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मिशन 2019 : आरा में महागठबंधन के निशाने पर केंद्रीय मंत्री आरके सिंह

यहां की चुनावी जंग में क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम और अतिपिछड़ा समाज की होती है निर्णायक भूमिका पटना : आरा लोकसभा सीट पर इस बार हो रहे चुनावी दंगल में ब्यूरोक्रेट से राजनेता बने राजकुमार सिंह महागठबंधन के निशाने पर होंगे. यहां की चुनावी जंग मेें क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम और अतिपिछड़ा चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा […]

यहां की चुनावी जंग में क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम और अतिपिछड़ा समाज की होती है निर्णायक भूमिका
पटना : आरा लोकसभा सीट पर इस बार हो रहे चुनावी दंगल में ब्यूरोक्रेट से राजनेता बने राजकुमार सिंह महागठबंधन के निशाने पर होंगे. यहां की चुनावी जंग मेें क्षत्रिय, यादव, मुस्लिम और अतिपिछड़ा चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते रहे हैं. इस बार भी दोनों खेमों में इसी इर्द-गिर्द तैयारी हो रही है.
आरा सीट एनडीए के भीतर यदि भाजपा को मिली तो केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को दोबारा उम्मीदवार बनाया जाना तय माना जा रहा है. दूसरी ओर जदयू में पूर्व सांसद मीना सिंह के समर्थकों को उम्मीद है कि यह सीट पार्टी के पास आने पर उन्हें ही चुनाव लड़ने को मौका मिलेगा. इधर, रालोसपा छाेड़ जदयू में शामिल हुए भगवान सिंह कुशवाहा के नाम की भी आरा के भावी प्रत्याशी के रूप में लिये जा रहे हैं.
महागठबंधन में राजद और भाकपा माले यहां से सशक्त दावेदार है. इस महीने किसी भी समय एनडीए और महागठबंधन में सीटों का एलान हो सकता है. इसके बाद ही चुनावी तस्वीर साफ हो सकेगी. पूर्व विधायक भाई दिनेश काफी पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं.
परिसीमन के बाद बदल गया इस सीट का भूगोल
2009 में इस सीट में पटना जिले के बिक्रम, पाली व मनेर विधानसभा क्षेत्र शामिल थे. परिसीमन के बाद ये क्षेत्र अलग हो गये. आरा में शाहपुर व जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र को शामिल कर दिया गया. इसमें सात विस क्षेत्र आते हैं.
कांग्रेस की जीत का रिकॉर्ड इस सीट पर भी 1977 में जनता पार्टी ने तोड़ा थे. 1980 में जनता पार्टी (सोशलिस्ट) यहां से जीती. 1984 में कांग्रेस की जीत के बाद 1989 में इंडियन पीपल्स फ्रंट की जीत हुई. 1991, 1996 में जनता दल की जीत के बाद 1998 में समता पार्टी की यहां विजय हुई. 1999, 2004 में आरजेडी व 2009 में जदयू के पास यह सीट गयी. 2009 में जदयू की मीना सिंह यहां से सांसद चुनी गयीं. 2014 में राजकुमार सिंह सांसद चुने गये.
भाजपा व जदयू ने अलग लड़ा था पिछला चुनाव
वर्ष 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के राजकुमार सिंह व राजद के श्रीभगवान सिंह कुशवाहा दूसरे नंबर पर थे. जबकि, भाकपा-माले के राजू यादव तीसरे स्थान पर व जदयू की मीना सिंह चौथे स्थान पर रही थीं. इस सीट पर राजकुमार सिंह ने विजय हासिल की थी.
अब तक उम्मीदवारों व पार्टियों को लेकर है ऊहापोह की स्थिति
20 लाख 55 हजार से अधिक मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का करेंगे फैसला.
युवा व महिला मतदाताओं की संख्या में वृद्धि से उत्साह का माहौल.
जदयू की पूर्व सांसद मीना सिंह के समर्थकों को उम्मीद, फिर मिल सकता है प्रत्याशी बनने का मौका
इनपुट : मिथिलेश कुमार सिंह, आरा
Prabhat Khabar Digital Desk
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