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Friday, March 29, 2024

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जाति सूचक शब्द को लेकर आपस में भिड़े MLC संजय पासवान और डीएम दिवाकर

पटना : शनिवार को एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट में दलित अध्ययन पर आयोजित एक विमर्श कार्यशाला में नवनिर्वाचित एमएलसी संजय पासवान और संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ डीएम दिवाकर उलझ पड़े. जातिसूचक शब्द को लेकर एएन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ डीएम दिवाकर की आपत्ति के बाद एमएलसी ने आग्रह पूर्वक जबरन उनका हाथ पकड़ […]

पटना : शनिवार को एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट में दलित अध्ययन पर आयोजित एक विमर्श कार्यशाला में नवनिर्वाचित एमएलसी संजय पासवान और संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ डीएम दिवाकर उलझ पड़े. जातिसूचक शब्द को लेकर एएन सिन्हा संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ डीएम दिवाकर की आपत्ति के बाद एमएलसी ने आग्रह पूर्वक जबरन उनका हाथ पकड़ कर दीप जलाया. डॉ दिवाकर द्वारा इसका प्रतिरोध करने पर उनको अपशब्द कहा गया और मारने की कोशिश की गयी. हालांकि एमएलसी ने बाद में अपशब्द व मारपीट के प्रयास से इंकार किया. उन्होंने कहा कि कार्यशाला के दौरान कार्यक्रम में हुए विघ्न व किसी को बुरा लगने पर क्षमा भी मांगी.

दरअसल यह कार्यक्रम एएन सिन्हा संस्थान ने कराया था. गया जिले के दलितों पर किये गये एक अध्ययन में विभिन्न प्रकार के दलितों की स्थिति पर चर्चा होनी थी. कार्यशाला में एमएलसी संजय पासवान बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे, लेकिन कागज में इसकी चर्चा नहीं थी. कार्यक्रम शुरू होते ही एमएलसी ने थोड़ी दूर बैठे पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर को ‘ जातिसूचक ‘ शब्द का प्रयोग कर बुलाया. इस पर डॉ दिवाकर नाराज हो गये और उन्होंने आपत्ति जतायी.

मामले पर बातचीत में संस्थान के पूर्व निदेशक डीएम दिवाकर ने बताया कि जाति सूचक शब्द कह कर बुलाये जाने पर मैंने इसका प्रतिरोध करते हुए दीप नहीं जलाने की बात कही. इस पर उन्होंने जबरदस्ती हाथ पकड़ कर दीप जलवाया. फिर मैंने उनको सीमा में रहने की बात कही. इसके बाद एमएलसी अधिक आक्रोशित हो गये. उन्होंने अपशब्द कहा. मारने पर उतारू थे. चार-पांच फैकल्टी के लोग नहीं रोकते तो मारते. अब स्थिति यह हो गयी है कि अगर आप प्रगतिशील सोच के साथ जीना चाहते हैं तो जीने नहीं दिया जायेगा.

वहीं इसमामलेभाजपाके विधान पार्षद संजय पासवान ने कहा कि एएन सिन्हा संस्थान में दलित पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि बुलाया गया था. दीप प्रज्जवलन के लिए ब्राह्मण होने के नाते डॉ दिवाकर को आमंत्रित किया. नाराज होने पर आग्रहपूर्वक हाथ पकड़ कर दीप जलाया. किसी तरह के अपशब्द या मारपीट का प्रयोग नहीं किया. दरअसल डॉ दिवाकर के मन में संघ और भाजपा को लेकर पूर्वाग्रह है. हमने कई बार इसको फेस भी किया है. बाद में कार्यक्रम के दौरान विघ्न के लिए मैंने सार्वजनिक रूप से क्षमा भी मांगी.

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