सिक्कों को लेकर बैंक प्रबंधकों की परेशानी बढ़ी, नोट एक्सचेंज में मुनाफाखोरी का खेल
पटना : शहर के बैंकों में अचानक सिक्का गिरोह पैदा हो गये हैं. वे सुनियोजित तरीके से बैंकों में सिक्का जमा करा रहे हैं. इसके पीछे मुनाफाखोरी है. दर्जनों लोग अलग-अलग बैंकों में अपने खाते में औसतन दो हजार रुपये के सिक्के जमा करने पहुंच रहे हैं.
दलालों ने अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर प्रमुख बैंकों में खाता खुलवा रखा है. खाता होने के कारण बैंक प्रबंधक सिक्के जमा लेने से मना नहीं कर पा रहे हैं. बैंक प्रबंधकों की मानें, तो जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से बैंक में सिक्के जमा करने वाले लोगों की संख्या अप्रत्याशित तौर पर बढ़ी है, वह चिंताजनक है.
बैंकों में लगातार थोक में सिक्का जमा करने की वजह से बैंकों के सामने उन्हें स्टोर करने का भी संकट खड़ा हो गया है. एेसे में बैंक अब सिक्के लेने में कतराने भी लगे हैं. बैंक अफसरों के मुताबिक नोटबंदी के दौरान जिस तरीके से बड़े लोगों का पैसा जमा कराने कई लोग लाइन लगा कर आ रहे थे, उसी प्रकार बड़े कारोबारियों का पैसा जमा कराने दलालों की एक पूरी फौज खड़ी हो गयी है.
जानकारों के मुताबिक नोट के बदले पैसा बदलनेवालों की संख्या भी अच्छी खासी बढ़ गयी है. वे दुकानदारों से सिक्के जमा कर हर दिन अपने बैंक खाते में जमा कर रहे हैं.
ये दलाल दुकानदारों काे 100 रुपये के सिक्के के बदले 80-90 रुपये दे रहे हैं. दुकानदार अपने दुकान से सिक्के हटाने के चक्कर में ऐसा कर रहे हैं. इस कारण स्टेट बैंक, सेंट्रल बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, काॅरपोरेशन बैंक, केनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा आदि बैंकों में हर दिन बड़ी संख्या में लोग चेन बना कर अपने-अपने खाते में रुपये के साथ एक हजार-दो हजार रुपये के सिक्के लेकर पहुंच रहे हैं.
बैंकों की मजबूरी
ज्ञात हो कि कोई भी खाताधारक से एक दिन एक हजार रुपये के सिक्के स्वीकार करने का निर्देश भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक और निजी बैंक को दे रखे हैं. जबकि भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों में जमा सिक्के नहीं लेता है. इस हालत में जमा किये गये सिक्के का बैंक शाखा क्या करें, उनकी समझ में नहीं आ रहा है.
– आम लोगों की परेशानी बढ़ी : एक रुपये के छोटे सिक्के दुकानदार नहीं स्वीकार कर रहे हैं. इस कारण आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. लगातार यह देखा जा रहा है कि आम आदमी से लेकर ऑटो चालक, ठेला चालक, चाय दुकानदार तथा होटल संचालक कोई भी व्यक्ति एक रुपये के छाेटे सिक्के को लेने से कतरा रहे हैं. इससे आये दिन वाद-विवाद होता देखा जा रहा है.
– रतन लाल, अधिवक्ता
– एक दूसरा भी पहलू: बैंकों द्वारा सिक्के नहीं लेने के संबंध में वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक को पत्र लिख कर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है. नोटबंदी के दौरान बैंकों द्वारा भारी मात्रा में बड़े नोट के बदले सिक्के दिये गये थे. वही सिक्के आम जनता और दुकानदारों के लिए भारी परेशानी का कारण बने हुए हैं. बैंकों द्वारा सिक्के नहीं लिये जाने के कारण बड़ी संख्या में सिक्के जमा हैं.
रमेश चंद्र तलरेजा, महासचिव, बिहार खुदरा विक्रेता महासंघ
