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बिहार : चंपारण शताब्दी समारोह की शुरुआत जयप्रकाश जयंती पर होगी, हर घर में दस्तक देंगे ”बापू”

स्कूलों में गांधी वाचन का होगा पाठ पटना : चंपारण शताब्दी समारोह के दूसरे चरण की शुरुआत 11 अक्तूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर होने जा रहा है. बापू आपके द्वार और स्कूलों में गांधी कथा वाचन के साथ इसकी शुरुआत होगी. पटना के ज्ञान भवन में आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में […]

स्कूलों में गांधी वाचन का होगा पाठ
पटना : चंपारण शताब्दी समारोह के दूसरे चरण की शुरुआत 11 अक्तूबर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर होने जा रहा है. बापू आपके द्वार और स्कूलों में गांधी कथा वाचन के साथ इसकी शुरुआत होगी.
पटना के ज्ञान भवन में आयोजित होने वाले मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो कथाओं का पाठ कर गांधी कथा वाचन की शुरुआत करेंगे, वहीं उसी समय राज्य भर के सभी 78 हजार सरकारी स्कूलों में गांधी कथा वाचन किया जायेगा. इसे स्कूल के शिक्षक, प्राचार्य या जनप्रतिनिधि कथा वाचन कर बच्चों को सुनायेंगे. वहीं, बापू आपके द्वार में 48 हजार साक्षरता कर्मी 1.50 करोड़ घरों में जायेंगे और उन्हें बापू के संदेशों व विचारों से अवगत करायेंगे. सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर परिसर स्थित ज्ञान भवन में आयोजित होने वाले समारोह में राज्य सरकार ने सभी जिलों से 720 स्कूली बच्चों को बुला रही है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षक की भूमिका में रहेंगे और गांधी के विचारों-संदेशों पर तैयार की गयी दो कहानियों का वाचन करेंगे. मुख्यमंत्री ‘मिट्टी से नेता भी बनते हैं’ और ‘च’ से चंपारण’ कहानी का पाठ करेंगे. दोनों कहानियों को सोपान जोशी ने लिखा है. सभी जिलों में बेलट्रॉन के जरिये मुख्यमंत्री के कथा वाचन का लाइव टेलीकास्ट भी किया जायेगा.
इसके लिए शिक्षा विभाग ने दो कहानियां का एक करोड़ फोल्डर छपवा कर जिलों को भेजा है. हर दिन स्कूलों में प्रार्थना व चेतना सभा के बाद इन कहानियों का पाठ किया जायेगा.
क्लास तीन से आठ के लिए ‘बापू की कहानी, उन्हीं की जुबानी’ और क्लास नौ से 12 तक के लिए ‘मोहन से महात्मा’ का कहानी संग्रह तैयार किया गया है.दोनों किताबों में 40-40 कहानियों का संग्रह तैयार किया गया है, जिसे हर स्कूलों में दिया जायेगा.
हर घर में दस्तक देंगे साक्षरता कर्मी
बापू आपके द्वार कार्यक्रम में जन शिक्षा निदेशालय के 48 हजार साक्षरता कर्मी करीब 1.50 करोड़ घरों में दस्तक देंगे. वे शिक्षा विभाग द्वारा छपवाये गये फोल्डर को हर घर में देंगे. इसमें महात्मा गांधी के विचारों और नीतीश कुमार का संदेश है. घर के किसी एक सदस्य से वे इसे पढ़वायेंगे.
इसके लिए जिलावार घरों की संख्या और साक्षरता कर्मी को बांटा गया है. हर साक्षरता कर्मी 20-30 नये घरों में जायेंगे और वहां बापू के संदेश को पहुंचायेंगे. सभी जिलों में साक्षरता कर्मियों की ट्रेनिंग दे दी गयी है और फोल्डर का किट उपलब्ध करा दिया गया है.
‘च’ से चंपारण’ :-
‘च’ से चंपारण’ कहानी में चंपारण में नील की खेती से लेकर गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह को संक्षिप्त में लिखा गया है. कैसे भारत चंपारण से नील का व्यापार दुनिया भर में करता था. अंग्रेज व्यापारी सारी मुनाफा खुद रख लेते थे. बिहार के चंपारण में अंग्रेज व्यापारी जमींदारों से भी ज्यादा ताकत रखते थे और जबरदस्ती किसानों से नील की खेती करवाते थे.
किसानों से कम दाम में फसल खरीद कर उसे ज्यादा मुनाफा में विदेश बेचते थे. किसानों पर अत्याचार करते थे. अप्रैल 1917 में गांधी जी को किसान चंपारण लाये. गांधी जी साल के अंत तक चंपारण में रहे और आंदोलन चलाया, जो देश का पहला सत्याग्रह था. इससे अंग्रेजों ने किसानों पर अत्याचार पर रोक लगायी.
‘मिट्टी से नेता भी बनते हैं’ :-
‘मिट्टी से नेता भी बनते हैं’ कहानी में गांधी जी कैसे पटना आये. यहां से कैसे चंपारण गये और लोग कैसे उनका साथ देने लगे, उसके बारे में बताया गया है.
गांधी जी के चंपारण में सत्याग्रह करने पर उनके साथ राजेंद्र प्रसाद, मौलाना मजहरूल हक समेत ब्रजकिशोर प्रसाद, सच्चिदानंद सिन्हा, हसन इमाम, धरणीधर प्रसाद व शंभू शरण जैसे नामी लोग किसानों की सेवा में लग गये. कैसे लोगों का अलग-अलग भोजन बनता था, जिसे गांधी जी ने एक साथ करवाया. छुआछूत को खत्म किया. आचार्य कृपलानी जो गांधी जी के साथ थे. वे एक मुकदमे में फंसे तो गांधी जी ने वकीलों केस नहीं लड़ने दिया. इससे उन्हें 15 दिनों की जेल हो गयी. गांधी जी ने चंपारण के लोगों के मन से जेल जाने के डर से मिटाने के लिए केस लड़ने से मना किया.

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