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निजी गर्ल्स हॉस्टल, जिम्मेदारों की लापरवाही से हॉस्टल संचालकों को गलतियां छिपाने का मिल जाता है समय
निजी गर्ल्स हॉस्टल : बार-बार बढ़ायी जा रही जांच की तारीख पटना : महिला छात्रावासों से जुड़ी सुरक्षा और वहां दी जाने वाली दूसरी सुविधाओं को सरकारी मापदंडों की कसौटी पर परखने से जुड़ी सरकारी जांचों की समय सीमा बार-बार बढ़ायी जा रही है. स्थिति यह है कि मई माह से प्रस्तावित जांच की समयावधि […]
निजी गर्ल्स हॉस्टल : बार-बार बढ़ायी जा रही जांच की तारीख
पटना : महिला छात्रावासों से जुड़ी सुरक्षा और वहां दी जाने वाली दूसरी सुविधाओं को सरकारी मापदंडों की कसौटी पर परखने से जुड़ी सरकारी जांचों की समय सीमा बार-बार बढ़ायी जा रही है. स्थिति यह है कि मई माह से प्रस्तावित जांच की समयावधि और उसकी जांच के दायरे को दो से अधिक बार बढ़ाया जा चुका है.
जिस मामले की जांच रिपोर्ट 15 जुलाई को आ जानी चाहिए थी, अब उस जांच की रिपोर्ट अगस्त माह के बाद ही संभव हो पायेगी. वह भी तब, जब सरकारी कवायद समय पर पूरी हों.
फिलहाल छात्रावासों के प्रबंधन में गड़बड़ी करने वालों को बचने का समुचित समय मिल रहा है. अलबत्ता यह बात किसी से छिपी नहीं है कि छात्रावास शैक्षणिक गतिविधि से परे दूसरी गतिविधियों के अड्डे बन चुके हैं.दिलचस्प बात यह है कि प्रशासन अपने ही निर्देशों में बार बार संशोधन कर रहा है. जानकारों का कहना है कि महिला छात्रावासों की जांच को अनावश्यक रूप से नये-नये निर्देश का हवाला देकर बस टालने का प्रयास किया जा रहा है. शहर के पाॅश इलाके से लेकर अन्य कई इलाकों के महिला छात्रावासों की संख्या हजारों में है.
कहीं अपार्टमेंट में कमरा लेकर हॉस्टल चलाया जा रहा, तो कहीं छोटे-से घर में महिला छात्रावास चल रहे हैं. अधिकांश के पास बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. यह प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन प्रशासन कार्रवाई करने के बजाय केवल जांच की तारीख बढ़ा रहा है.
प्रशासन की सुस्त जांच
सबसे पहले मई माह में प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर ने शहर के महिला छात्रावास संचालकों के साथ बैठक कर उन्हें 11 मानकों पर काम करने के निर्देश दिये थे. बैठक में कहा गया था कि अब डेढ़ माह के भीतर संचालक सुरक्षा व सुविधा के मानक को पूरा नहीं करते हैं, तो उन पर कार्रवाई की जायेगी. उनके रजिस्ट्रेशन रद्द किये जायेंगे और कोई घटना होती है, तो उन पर कानूनी कार्रवाई भी होगी, लेकिन डेढ़ माह बीतने के बाद भी कुछ नहीं किया गया.
अब इन मानकों पर होगी जांच
– सभी महिला छात्रावासों के मुख्य प्रवेश द्वार के साथ-साथ मुख्य स्थानों पर उच्च गुणवत्ता वाले सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं या नहीं, ताकि रात की रिकॉर्डिंग भी की जा सके.
– महिला छात्रावासों में अग्निशामक यंत्र की व्यवस्था है या नहीं?
– महिला छात्रावास एवं परिसर में बिजली सुरक्षा से संबंधित मानकों का अनुपालन किया गया है या नहीं?
– सभी महिला छात्रावासों में फर्स्ट एड किट की आवश्यक रूप से व्यवस्था है या नहीं?
– प्रत्येक महिला छात्रावास में पर्याप्त मात्रा में पीने का पानी, पानी की टंकी, स्नानागार, शौचालय की व्यवस्था है या नहीं?
– छात्रावास के प्रबंधक, वार्डन व छात्रावास में कार्यरत अन्य कर्मियों का पुलिस सत्यापन है या नहीं?
– सभी महिला छात्रावासों के प्रवेश द्वार पर रजिस्टर है या नहीं. उसका नाम, पता है या नहीं?
– छात्राओं से मिलने के लिए आने वाले परिजनों के लिए अलग से विजिटिंग रूम है या नहीं?
– महिला छात्रावास संचालकों को होस्टल मैनेजमेंट कमेटी का गठन हुआ है या नहीं?
– सभी महिला छात्रावासों में कार्यरत सभी कर्मियों (अधीक्षक, वार्डन, संचालक सहित) की सूची प्रशासन को उपलब्ध करायी गयी है या नहीं?
– सभी महिला छात्रावासों में डिसप्ले बोर्ड है या नहीं. डिसप्ले बोर्ड में थाना, महिला हेल्पलाइन, पुलिस नियंत्रण कक्ष इत्यादि के साथ-साथ छात्रावास अधीक्षक एवं वार्डन, कर्मचारी का नाम एवं मोबाइल नंबर है या नहीं?
15 दिनों में करनी थी जांच
डेढ़ माह में महिला हॉस्टल संचालकों ने प्रशासन के निर्देश का कितना पालन किया या नहीं, इसकी जांच के लिए भी अधिकारियों को निर्देश दिये गये थे. प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर की अध्यक्षता में 17 जुलाई को बैठक हुई थी.
उसमें प्रमंडलीय आयुक्त ने उप निदेशक कल्याण को स्थानीय थानों के साथ मिल कर 11 मानकों पर जांच रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिये थे. इसके अलावा आसपास के क्षेत्रों में अंचलवार प्रखंड कल्याण पदाधिकारियों की टीम बना कर जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिये गये थे. लेकिन न तो अधिकारियों ने कोई जांच रिपोर्ट सौंपी और न ही किसी छात्रावास को बंद कराने की अनुशंसा की गयी.
30 अगस्त तक का समय
अब प्रशासन के आला अधिकारी एक नया फरमान बता रहे हैं. प्रमंडलीय आयुक्त ने बताया कि चार-पांच दिन पहलेे आईजी व मेरे स्तर से महिला हॉस्टलों की जांच नये फॉर्मेट के तहत करने के निर्देश दिये गये हैं.
नये फॉर्मेट को जिलाधिकारी स्तर से तैयार किया गया है. इसमें 15 अगस्त तक संबंधित थाने को जांच करने व 16 अगस्त से 30 अगस्त तक जिला प्रशासन को जांच रिपोर्ट के वेरिफिकेशन को पूरा करने के निर्देश दिये गये हैं. अब 30 अगस्त के बाद आगे की कार्रवाई की जायेगी.
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