नयी दिल्ली/पटना : सरकारी स्कूलों में छात्र-कमरा अनुपात (एससीआर) तथा शिष्य-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. यह बात आर्थिक समीक्षा में कही गयी है. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश 2017-18 की आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि प्राथमिक एवं माध्यमिक स्तर पर लड़कियों का दाखिला बढ़ने से स्त्री-पुरुष समानता सूचकांक (जीपीआइ) में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है. हालांकि, उच्च शिक्षा के स्तर पर लड़के व लड़कियों के बीच अंतर बना हुआ है.
स्त्री-पुरुष समानता सूचकांक में सुधार का कारण बटी पढ़ाओ और बेटी बचाओ जैसे सरकार के कार्यक्रम हैं. समीक्षा के अनुसार दाखिला स्तर, शिक्षा पूर्ण करने की दर तथा स्कूलों-कक्षाओं का निर्माण, पेयजल सुविधाएं, शौचालय सुविधाएं तथा शिक्षकों की नियुक्ति जैसे मामलों में सुधार हुआ है. एससीआर किसी स्कूल विशेष में सालाना आधार पर प्रति कक्षा शिष्यों की औसत संख्या को बताता है और इसका आदर्श स्तर 30 विद्यार्थी है.
समीक्षा के अनुसार, ‘अखिल भारतीय स्तर पर 30 छात्रों से अधिक एससीआर के साथ स्कूलों का प्रतिशत 2009-10 के 43 प्रतिशत से घटकर 2015-16 में 25.7 प्रतिशत पर आ गया है.’ इसमें कहा गया है कि सभी राज्यों में एससीआर सुधरा है, लेकिन उसमें सुधार का प्रतिशत अलग-अलग है. शिष्य-शिक्षक अनुपात के संदर्भ में देश में 2015-16 में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर पर पीटीआर 23:1 था. इसे क्रमश: 30:1 और 35:1 होना चाहिए.
बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पीटीआर अनुपात 60 से अधिक है. समीक्षा में यह भी कहा कि गया है कि झारखंड और मध्य प्रदेश समेत जिन चार राज्यों के स्कूलों में पीटीआर 30 से अधिक है, वहां यह देखने की जरूरत है कि क्या इसका कारण शिक्षकों की कमी है या फिर शिक्षकों की तैनाती का मामला है. इसमें कहा गया है, ‘शिक्षकों की नियुक्ति, सेवा शर्तें और उनकी तैनाती का मामला संबंधित राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकार क्षेत्र में है.’