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इप्टा प्लैटिनम जुबली समारोह : शबाना आजमी बोली, विद्रोह और आजादी का नाम है कला

पटना : मशहूर सिनेअभिनेत्री शबाना आजमी ने आज इप्टा के प्लैटिनम जुबली समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि कला विद्रोह और आजादी का नाम है. भारतीय नृत्य कला मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आज की राजनीति मेंधर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता के बीच लड़ाई है. शायद यही वजह है कि गौरी लंकेश, एमएम […]

पटना : मशहूर सिनेअभिनेत्री शबाना आजमी ने आज इप्टा के प्लैटिनम जुबली समारोह का उद्घाटन करते हुए कहा कि कला विद्रोह और आजादी का नाम है. भारतीय नृत्य कला मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि आज की राजनीति मेंधर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिकता के बीच लड़ाई है. शायद यही वजह है कि गौरी लंकेश, एमएम कलबुगी, नरेंद्र दाभोलकर और गोविंदपान्सारे की हत्या हुई. हमें उनकी विरासत सहेजने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद और देशभक्तिमें अंतर सीखना चाहिए. देशभक्तिवह होती है जब व्यक्ति अपने देशसे प्यार करता है और इसलिएवह अपने देश की कर्मियोंको दूर करना चाहता है. जबकि राष्ट्रवादी को अपने देश में कोई कमी नहीं दिखाई देती है और वह दूसरेको भी चाहता है कि यह माने. उन्होंने अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि मैंने जब दुनिया में आंखें खोलीं तो मेरे सामने लाल रंग था.उससमय कैफी आजमी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता थे.

इससे पहले समारोह की औपचारिक शुरुआत आज 27 अक्टूबर 2018 की दोपहर के लगभग ढाई बजे अचानक नगाड़ों कीअावाजसे पटना गूंज उठा. पूरे देशसे आये इप्टा के कलाकारों का जुलूस बैंक रोडसेनिकलकर कारगिल चौक से होते हुए भारतीय नृत्य कला मंदिर पहुंचा.

झारखंडसे आये नगाड़ों के दल ने इस जुलूस का नेतृत्व किया. ठीक उसके पीछे कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी, एमके रैना, प्रो कांचा इलैया, सईदअख्तर मिर्जा, अंजान श्रीवास्तव, रणबीर सिंह, शमीक बंधोपाध्याय, शबाना आजमी, सोनल झा, नूर जहीर, एन बालाचंद्रन, डॉक्टर सत्यजीत, सुलभा आर्या,वीरेंद्र यादि, संजना कपूर, शकील अहमद खान, प्रोबीर गुहा, रमेश तलवार, अतुल तिवारी, तनवीर अख्तर आदि आदि चल रहे थे.

कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी आजादी का गाना गाते हुए चल रहे थे. कन्हैया डफली बजाते हुए गीत और नारे में संगत दे रहे थे. जुलूस भारतीय नृत्य कला मंदिर के मुक्ताकाश मंच पहुंचा. यहां कलाकारों ने इप्टा के अपने उन दिवंगत साथियों को फूल अर्पित करके याद किया जो पिछले दिनों दुनिया छोड़ कर चले गये. उनकी याद में सीताराम सिंह के नेतृत्व में बिहार इप्टा क्वायर ने एक जन-गीत गाया.

मंच पर कन्हैया कुमार, जिग्नेश मेवानी, एमके रैना, प्रो कांचा इलैया, सईद अख्तर मिर्जा, अंजन श्रीवास्त, रणबीर सिंह, शमीक बंधोपाध्याय, शबाना आजमी, नूर जहीर, एन बालाचंद्रन, डॉक्टरसत्यजीत,सुलभा आर्या, वीरेंद्र यादव, संजना कपूर, शकील अहमद खान, प्रोबीर गुहा, रमेश तलवार, अतुल तिवारी, तनवीर अख्तर,अवतार गिल, फणीश सिंह, शत्रुघ्न प्रसाद, आलोक धन्वा, संभाजी भगत, मेधा पानसारे, परवेज अख्तर को बुलाया गया.

