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बिहार : सरकार ला रही नया कानून, साधारण उत्पादों को जैविक बता बेचा तो 5 लाख होगा जुर्माना
पटना : जैविक खेती का शोर मचा तो ग्राहकों का भी रुझान इन उत्पादों के प्रति बढ़ा. ऐसे में बाजार में ग्राहकों को ठगने नया चलन आ गया. सामान्य उत्पादों को भी जैविक बताकर अधिक भाव में बेचा जाने लगा. दलहन, मसाला, सब्जी, अनाज आदि की खरीदारी करने वाले रोज हजारों ग्राहकों की जेब पर […]
पटना : जैविक खेती का शोर मचा तो ग्राहकों का भी रुझान इन उत्पादों के प्रति बढ़ा. ऐसे में बाजार में ग्राहकों को ठगने नया चलन आ गया. सामान्य उत्पादों को भी जैविक बताकर अधिक भाव में बेचा जाने लगा. दलहन, मसाला, सब्जी, अनाज आदि की खरीदारी करने वाले रोज हजारों ग्राहकों की जेब पर कैंची चल रही है और जैविक बताकर उन्हें रासायनिक उत्पाद पकड़ाया जा रहा है. इसको लेकर सरकार भी सचेत हो गयी है.
एफएसएसएआई (फूड सैफ्टी एंड स्टैडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के माध्यम से केंद्र सरकार नया एक्ट लाने जा रही है. इस तरह की हरकतेंकरने वाले स्टोर मालिकों और कारोबारियों से पांच लाख रुपये तक जुर्माना वसूलने का प्रावधान करने को लेकर मंथन हो रहा है. सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो जल्दी ही इसको हरी झंडी भी मिल जायेगी.
जैविक उत्पादों की आप भी कर सकते हैं पहचान
जैविक उत्पाद की पहचान दो प्रकार से होती है. उत्पादन के स्तर पर जब जैविक उत्पाद प्राप्त होता है तो उसका रंग, रूप और आकार-प्रकार में भिन्नता पायी जाती है. किसी प्रकार की चमक भी नहीं पायी जाती है. जैविक उत्पादन का आकार छोटा होता है और स्वाद व महक से भी इसको पहचाना जा सकता है. जैविक उत्पादों में बीजों की संख्या ज्यादा पायी जाती है.
कीट-पतंग के कुछ अवशेष भी जैविक उत्पादन में पाये
जाते हैं. जैविक उत्पादों की आयु ज्यादा होती है, फसलों पर मधुमक्खियां ज्यादा आती हैं. बाजार स्तर पर जैविक उत्पाद की पहचान उसके लोगो से की जाती है. भारत में तीन प्रकार के लोगो लगे जैविक उत्पादन मिलते हैं- इंडिया ऑर्गेनिक, पीजीएस इंडिया ऑर्गेनिक और पीजीएस इंडिया ग्रीन.
जैविक है तो सर्टिफाइड होना जरूरी: अगर कोई जैविक खेती कर रहा है और उसका उत्पाद बाजार तक जैविक कहकर पहुंचाया जा रहा है तो सर्टिफिकेशन जरूरी है. इसके लिए पूरी प्रक्रिया है. बिना सर्टिफिकेशन के ऐसा करना पूरी तरह अवैध होगा. बिहार में भी जैविक खेती को सरकार बढ़ावा दे रही है. इसी मकसद से जैविक प्रमाणीकरण (ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन) का काम पिछले साल ही शुरू किया गया. सिक्किम स्टेट एंड ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी के साथ इकरारनामा किया गया है, ताकि जैविक खेती करने वाले किसानों का तुरंत जैविक प्रमाणन का काम किया जा सके.
जैविक प्रमाणीकरण जरूरी है. इसकी कई वजहे हैं. प्रमाणीकरण ग्राहकों के लिए उच्च गुणवत्ता और धोखाधड़ी रोकने की गारंटी देता है. यह उत्पादकों के लिए बाजार सुलभ करता है और उचित मूल्य भी दिलाता है. यूनिफाॅर्म लेवल के सहारे गुणवत्तायुक्त सामान की पहचान सुनिश्चित करता है. सीड ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन नाम से बिहार सरकार ने भी आवेदन कर दिया है. अपने माध्यम से ही अब जैविक प्रमाणीकरण का काम होगा. उम्मीद है छह माह में सारी प्रक्रिया पूरी हो जायेगी.
बेंकटेश नारायण सिंह, निदेशक, बिहार स्टेट सीड एंड ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी
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