नयी दिल्ली : मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ब्रजेश ठाकुर के आरोपों को खारिज कर दिया. साथ ही मुजफ्फरपुर बालिका गृह को ध्वस्त किये जाने के मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर की याचिका को भी खारिज कर दिया. मालूम हो कि मुजफ्फरपुर के मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर ने पटियाला जेल के सुपरिटेंडेंट के खिलाफ रुपयों की मांग को लेकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगाया था.
जानकारी के मुताबिक, मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते कांड के मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर की शेल्टर होम की बिल्डिंग ध्वस्त नहीं करने की याचिका को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के 25 अक्तूबर के आदेश के आलोक में नगर आयुक्त ने बालिका गृह की बिल्डिंग को ध्वस्त करने का आदेश दिया था. इस संबंध में मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी ने भी आदेश जारी कर दिया है. नगर आयुक्त ने जिलाधिकारी को भेजे रिमाइंडर में बालिका गृह से सामान हटाने, वीडियोग्राफी कराने और रिसीवर नियुक्त करने की भी अपील की थी. मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की बिल्डिंग पर आपत्ति जतायी थी कि यह बिल्डिंग बिना नक्शा पास कराये बनी हुई है. इसी संबंध में ब्रजेश ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में बिल्डिंग को ध्वस्त नहीं किये जाने की याचिका दाखिल की थी. वहीं, सोमवार को बिल्डिंग ध्वस्त किये जाने को लेकर दो मजिस्ट्रेट के साथ नगर निगम की टीम मुजफ्फरपुर बालिका गृह पहुंच चुकी है.
Muzaffarpur shelter home case: Supreme Court after perusing the medical report, submitted by the medical board appointed by it to examine main accused Brajesh Thakur, says there was no injury caused to Thakur. #Bihar
— ANI (@ANI) December 10, 2018
Supreme Court also dismisses Brajesh Thakur’s plea to stay the demolition of the building of Muzaffarpur shelter home. https://t.co/jovoax9Itu
— ANI (@ANI) December 10, 2018
वहीं दूसरी ओर, पटियाला जेल में बंद मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपित ब्रजेश ठाकुर की शिकायत की जांच के लिए गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपों को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्रजेश ठाकुर को कोई चोट नहीं थी. मालूम हो कि ब्रजेश ठाकुर ने पटियाला जेल के सुपरिटेंडेंट पर रुपयों की मांग को लेकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगाया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपित के आरोपों की जांच के लिए तत्काल मेडिकल जांच कराने का आदेश दिया था.