पटना : लोकसभा चुनाव की बाबत भाजपा का मुख्य फोकस पिछड़ा और अतिपिछड़ी जाति के मतदाताओ पर होगा. भाजपा एक के बाद एक मास्टर स्ट्रोक चलते हुए जाति के साथ-साथ जन मानस को साधने में जुट गयी है.
पहले सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देकर अपनी तरफ रिझाने की पूरजोर कोशिश हो चुकी है. इसके बाद अब पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों को साधने की योजना है. इसकी मुख्य वजह राज्य में सबसे बड़ी वोटिंग कास्ट पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग ही है.
पटना में 15 और 16 फरवरी को ओबीसी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की पहली बार बैठक होने जा रही है. इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी शामिल होंगे. इसमें देश भर से छह हजार से ज्यादा चुनिंदा ओबीसी के कार्यकर्ता और प्रतिनिधि शामिल होंगे. इसमें शामिल होने वाले सभी भाजपा प्रतिनिधि चुनाव के लिए एक मोटिवेटर के रूप में तैयार किये जायेंगे, जो सभी जगहों पर घूम-घूम कर पिछड़ा और अतिपिछड़ा वर्ग के लोगों को भाजपा के किये कार्यों के बारे में समझाते हुए अपनी तरफ गोलबंद करेंगे.
कार्यक्रम में ओबीसी के वर्गीकरण के लिए गठित रोहिणी कमेटी, केंद्र में ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने समेत पिछड़ा वर्ग के लिए किये गये तमाम कार्यों के बारे में प्रतिनिधियों को विस्तार से जानकारी दी जायेगी. चुनावी नैया पार करने के लिएभाजपा जानती है कि जब तक ज्यादा से ज्यादा वोट इस वर्ग के लोग नहीं करेंगे, तब तक उनकाे लोकसभा चुनाव में जीत नहीं हो सकती है. इसके मद्देनजर इस सम्मेलन में भाजपा कार्यकर्ता और प्रतिनिधि चुनावी प्रचार-प्रसार के अलावा पिछड़ा वर्ग को ज्यादा से ज्यादा अपने वोट बैंक में बदलने के फॉर्मूला का पाठ पढ़ाया जायेगा. भाजपा इस बार अपनी 17 सीटों पर उम्मीदवारों को खड़ा करने में भी इस बात का खासतौर से ध्यान रखेगी. पिछड़ा वर्ग को फोकस करके इस आधार पर ही सीटों का समीकरण भी तय किया जायेगा.
