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पटना : नगर निकाय नहीं दे रहे खर्चों का हिसाब अरबों रुपये का एसी-डीसी बिल लंबित

दो दर्जन निकायों ने नहीं भेजी चार से अधिक वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट विभाग ने डीसी बिल व उपयोगिता प्रमाण पत्र जल्द से जल्द जमा करने के दिये निर्देश पटना : राजस्व वसूली ही नहीं, खर्च की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र और ऑडिट रिपोर्ट भेजने में भी नगर निकायों की घोर लापरवाही सामने […]

दो दर्जन निकायों ने नहीं भेजी चार से अधिक वर्षों की ऑडिट रिपोर्ट
विभाग ने डीसी बिल व उपयोगिता प्रमाण पत्र जल्द से जल्द जमा करने के दिये निर्देश
पटना : राजस्व वसूली ही नहीं, खर्च की गयी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र और ऑडिट रिपोर्ट भेजने में भी नगर निकायों की घोर लापरवाही सामने आ रही है.
नगर विकास एवं आवास विभाग की समीक्षा में सामने आया है कि पिछले पंद्रह वर्षों के दौरान नगर निकायों को सहायक अनुदान मद में दिये गये अरबों रुपये खर्च नहीं हुए हैं. इनका उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित है. साथ ही करीब तीन दर्जन से अधिक नगर निकायों ने करोड़ों रुपये का हिसाब (एसी-डीसी बिल) भी विभाग को नहीं दिया है. विभाग ने ऐसे नगर निकायों को तत्काल एसी-डीसी बिल के साथ ही उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने का निर्देश दिया है.
खाते में पड़े अरबों रुपये नहीं कर रहे खर्च : सहायक अनुदान मद में दिये गये अरबों रुपये खर्च नहीं करने वाले नगर निकायों की संख्या भी तीन दर्जन से अधिक है.
जानकारी के मुताबिक इनमें सबसे अधिक 69 करोड़ पटना नगर निगम के पास हैं. इनके अलावा आरा 6.48 करोड़, बेगूसराय 7.90 करोड़, छपरा 8.58 करोड़, मुजफ्फरपुर 8.54 करोड़, बेतिया 9.89 करोड़, सीवान 9.78 करोड़ आदि रुपयों का हिसाब नहीं मिला है. यह राशि वर्ष 2003-04 से लेकर वर्ष 2015-16 के बीच इन निकायों को दी गयी थी.
विभाग ने इस राशि को खर्च कर उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र विभाग में जमा करने का निर्देश दिया है.लंबित एसी बिल वाले नगर निकाय : बेगूसराय – 27.86 लाख, भागलपुर – 51 लाख, आरा – 18 लाख, मुंगेर – 18.36 लाख, जमालपुर – 14.69 लाख, औरंगाबाद – 12.49 लाख, बेतिया – 135.17 लाख, सुल्तानगंज – 18 लाख, बक्सर – 30.31 लाख, गोपालगंज – 23.01 लाख, नवादा – 13.20 लाख, सहरसा – 129.37 लाख, शेखपुरा – 9.57 लाख, रफीगंज – 12.46 लाख, नवीनगर – 10.90 लाख, चनपटिया – 17.65 लाख, नरकटियागंज – 18.06 लाख, कहलगांव – 17.68 लाख, बोधगया – 25.39 लाख, शेरघाटी – 19.36 लाख, बरौली – 13.33 लाख, झंझारपुर- 11.76 लाख, गोगरी जमालपुर – 342.03 लाख, रामनगर – 16.58 लाख आदि.
सात वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट लंबित
समीक्षा में पता चला है कि लगभग दो दर्जन नगर निकायों ने पिछले दस वर्षों (वर्ष 2007-08 से 2017-18 तक) की वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट भी महालेखाकार को नहीं भेजी है. इन दस वर्षों में पटना नगर निगम की सबसे अधिक सात ऑडिट रिपोर्ट लंबित हैं.
इसी तरह, खगौल, बेतिया, मधुबनी, जमुई की चार, बक्सर व मोतिहारी की पांच और बेगूसराय, भागलपुर, छपरा, मसौढ़ी, औरंगाबाद, बगहा, सीतामढ़ी, मोतिहारी, सासाराम, झाझा, हवेली खडगपुर, ढाका, दिघवारा, रफीगंज व कोईलवर नगर निकायों की चार वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट लंबित है.विभाग ने जल्द से जल्द यह ऑडिट रिपोर्ट महालेखाकार को भेजते हुए उसकी कॉपी विभाग में तलब की है.

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