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बिहार : अब राजधानी में मिर्गी रोग का ऑपरेशन से होगा इलाज

राहत भरी खबर : पटना एम्स में ऑपरेशन की लिस्ट में मिर्गी रोग भी हुआ शामिल आनंद तिवारी पटना : दवा से ठीक नहीं हो रही मिर्गी (एपेलेप्सी) का इलाज अब ऑपरेशन से भी संभव हो गया है. एपेलेप्सी सर्जरी की सुविधा अभी देश के कुछ ही अस्पतालों में है. अब इस तरह की सुविधा […]

राहत भरी खबर : पटना एम्स में ऑपरेशन की लिस्ट में मिर्गी रोग भी हुआ शामिल
आनंद तिवारी
पटना : दवा से ठीक नहीं हो रही मिर्गी (एपेलेप्सी) का इलाज अब ऑपरेशन से भी संभव हो गया है. एपेलेप्सी सर्जरी की सुविधा अभी देश के कुछ ही अस्पतालों में है. अब इस तरह की सुविधा पटना एम्स में भी शुरू होगी. इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है. सूत्रों की मानें तो अगले साल यह सुविधा मरीजों को मिलने लगेगी. फिलहाल इस तरह की सुविधा दिल्ली एम्स में दी जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली के अलावा पटना, भोपाल, रायपुर, भुवनेश्वर, ऋषिकेश कुल छह एम्स में सुविधा शुरू करने को कहा है.
क्यों होती है मिर्गी: गार्डिनर रोड के डायरेक्टर डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि मिर्गी की वजह सिर पर चोट लगने, नवजात बच्चों के दिमाग में ऑक्सीजन का प्रवाह कम होने, ब्रेन ट्यूमर, दिमागी बुखार और इंसेफलाइटिस है. ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद, न्यूरो लॉजिकल डिजीज जैसे अल्जाइमर से, ड्रग एडिक्शन और एंटी डिप्रेशन दवा के अधिक सेवन आदि से भी मिर्गी होती है.
– क्या हैं मिर्गी के लक्षण
-बार-बार चक्कर आना,
आंख की पुतलियों में घुमाव होना
-अचानक हाथ, पैर और चेहरे के मांसपेशियों में खिचांव होना
-जीभ काटने की कोशिश करना, अक्सर उलझन में होना, बार-बार नींद टूट जाना
-बेहोश होना या अांशिक मुर्छित होना
न्यूरो फिजीशियन की है इसमें भूमिका
मिर्गी के ऑपरेशन में न्यूरो फिजीशियन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. न्यूरो फिजिशियन लक्षणों व ब्रेन की तरंगों की तीन-चार दिन ईईजी यानी रिकॉर्डिंग जांच से पता लगाते हैं कि ब्रेन के किस हिस्से में विकृति है. उसी हिस्से पर छोटा चीरा लगाकर विकृति को हटा दिया जाता है.
ऑपरेशन के दौरान न्यूरो सर्जन, न्यूरो लॉजिस्ट, न्यूरो फिजिशियन, रेडियोलॉजिस्ट, साइकोलॉजिस्ट सहित एनेस्थेसिया की टीम की जरूरत होती है. इनमें से एक के भी नहीं होने से ऑपरेशन संभव नहीं हो पाता है. एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ उमेश भदानी ने बताया कि एम्स में इमरजेंसी शुरू होने के बाद कई तरह का जटिल ऑपरेशन किया जायेगा. इसमें मिर्गी भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सुविधा शुरू करने को लेकर तैयारी अस्पताल प्रशासन की ओर से की जा रही है.
70 प्रतिशत मिर्गी दवा
एपेलेप्सी के विशेषज्ञ डॉक्टरों की मानें तो 70 प्रतिशत मिर्गी दवाओं से नियंत्रित होती है, लेकिन 30 प्रतिशत मिर्गी पर दो से तीन दवा का भी असर नहीं होता है. ऐसे में एमआरआई जांच कर एपेलेप्सी के कारणों का पता लगाया जाता है. इसके बाद ऑपरेशन का फैसला किया जाता है. हर दिन एम्स में दिमागी बीमारियों के संबंध में करीब 80 से 100 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं. गंभीर स्थिति डॉक्टर ऑपरेशन करने की सलाह देते हैं.
Prabhat Khabar Digital Desk
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