षा ग्रुप (संशोधन) एक्ट-2010 के तहत राज्य में पूर्व सीएम को मिलता था सरकारी बंगला
यूपी : सुप्रीम कोर्ट पहले ही दे चुका है ऐसा आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने मई, 2018 में फैसला दिया था कि यूपी के पूर्व सीएम सरकारी आवास की सुविधा नहीं ले सकते हैं. कोई भी सीएम पद से हटने के बाद सामान्य आदमी की तरह होते हैं.
शीर्ष अदालत ने यह फैसला एनजीओ लोक प्रहरी की जनहित याचिका पर दिया था, जिसमें यूपी मंत्री (वेतन, भत्ते और अन्य विविध प्रावधान) एक्ट-1981 में अखिलेश सरकार द्वारा किये गये संशोधन को चुनाैती दी गयी थी. इस फैसले के बाद वहां के पूर्व सीएम-कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मायावती, अखिलेश यादव ने सरकारी आवास को खाली कर दिया था.
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