पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज शाम राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से राजभवन में भेंट कर अपना इस्तीफा सौंप दिया है. उनके इस्तीफा सौंपने के साथ अटकलों व कयासों का दौरा शुरू हो गया कि नीतीश कुमार का अगला कदम क्या होगा. क्या वे भाजपा के साथ मिल कर सरकार बनायेंगे या फिर भाजपा को समर्थन देकर उसकी सरकार बनवायेंगे या फिर अपने स्वभाव के अनुसार कोई और नया प्रयोग करेंगे. नीतीश कुमार ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद मीडिया के सामने लंबा बयान दिया, लेकिन बड़ी सतर्कता से ऐसा कोई संकेत नहीं दिया, जिसमें उनके अगले कदम का संकेत छिपा हो.
उन्होंने कहा कि आगे क्या होगा, कब होगा, कैसे होगा, यह आगे पर छोड़ दीजिए. बीजेपी के साथ सरकार बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि क्या होगा आगे न देखते रहिए, अभी जो होना था हो गया. उन्होंने कहा कि बिहार के हित में जो होगा वह फैसला लेंगे.
क्या विपक्ष को 2019 के लिए नीतीश कुमार को अपना नेता मान लेना चाहिए?
उन्होंने अपने संबोधन में बिना नाम लिये लालू प्रसाद यादव व बेनामी संपत्ति मामले में सीबीआइ प्राथमिकी का सामना कर रहे उनके बेटे तेजस्वी यादव पर कई सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि क्या जरूरत है कि बेनामी व अत्यधिक संपत्ति जमा की जाये? उन्होंने कहा कि आदमी की जरूरतों की पूर्ति हो सकती है, लेकिन उसके लोभ की पूर्ति नहीं हो सकती है. उन्होंने सरकार में आने के बाद अपने सात निश्चिय व सामाजिक सुधार के कार्यों को उल्लेख किया. उन्होंने यह भी माना कि विचारों व सिद्धांतों का तालमेल नहीं था. नीतीश कुमार ने विपक्षी एकजुटता पर भी बात की और कहा कि उसके लिए स्पष्टता होना चाहिए.
नीतीश कुमार ने उन मुद्दों पर भी बोला, जिसको लेकर उनके सहयोगी दलों के नेताओं ने उन पर सवाल उठाये थे. उन्होंने कहा कि नोटबंदी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कदम का उन्होंने अच्छा फैसला होने के आधार पर समर्थन किया था और उन पर क्या-क्या आरोप लगाये गये. नीतीश कुमार ने कहा कि रामनाथ कोविंद का राष्ट्रपति के उम्मीदवार के रूप में समर्थन इसलिए किया क्योंकि वे बिहार के गर्वनर थे. उन्होंने कहा कि इस फैसले पर भी उन्हें क्या-क्या कहा गया.
नीतीश और कांग्रेस पर इतिहासकार रामचंद्र गुहा के तर्क में है कितना दम?
नीतीश कुमार चौंकाने वाली राजनीति के लिए जाने जाते हैं. एेसे में किसी के लिए यह आकलन करना मुश्किल है कि उनका अगल कदम क्या होगा. हालांकि भाजपा बारंबार यह कहती रही है कि वह नीतीश कुमार को समर्थन दे सकती है. भाजपा संसदीय बोर्ड की आज शाम बैठक आयोजित है, जिसमें बिहार के मुद्दे पर चर्चा की जायेगी और पार्टी अपने किसी स्पष्ट व ठोस स्टैंड को मीडिया के साथ शेयर करेगी.
भाजपा के साथ जाने की कितनी संभावना?
नीतीश कुमार अपनी अलग राजनीतिक पहचान के लिए जाने जाते हैं. ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि वे भाजपा के साथ जायेंगे या नहीं. नीतीश कुमार को अभीतक नरेंद्र मोदी के बरख्श एक नेता के रूप में देखा जाता रहा है. लेकिन, भाजपा के साथ जाने पर उनकी इस पहचान पर एक संकट उत्पन्न हो जायेगा. ऐसे में उनके अगले कदम पर सिर्फ अटकल ही लगायी जा सकती है. यह भी संभव है कि बिहार को राजनीतिक अस्थिरता से बचाने के लिए वे कोई वैकल्पिक सरकार न बनवायें और किसी और के नेतृत्व में सरकार बनवायें या फिर नये सामाजिक-राजनीतिक प्रयोग करें.