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बिहार : अवैध शराब कारोबार से जुड़े परिवारों को दूसरे धंधे के लिए एक लाख तक की राशि

पटना : राज्य में पूर्ण शराबबंदी को और प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष योजना शुरू की है. इसमें अवैध शराब के कारोबार से जुड़े निर्धनतम परिवारों को जीविका के लिए दूसरा धंधा अपनाने के लिए 60 हजार से एक लाख तक की राशि दी जायेगी. गुरुवार को मुख्यमंत्री […]

पटना : राज्य में पूर्ण शराबबंदी को और प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए राज्य सरकार ने एक विशेष योजना शुरू की है. इसमें अवैध शराब के कारोबार से जुड़े निर्धनतम परिवारों को जीविका के लिए दूसरा धंधा अपनाने के लिए 60 हजार से एक लाख तक की राशि दी जायेगी. गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कैबिनेट की हुई विशेष बैठक में ‘सतत जीविकोपार्जन योजना’ समेत 15 प्रस्तावों को मंजूरी मिली.
बैठक के बाद कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह ने पत्रकारों को बताया कि सतत जीविकोपार्जन योजना का मुख्य मकसद देशी शराब या महुआ की चुलाई या ताड़ी के व्यापार में पीढ़ियों से अवैध रूप से जुड़े निर्धनतम परिवारों को मुख्य धारा में शामिल करना है. इसके अंतर्गत अगले तीन वर्ष में 840 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है. इसमें 25% राशि सरकार अनुदान देगी और शेष 75% राशि का बंदोबस्त ग्रामीण विकास विभाग अपने स्तर पर करेगा. इसमें प्रत्येक परिवार को न्यूनतम 60 हजार और अधिकतम एक लाख रुपये दिये जायेंगे.
जो परिवार रुपये लौटाने की थोड़ी बहुत स्थिति में भी हैं, तो उन्हें यह राशि बेहद कम दर पर लोन के रूप में दी जायेगी. जो परिवार किसी भी तरह से रुपये लौटाने की स्थिति में नहीं हैं, तो उन्हें यह राशि अनुदान के रूप में मिलेगी. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पांच अप्रैल को पूर्ण शराबबंदी के दो साल पूरे होने के मौके पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में इस तरह की योजना को शुरू करने की घोषणा की थी.
जीविका के माध्यम से होगा संचालन
जीविका के माध्यम से इस योजना का संचालन किया जायेगा. राज्य में अभी आठ लाख एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) का गठन हो चुका है.
इसके बावजूद एक अनुमान के अनुसार, दो से ढाई प्रतिशत परिवार ऐसे हैं, जो पूरी तरह से हाशिये पर हैं. प्रत्येक गांव में ऐसे दो-तीन परिवार मिल जायेंगे, जिन्हें जीविकोपार्जन से जोड़ते हुए उबारने की आवश्यकता है. इन्हें जोड़ा नहीं जा सकता है और यहीं छूटे परिवार अवैध शराब की चुलाई में मुख्य रूप से लगे रहते हैं.
इन चिह्नित परिवारों को हर तरह से कसौटी पर कसने के बाद प्रत्येक परिवार के लिए विशेष तौर पर सूक्ष्म योजना (माइक्रो प्लान) तैयार की जायेगी. इसके बाद इनकी जरूरत के मुताबिक, इन्हें गौपालन, बकरीपालन, मुर्गी पालन समेत ऐसे अन्य सभी योजनाओं से जोड़ा जायेगा. एक परिवार को एक से ज्यादा योजना से भी जोड़ा जायेगा और योजना के अनुसार पैसे का भुगतान किया जायेगा. ऐसे परिवार के जो युवा कौशल विकास जुड़े सकते हैं, उन्हें इससे जोड़ते हुए इनके समग्र विकास पर ध्यान दिया जायेगा.
राज्य से इस स्तर की गरीबी मिटने का अनुमान
इस योजना को सरकार ने ‘ग्रैजुअल एप्रोच’ का नाम देते हुए कहा कि इस योजना के पूर्ण रूप से सफल क्रियान्वयन के बाद तीन साल बाद राज्य से इस स्तर के निर्धनतम या हाशिये पर जीवन बसर कर रहे परिवारों की संख्या समाप्त हो जायेगा. इनके लिए खासतौर से जीविकोपार्जन का बंदोबस्त होने से अवैध शराब के कारोबार से ये दूर होंगे.
ऐसे परिवारों को चिह्नित करने में जीविका के ग्राम संगठन की भूमिका बेहद अहम होगी. योजना से जुड़ने वाले परिवार की निरंतर मॉनीटरिंग के लिए खासतौर से जीविका के स्तर पर बंदोबस्त किया गया है. हाल में सीतामढ़ी के सुपी और कटिहार के बारसोई प्रखंड में इस योजना को पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया गया, जिसके काफी बेहतर परिणाम मिलने के बाद इसका विस्तार पूरे राज्य में किया जा रहा है.
तीन साल में खर्च होंगे Rs 840 करोड़
तीन साल में ऐसे सभी निर्धनतम परिवारों को मौजूदा स्थिति से बाहर निकालने का लक्ष्य
दो-ढाई प्रतिशत हैं ऐसे परिवार
ऐसे हर परिवार के लिए तैयार होगी विशेष सूक्ष्म योजना, मिलेंगे 60 हजार से एक लाख रुपये
Prabhat Khabar Digital Desk
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