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बिहार : राज्य स्वास्थ्य समिति के आंकड़े दे रही गवाही, गर्भवती महिलाओं की सेहत पर सरकार का विशेष ध्यान

पटना : प्रदेश की गर्भवती महिलाओं में खून की अत्यधिक कमी है. इतना ही नहीं, हाई ब्लडप्रेशर भी लपेटे में ले रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं. राहत की बात यह है कि इन महिलाओं की सेहत पर सरकार सीधे नजर रख रही है. सुरक्षित प्रसव तक इनकी सेहत […]

पटना : प्रदेश की गर्भवती महिलाओं में खून की अत्यधिक कमी है. इतना ही नहीं, हाई ब्लडप्रेशर भी लपेटे में ले रहा है. राज्य स्वास्थ्य समिति के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं. राहत की बात यह है कि इन महिलाओं की सेहत पर सरकार सीधे नजर रख रही है. सुरक्षित प्रसव तक इनकी सेहत की जांच से लेकर अन्य उपाय करने की जिम्मेदारी सरकार ले रही है.
नौ जून, 2016 को शुरू हुई प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान योजना : प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान की शुरुआत नौ जून, 2016 को हुई थी.
इसके तहत गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव तक बेहतर सेवाएं उपलब्ध कराना मकसद है. हर माह की नौ तारीख को प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में विशेष कैंप का आयोजन कर गर्भवती महिलाओं की जांच की जाती है.
मार्च 2018 तक 22 राउंड हो चुका है. 10 लाख 52 हजार महिलाओं की जांच हुई है. इसमें 33,852 महिलाएं जटिल गर्भावस्था की श्रेणी में मिली हैं. आठ लाख 95,404 गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लाेबिन की जांच हुई तो 21,695 महिलाओं में गंभीर रूप से खून की कमी पायी गयी. इतना ही नहीं, नौ हजार 214 महिलाओं को हाई ब्लडप्रेशर ने चपेट में लिया है.
-स्वास्थ्य विभाग की जांच में हुआ खुलासा, नौ लाख महिलाओं में हीमोग्लोबिन की हुई जांच
-22 हजार महिलाओं में खून की कमी, नौ हजार हाई ब्लडप्रेशर की चपेट में
पिछले कुछ माह में हालात और बेहतर हुए हैं
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को लेकर पूरे प्रदेश में अभियान छेड़ा गया है. इसमें हर जिला अपने स्तर से सहयोग कर रहा है. लगातार राज्य स्तर से भी मॉनीटरिंग हो रही है. अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं की जांच की जा सके, इसके लिए गांव स्तर पर जागरूकता अभियान भी चल रहा है. पिछले कुछ माह में हालात और बेहतर हुए हैं. हर माह की नौ तारीख को जांच कराने आनेवाली महिलाओं की संख्या बढ़ी है.
– डॉ फुलेश्वर झा, स्टेट नोडल ऑफिसर, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान
क्या कहती हैं एक्सपर्ट डॉक्टर
हीमोग्लोबिन एक प्रकार का प्रोटीन होता है, जिसमें आयरन होता है. यह ऑक्सीजन को शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में पहुंचाता है. एक स्वस्थ पुरुष के शरीर में 13 से 16 प्रति डेसिलीटर लीटर हीमोग्लोबिन होना चाहिए, जबकि एक स्वस्थ महिला के शरीर में 12 से 14 डेसिलीटर लीटर हीमोग्लोबिन होना चाहिए.
अगर शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाये तो संबंधित व्यक्ति का हाथ पांव में सूजन, एकाग्रता का अभाव, जल्दी थंकना व सांस फूलने की समस्या होने लगती है. इसको दूर करने के लिए हरी व पतेदार सब्जियां, फल, सलाद, आयरन की गोली, विटामिन बी 12 की गोली या इंजेक्शन डॉक्टरी के सलाह से ले सकते हैं.
डॉ अमृता सिन्हा, स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ, एनएमसीएच

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