नयी दिल्ली : जदयू के चुनाव चिह्न को लेकर चल रही अदालती लड़ाई में वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव के लिये नवगठित लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) के हाल ही में हुए सम्मेलन में हिस्सा लेना भारी पड़ सकता है. शरद यादव की राज्यसभा सदस्यता को खारिज करने से जुड़े इस मामले में प्रतिवादी पक्ष ने लोजद के सम्मेलन में हिस्सा लेने को सबूत के तौर पर अदालत में पेश कर दिल्ली स्थित उनका आवास खाली कराने की मांग की है.
लोजद के वरिष्ठ पदाधिकारी जावेद रजा ने बताया किशरद यादव को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने के सभापति के फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती देने का मामला विचाराधीन होने के बीच ही प्रतिवादी पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है. उन्होंने बताया कि जदयू के राज्यसभा सदस्य आरसीपी सिंह ने अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिका दायर कर यादव को दिल्ली में आवंटित सरकारी आवास खाली कराने की मांग की है. याचिका में शरद यादव द्वारा लोजद के सम्मेलन में हिस्सा लेने के सबूत पेश कर जदयू से उनके स्वयं अलग होने की बात साबित करने की कोशिश की गयी है.
जावेदरजा ने बताया किआरसीपी सिंह ने यह भी दलील दी है कि शरद यादव अब राज्यसभा सदस्य नहीं हैं इसलिए वह सरकारी आवास के पात्र नहीं हैं और दिल्ली स्थित आवंटित बंगले में उनके रहने से जदयू की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है. रजा ने इसे स्तरहीन राजनीतिक हथकंडा बताते हुए कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में मामले का निस्तारण होने तक शरद यादव को बतौर राज्यसभा सदस्य मिल रही सभी सुविधाएं बहाल रखने को कहा है.
उल्लेखनीय है कि आरसीपी सिंह द्वारा पेश याचिका पर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ के समक्ष आगामी6 जून को सुनवाई होगी. रजा ने केंद्र सरकार के इशारे पर उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल करने का आरोप लगाते हुए कहा कि शरद यादव ने मोदी सरकार की नीतियों का मुखर विरोध करते हुए देशभर में विपक्षी दलों को लामबंद करने की मुहिम शुरु की है. उन्होंने कहा कि सात बार लोकसभा और चार बार राज्यसभा सदस्य रह चुके यादव राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर कई बार संसद सदस्यता से इस्तीफा दे चुके है.
जावेद रजा ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के खिलाफ यादव की जारी मुहिम को बाधित करने के लिये सरकार हर हथकंडा अपना रही है. उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष इस लड़ाई को ‘पद और बंगले’ की जद्दोजहद दर्शाकर छोटा करने की कोशिश कर रहा है जिससेशरद यादव की अगुवाई में बिहार में बने महागठबंधन की तर्ज पर पूरे देश में विपक्षी दलों की एकजुटता को नाकाम किया सके.