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स्कूल की छुट्टी के आधे घंटे तक बच्चे रहते हैं भगवान भरोसे
पटना : पीयूष सेंट कैरेंस हाइस्कूल, एसके पुरी के क्लास थ्री में पढ़ता है. छुट्टी के बाद एसके पुरी चिल्ड्रेन पार्क के पास खड़े होकर 10 से 15 मिनट ऑटो का इंतजार करता है. आयुषी लोयोला हाइस्कूल में पांचवी की छात्रा है. ऑटो स्कूल के बाहर रहने पर ऑटो तक पहुंचने में उसे 10 मिनट […]
पटना : पीयूष सेंट कैरेंस हाइस्कूल, एसके पुरी के क्लास थ्री में पढ़ता है. छुट्टी के बाद एसके पुरी चिल्ड्रेन पार्क के पास खड़े होकर 10 से 15 मिनट ऑटो का इंतजार करता है. आयुषी लोयोला हाइस्कूल में पांचवी की छात्रा है. ऑटो स्कूल के बाहर रहने पर ऑटो तक पहुंचने में उसे 10 मिनट लग जाते हैं.
यह स्थिति कोई एक दिन की नहीं है, बल्कि हर दिन ऐसा ही होता है. लेकिन, इन तमाम बातों से स्कूल और पैरेंट्स दोनों ही अनजान होते हैं.
अगर कभी स्कूल को इस संबंध में जानकारी होती भी है, तो स्कूल यह कह कर पल्ला झाड़ लेता है कि स्कूल की अपनी कोई सवारी नहीं है. बच्चे स्कूल कैसे आयेंगे और फिर वापस कैसे जायेंगे, यह अभिभावक की जिम्मेवारी है न कि स्कूल की. स्कूल नामांकन के समय ही यह स्पष्ट पैरेंट्स को बता भी देता है. वहीं, अभिभावक बच्चे को ऑटो, वैन या सिटी राइड बस में स्कूल भेजते हैं. लेकिन इस बात का ख्याल नहीं रखते कि उनके बच्चे पूरी तरह से सुरक्षित हैं भी या नहीं.
स्कूल में समय पर छुट्टी तो हो जाती है, लेकिन बच्चे ऑटो के इंतजार में आधा घंटा तक खड़े रहते हैं. स्कूल से निकल कर जब तक ऑटो नहीं आ जाता, बच्चे स्कूल के बाहर खड़े रहते हैं.
स्कूल से दूर लगे रहते हैं बस और ऑटो : पटना के अधिकतर स्कूलों में स्टूडेंट्स के आने-जाने की सुविधा नहीं है. ऐसे में निजी गाड़ियाें से स्टूडेंट्स को पहुंचाया जाता है. गाड़ियों को स्कूल में जाने की अनुमति नहीं होती है. अत: गाड़ियां स्कूल के बाहर लगी रहती हैं. कई स्कूलों के सामने जगह नहीं होने के कारण आधा किलोमीटर दूर गाड़ियां पार्क की जाती हैं.
आइकार्ड की नहीं होती चेकिंग :
स्कूल की ओर से आइकार्ड तो दिये जाते हैं. उस आइकार्ड से बच्चे को वापस स्कूल से लेने का परमिशन पैरेंट्स के अलावा ऑटो ड्राइवर को भी दिया जाता है, जिसे पैरेंट्स प्रोवाइड करवाते हैं. पटना के अधिकतर स्कूलों में यही स्थिति है. लेकिन, आइकार्ड की चेकिंग नहीं होती है.
स्कूल का अपना कोई बस या ऑटो नहीं है. नामांकन के समय ही पैरेंट्स काे यह जानकारी दे दी जाती है. हमारे नॉर्म्स में बस की सुविधा देना शामिल नहीं है. ऐसे में हम कुछ नहीं कर सकते.
ब्रदर सतीश, प्रिंसिपल, लोयोला हाइस्कूल
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