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NDA नेता उपेंद्र के साथ खड़ी हुई RJD, भाजपा की दूरी से बिहार में बड़े सियासी हलचल के संकेत

पटना : जब से राजद सुप्रीमो लालू यादव चारा घोटाला मामले में रांची के होटवार जेल गये है, तब से बिहार में लगातार सियासी हलचल तेज है. कभी सत्तापक्ष के प्रवक्ताओं की बयानबाजी की वजह से, तो कभी तेजस्वी यादव के ट्वीट की वजह से. लगातार सियासी हलचल से बिहार की सियासी फिजां गुलजार है. […]

पटना : जब से राजद सुप्रीमो लालू यादव चारा घोटाला मामले में रांची के होटवार जेल गये है, तब से बिहार में लगातार सियासी हलचल तेज है. कभी सत्तापक्ष के प्रवक्ताओं की बयानबाजी की वजह से, तो कभी तेजस्वी यादव के ट्वीट की वजह से. लगातार सियासी हलचल से बिहार की सियासी फिजां गुलजार है. अब इसी क्रम में एनडीए के प्रमुख घटक दल रालोसपा के नेता और केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की शिक्षा को लेकर आयोजित मानव श्रृंखला पर राजनीति तेज हो गयी है. राजधानी पटना में आयोजित इस मानव श्रृंखला में राजद के सभी वरिष्ठ नेता मौजूद रहे. उपेंद्र कुशवाहा के इस आयोजन को राजद नेता रामचंद्र पूर्व, शिवानंद तिवारी और रघुवंश प्रसाद सिंह का साथ मिला है. वहीं दूसरी ओर इस आयोजन में एनडीए को लीड करने वाली पार्टी भाजपा के नेताओं की दूरी भी कुछ अलग सियासी संदेश दे रही है. इतना ही नहीं उपेंद्र कुशवाहा के इस आयोजन को तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर समर्थन भी किया है.

तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा है कि बिहार की बेबस एवं बदहाल शिक्षा व्यवस्था के विरुद्ध केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री श्री उपेंद्र कुशवाहा जी द्वारा आहूत मानव कतार में राजद के प्रदेश अध्यक्ष श्री रामचंद्र पूर्वे, उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी और तनवीर हसन जी सम्मिलित है. हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा ने शिक्षा में सुधार को लेकर आयोजित इस मानव श्रृंखला में शामिल होने के लिए सभी पार्टियों से अपील की थी. इससे पूर्व हाल में बिहार सरकार ने दहेज प्रथा-बाल विवाह उन्मूलन के विरोध में जो मानव श्रृंखला आयोजित की थी, उसमें विपक्ष को छोड़कर सभी एनडीए के घटक दल शामिल हुए थे. अब सियासी हलकों में यह चर्चा तेज है कि आखिर एनडीए नेता द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भाजपा के लोगों क्यों नहीं शामिल हुए ?

उपेंद्र कुशवाहा की इस मानव श्रृंखला में भाजपा के शामिल नहीं होने और राजद के साथ खड़ा होने को लेकर बहुत तरह के सियासी सवाल हवा में तैरने लगे हैं. जदयू के प्रवक्ता अजय आलोक ने मीडिया से कहा कि उनकी पार्टी जहां राजद खड़ा होगी, वहां नहीं खड़ा रह सकते हैं. हालांकि, उन्होंने इतना कहा कि उपेंद्र कुशवाहा की इस कोशिश का उनकी पार्टी को नैतिक समर्थन जरूर है. हालांकि, राजद के साथ खड़े रहने को लेकर यह भी चर्चा शुरू हो गयी है कि एनडीए में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है.

राजनीतिक जानकारों की मानें, तो इससे पूर्व जब बिहार में शिक्षा व्यवस्था को लेकर उपेंद्र कुशवाहा कई बार टिप्पणी कर चुके हैं. इधर, बिहार सरकार द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला के ठीक दस दिन बाद शिक्षा में सुधार को लेकर मानव श्रृंखला का आयोजन कई सवालों को जन्म दे गयी है. उपेंद्र कुशवाहा के इस कदम और राजद से मिले साथ ने रालोसपा की नीयत को लेकर कई कयासों को जन्म दे दिया है. हालांकि, उपेंद्र कुशवाहा स्वयं 21 जनवरी को आयोजित मानव श्रृंखला में शामिल हुए थे. भाजपा और जदयू ने राजद के साथ खड़े होने के बहाने ही सही, उपेंद्र कुशवाहा से दूरी बनानी शुरू कर दी है. राजनीतिक जानकारों की मानें, तो आम चुनाव में महज साल भर की देरी है. जदयू के बिना एनडीए ने बिहार में लोकसभा की 40 सीटों में से 31 सीटें जीती थी. अब जदयू के आ जाने से लोकसभा चुनाव में सीटों की हिस्सेदारी के हिसाब से मुकाबला कड़ा है और सारी कवायद उसी को लेकर चल रही है.

इधर, बिहार के सियासी समीकरण की बात करें तो राजद 2019 के चुनाव में यादव, मुस्लिम और दलित वोटों के साथ-साथ महादलित वोटों को भी अपने पाले में लाने के लिए संघर्ष कर रही है. राजद को उपेंद्र कुशवाहा सियासी लिहाज से तुरुप का पत्ता साबित होंगे. कुशवाहा कोइरी समाज से आते हैं और पूरे बिहार में इस समाज का तीन फीसदी वोट है, और वह लालू के बेहद काम आ सकता है. जानकारों की मानें, तो एनडीए में नीतीश के आ जाने के बाद कुशवाहा अपने आपको असहज महसूस कर रहे हैं, शायद इसलिए मानव कतार के बहाने ही सही कुशवाहा एक नयी सियासी कहानी गढ़ने में लगे हुए हैं.

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