पटना : रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने की अवधि शुक्रवार को समाप्त हो गयी. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा उनको समय नहीं दिये जाने के बाद उन्होंने ट्वीट कर प्रधानमंत्री से 27-30 नवंबर के बीच मिलने का समय मांगा था. प्रधानमंत्री विदेश में हैं. ऐसे में उनके मिलने की उम्मीदें क्षीण पड़ गयी. हालांकि, कुशवाहा रात के 12 बजे तक प्रधानमंत्री से मिलने की उम्मीद बांधे हुए थे पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. एनडीए के बीच रह कर अलग तरह की राजनीति करनेवाले उपेंद्र कुशवाहा कभी खीर पकाते रहे तो कभी शिक्षा का अलख जगाते रहे. अब उनके अगले कदम का इंतजार दोनों गठबंधनों के नेताओं को है. अभी तक उन्होंने अपना पत्ता साफ नहीं किया. अगर वह अपना पत्ता साफ भी करते हैं तो उनके राजनीतिक सफर में ऑल इज वेल की स्थिति नहीं हैं.
कुशवाहा काराकाट संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित हुए हैं. महागठबंधन में इस सीट पर राजद की कांति सिंह की पक्की दावेदारी है. वह इस सीट से लोकसभा भी पहुंच चुकी हैं. ऐसे में कम उम्मीद है कि राजद वहां से कांति सिंह का टिकट को लेकर कोई विचार करेगी. इसी तरह से सीतामढ़ी की सीट से रालोसपा के सांसद के खाते में है. यह सीट भी राजद की परंपरागत मानी जाती है. यहां पर राजद के सीताराम यादव राजद के दावेदार हैं. इसी तरह रालोसपा की नजर जहानाबाद सीट पर है जहां पर राजद के सुरेंद्र यादव राजद के प्रबल दावेदार हैं. जहानाबाद से रालोसपा के नेता नागमणि भी उम्मीदवार हो सकते हैं. उजियारपुर संसदीय क्षेत्र पर राजद के आलोक मेहता की दावेदारी है. यहां पर नागमणि खुद या उनकी पत्नी के लिए टिकट की दावेदारी कर सकते हैं. नागमणि राजद, जदयू, कांग्रेस से लेकर कई दलों की यात्रा कर चुके हैं. इसी तरह से उपेंद्र कुशवाहा के अलावा श्रीभगवान सिंह कुशवाहा भी लोकसभा सीट के प्रबल दावेदार हैं. उनकी दावेदारी भोजपुर और काराकाट क्षेत्र पर है. ऐसे में अब उपेंद्र कुशवाहा के लिए महागठबंधन में शामिल होने पर भी राजनीतिक उम्मीद पूरी होने की संभावना कम है.
रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए में शामिल होने के कुछ समय बाद ही स्थिति विपरीत दिशा में जाने लगी. जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार ने बीच में ही उनका साथ छोड़ दिया. इधर बिहार में उनके दो विधायक ललन पासवान और सुधांशु शेखर भी मजबूती से उनके साथ खड़े नहीं दिखते. जदयू के एनडीए में शामिल होने के बाद से कुशवाहा की तल्खी और बढ़ने लगी. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार द्वारा बिहार की लोकसभा की बराबर-बराबर सीटों के बंटवारे की घोषणा ने रालोसपा प्रमुख की बेचैनी और बढ़ी दी. राजनीति के इस घटनाक्रम ने एनडीए में रहनेवाले उपेंद्र कुशवाहा की पहले से अधिक सीटों की मांग पूरी होती नहीं दिखती. उधर किसी भी गठबंधन में अधिक सीटों को लेकर कोई पहल के संकेत भी नहीं हैं. राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने उनको महागठबंधन में आने का तो न्योता दिया पर सीटों पर कुछ भी नहीं कहा.