पटना: फोर्ड हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने इंटरस्टीशियल एक्टोपिक गर्भावस्था से जूझ रही एक 37 साल की महिला की जान बचा ली. लखीसराय की सूरजकुंड निवासी मीनू कुमारी ( बदला हुआ नाम) दुर्लभ गर्भावस्था की इस स्थिति से गुजर रही थी कि इसी बीच बच्चेदानी का एक अंग फट गया. गंभीर अवस्था में परिजन उसे फोर्ड हॉस्पिटल ले आए, जहां डॉक्टरों ने तत्काल उसका इलाज शुरू कर दिया.
तीन डॉक्टरों की टीम ने किया इलाज
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. जागृति, डॉ. अनीता सिंह एवं डॉ . रवि ( एनेस्थीसिया) की टीम ने अत्यंत जटिल इंटरस्टीशियल एक्टोपिक गर्भाशय को सफलतापूर्वक बाहर निकाला और बच्चेदानी की मरम्मत भी की. ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ है और डॉक्टरों के अनुसार भविष्य में उसे सामान्य रूप से गर्भधारण करने में कोई समस्या नहीं होगी.
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अधिकांश मामलों में निकालना पड़ता है गर्भाशय
स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. जागृति ने बताया कि इंटरस्टीशियल एक्टोपिक गर्भावस्था एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति है, जिसमें गर्भाशय के सामान्य हिस्से की बजाय भ्रूण गर्भनली (फैलोपियन ट्यूब) के उस हिस्से में विकसित होने लगता है, जो गर्भाशय की दीवार में स्थित होता है. विश्व स्तर पर ऐसे मामलों की दर लगभग 0.006% है. अधिकांश मामलों में बच्चेदानी को निकालने की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन इस केस में हमने मरीज की न सिर्फ जन बचाई बल्कि अब वह आगे भी गर्भधारण कर पाएगी. उन्होंने बताया कि समय पर जांच और विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में ऐसे जटिल मामलों का सफल इलाज संभव है.

