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पटना : जदयू से बिना जोड़े ही बुद्धिजीवियों काे साथ ला रहे प्रशांत किशोर
पटना : लोकसभा चुनाव में नैया पार करने को जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) बुद्धिजीवियों को साथ लेने में जुट गये हैं. गुरुवार को सात सर्कुलर रोड पर करीब एक घंटा तक उनके साथ बैठक की. इसमें पीके ने जदयू का दामन पकड़ाये बिना ही पार्टी की चुनावी राजनीति में भागेदारी निभाने की […]
पटना : लोकसभा चुनाव में नैया पार करने को जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर (पीके) बुद्धिजीवियों को साथ लेने में जुट गये हैं. गुरुवार को सात सर्कुलर रोड पर करीब एक घंटा तक उनके साथ बैठक की. इसमें पीके ने जदयू का दामन पकड़ाये बिना ही पार्टी की चुनावी राजनीति में भागेदारी निभाने की भूमिका तैयार की.
नब्ज टटोलने की कोशिश
पीके ने नब्ज टटाेलने की कोशिश की कि जदयू से क्या छूट रहा है? क्याचूक हो रही है? हालांकि, कुछ बुद्धिजीवियों ने इस मौके का लाभ उठाते हुए प्रशांत किशोर व पवन वर्मा को साहित्य और संस्कृति से जुड़ी समस्याओं का मुद्दा उठाया. जदयू नेता ने बुद्धिजीवियों सेसमस्याओं व मुद्दों की लिस्ट मांगी है, जिसका निस्तारण वह सबसेपहले कराना चाहते हैं. पांच में से तीन समस्याएं दूर होने पर पीके इनके साथ अगली बैठक करेंगे. बैठक में रत्नेश सिंह, संजय उपाध्याय, अनीश अंकुर, जस प्रकाश, मनोज कुमार बच्चन,
भावना शेखर, मंगला रानी सहित पटना विश्वविद्यालय के शिक्षक, पत्रकार, साहित्यकार, लेखक के साथ एक घंटा तक बिहार के भूत, वर्तमान और भविष्य को लेकर मंथन किया. राजनीति के लिए प्रेरित करते हुए पीके ने कहा कि वे पार्टी की राजनीति में जाेड़े बिना ही बुद्धिजीवियों को राजनीतिक भागीदारी दिलाना चाहते हैं. सभी को चुनावी राजनीति से जोड़ना चाहते हैं.
…इसको लेकर उनके साथ सवाल-जवाब भी हुए. संस्कृति एवं युवा विभाग का फंड बढ़ाने, सिन्हा पुस्तकालय और हिंदी भवन की हालत ठीक करने, सभी कमिश्नरियों में नाट्यशालाएं खोलने की भी मांग उठी. भावना शेखर ने जदयू नेता से पुस्तक मेला नहीं लगने का कारण भी जानना चाहा.
बीजेपी को खटक रही यह बैठक : प्रशांत किशोर की सियासत का पैटर्न अब भाजपा को खटक रही है. सहयोगी दल होने के नाते वह असहज होते हुए भी चुप है. हालांकि, छात्रसंघ चुनाव से सीख लेते हुए वह अंदरखाने पीके की पाॅलिटिक्स का तोड़ निकालने में जुट गयी है.
पीयू के छात्रसंघ चुनाव में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को पीके ने जिस तरह से चित्त किया, वह भाजपा को अंदर तक कचोट रही है. बीजेपी विधायकों का राज्यपाल के यहां पीके की शिकायत कर जदयू से अपना विरोध भी प्रकट कर दिया था. प्रशांत किशोर ने बुद्धिजीवियों के साथ जिस तरह से बैठक की है, वह भाजपा की रणनीति का हिस्सा रही है. भाजपा अक्सर ऐसी बैठकें करती रही हैं.
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