फणीश सिंह और शमीक बंधोपाध्याय ने झंडोत्तोलन किया और बिहार इप्टा क्वायर ने शंकर शैलेंद्र का सलखा इप्टा गीत "तू जिंदा है….." गाया. इसके बाद आयोजन समिति के महासचिव तनवीर अख़्तर को बुलाया गया दो शब्दों कहने के लिए. उन्होंने कैफी आजमी, राजेंद्र रघुवंशी, जितेंद्र रघुवंशी, कन्हैया जी, राजनंदन सिंह राजन, शहीद चंद्रशेखर को याद किया. उनसे उन्होंने बहुत कुछ सीखा और उन्हीं के रास्तों पर चल कर आज इप्टा यहां तक पहुंचा. इसके बाद डॉक्टर सत्यजीत नेसभी का स्वागत किया.

राष्ट्रीय इप्टा महासचिव राकेश ने अपने उद्गार व्यक्त किये. उन्होंने कैफी आजमी की एक नज्म की पंक्ति सुनाई – कोई तो सूद चुकाए/ कोई तो जिम्मा ले/उस इंकलाब का/ जो आज तक उधार है – कैफी आजमी. महासचिव राकेश ने कहा कि हम प्रेम का संवाद लेकर आए हैं. उन्होंने इस बात को पुरजोर तरीके से कहा कि कला जनता के नाम एक प्रेम पत्र है और सत्ता के नाम अभियोग पत्रभी है. प्लैटिनम जुबली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह विचारों काउत्सव है और हम 31 अक्टूबर को समारोह के अंतिम दिन एक विकल्प केसाथ निकलेंगे.

अपने भाषण के दौरान शबाना आजमी ने एक दिलचस्प नारा दिया जो इप्टा के लिए मशाले राह होगा : कमाने वाला खाएगा. लूटने वाला जाएगा. नया जमाना आएगा. शबाना आज़मी नेइसअवसर पर फैज कीनज्म ‘बोल’ गा कर सुनाया.
इसके बाद फिल्म निदेशक सईद अख़्तरमिर्जा ने इप्टा केइतिहास बताते हुए कहा कि हालात आजभी बदले नहीं हैं. उन्होंने कहा कि इप्टा ने संस्कृति की अवधारण को पुन: परिभाषित किया है. उन्होंने कहा कि इप्टा को फिर आगे बढ़ कर उन चुनौतियों का सामना करने में नेतृत्वकारी भूमिका अख्तियार करनी होगी.जिससे देश जूझ रहा है.

प्रोफेसर और दलित लेखक कांचा इल्लैया ने कहा कि सरकार गाय चला रही है न कि कोई मनुष्य. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आंबेडकर और वामपंथी विचारधारा को एक साथ आना होगा. इसके बाद गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी नेभी नीला और लाल के एक होने परजोर दिया. उन्होंने कहा कि हम सांस्कृतिक फासीवाद के दौरसे गुजर रहे हैं.

इस मौके पर जेएनयू ने पूर्व छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने बताया कि वे तो बचपनसे ही इप्टासे जुड़े रहे हैं और इप्टा ने उनको प्रगतिशील बनाया. उन्होंने कहा कि नाटक करने के दौरान सामाजिक और धार्मिक पूर्वाग्रह टूटते हैं. अंत ने कन्हैया ने अपनी एक कविता सुनाई : बड़ा आसान है सत्ता के सामने सिर झुकाना/ एक बार सिर उठा कर देखो/ आज़ादी की कीमत समझ में आ जाएगी. समारोह का समापन भाषण इप्टा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रणबीर सिंह ने दिया. इसके बाद इप्टा की इकाईयों ने भारत की सांस्कृतिक विविधता को पेश किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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