18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रेप पीड़िता को 10 लाख रुपये मुआवजा दे बिहार सरकार : सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वह उस गरीब महिला को 10 लाख रुपये का मुआवजा दे, जिसके साथ कथित तौर पर बलात्कार हुआ था और जिसे चिकित्सीय बोर्ड की राय के बाद उसकी 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति नहीं दी गयी थी. न्यायमूर्ति दीपक […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि वह उस गरीब महिला को 10 लाख रुपये का मुआवजा दे, जिसके साथ कथित तौर पर बलात्कार हुआ था और जिसे चिकित्सीय बोर्ड की राय के बाद उसकी 26 सप्ताह के गर्भ को गिराने की अनुमति नहीं दी गयी थी. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा कि उसने कुछ निर्देश जारी किये हैं और पटना उच्च न्यायालय के उस आदेश को दरकिनार कर दिया है, जिसके तहत महिला को गर्भ गिराने की अनुमति इसलिए नहीं दी गयी थी, क्योंकि वह 20 सप्ताह के गर्भ की कानूनी सीमा को पार कर चुकी है. यह सीमा चिकित्सीय गर्भपात कानून, 1971 में दी गयी है.

पीड़िता के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया था कि महिला को बिहार सरकार से मुआवजा मिलना चाहिए क्योंकि वह गर्भ गिरवाने के लिए पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल गयी थी. उस समय उसके गर्भ का 17वां सप्ताह चल रहा था. न्यायालय यहां 35 वर्षीय एचआइवी पॉजिटिव गरीब महिला के मामले की सुनवाई कर रहा था. महिला के साथ पटना की सड़कों पर कथित तौर पर बलात्कार किया गया और अब वह 26 सप्ताह की गर्भवती है. एम्स के चिकित्सीय बोर्ड से शीर्ष न्यायालय ने महिला की जांच करने के लिए कहा था. बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि वह अपनी गर्भावस्था के काफी आगे के चरण में है.

शीर्ष न्यायालय ने पहले कहा था कि वह उच्च न्यायालय के इस आदेश की समीक्षा नहीं करेगा, जिसमें कहा गया था कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, यह याचिकाकर्ता के जीवन के लिए खतरा होगा और बच्चे को जिंदा रखना सरकार की जिम्मेदारी है. महिला ने अपनी याचिका में कहा कि वह गरीब है और उसे अपनी गर्भावस्था के बारे में पहली बार तब पता लगा जब उसे 13वां सप्ताह चल रहा था. उसे यह तब पता लगा जब एक महिला पुनर्वास केंद्र शांति कुटीर ने उसे बचाया और 26 जनवरी को उसका गर्भ परीक्षण कराया गया.

महिला ने कहा कि उसने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट कोशिश में शोध अधिकारी से 4 मार्च को अपना गर्भ गिरवाने की इच्छा जाहिर की थी. इसके बाद ही उसने आश्रय गृह के अधीक्षक को बताया कि गर्भावस्था बलात्कार का नतीजा है. उसने 14 मार्च को अस्पताल में गर्भ गिरवाने की कोशिशें कीं. याचिका में कहा गया कि अस्पताल ने पहचानपत्र न होने पर महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें