अकबरपुर. श्रीमद्भागवत में भगवान के अवतारों की कथा बार-बार सुननी चाहिए. इससे हृदय का विकार दूर हो जाता है. अपने अवतार के माध्यम से श्रीहरी ने मानव जीवन को समझाने का प्रयास किया है. घर में श्रीमद्भागवत की पूजा होनी चाहिए. उक्त बातें अकबरपुर संगत परिसर में शतचंडी महायज्ञ में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में प्रवचन करते हुए साध्वी प्रिया किशोरी ने कहीं. उन्होंने कहा कि जिस घर में सुमति अर्थात पूरा परिवार मिलकर रहता है, उस घर में लक्ष्मी का वास होता है. सुमति संत के संगति व भक्ति भावना व निष्ठापूर्वक कर्म करने से आता है. जिस प्रकार एक बार भोजन कर लेने से, एक बार सांस ले लेने से काम नहीं चल सकता है. उसी प्रकार एक बार कथा सुनने से काम कैसे चल सकता है? उन्होंने कहा कि कथा एक संस्कार है, यह ईश्वर की कृपा है. जिसे बार-बार सुनने के बाद जीवन में ईश्वर की कृपा बरसने लगती है. शांति की प्राप्ति होती है. शालीनता, सादगी, विनम्रता आती है. जैसे वाल्मिकी जी ईश्वर का नाम जपते-जपते गलत मार्गो से हटकर प्रशस्त मार्गों के अधिकारी बन गयै. अंगुलीमाल डाकू गौतम बुद्ध के उपदेशों को सुन कर अहिंसा का पुजारी बन गया. कालिदास जी ने अपनी पत्नी की कृपा से जीवन को धन्य कर लिया. इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को श्रीमद्भगवत कथा सुननी चाहिए. इधर, कथा सुनने के लिए काफी दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है. इसमें सबसे अधिक भीड़ महिला श्रद्धालुओ की उमड़ रही है. कथा के अंत में यज्ञ आयोजक महंत नेपाल बक्स दास, विक्रम बरनवाल, अजीत बरनवाल, सहदेव सोनकर, पप्पू साहब, दुर्गापूजा शोभायात्रा समिति के अध्यक्ष कौशल कुमार पांडे आदि श्रद्धालु शामिल थे.
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