धमौल : दीपों का महापर्व दीपावली को लेकर चारों ओर तैयारियां की जा रही है लेकिन, हाइटेक हो रहे युग में अब इस पर्व की सादगी और परंपरा पहले जैसी नहीं रही़ मिट्टी के दीयों से सजी दीप मालाओं की सुंदरता कहीं गुम हो गयीं हैं. अब इन दीपों की जगह चाइनीज बल्बों ने ले लिया है़ चाइनिज बल्बों ने दीपावली में प्रयोग किये जाने वाले दीयों पर कब्जा जमा लिया है. डाॅ चंद्रशेखर प्रसाद सिन्हा की माने तो बरसात के मौसम में उत्पन्न होने वाले हानिकारक कीट दीपावली पर्व पर ही दीपों की ज्वाला के साथ जलकर नष्ट हो जाते हैं. चाइनिज बल्ब ऐसा नहीं कर पाते हैं. यही कारण कि विषैले कीट और भी अधिक विषैले हो जाते हैं, जो कई प्रकार के रोगों के वाहक हैं.
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चाइनीज बल्ब की रोशनी में गुम हुई पारंपरिक दीये की लौ
धमौल : दीपों का महापर्व दीपावली को लेकर चारों ओर तैयारियां की जा रही है लेकिन, हाइटेक हो रहे युग में अब इस पर्व की सादगी और परंपरा पहले जैसी नहीं रही़ मिट्टी के दीयों से सजी दीप मालाओं की सुंदरता कहीं गुम हो गयीं हैं. अब इन दीपों की जगह चाइनीज बल्बों ने ले […]
दूसरे धंधों से जुड़े कुम्हार: दीये बनाने वाले अर्जुन पंडित, लखन पंडित, सीताराम पंडित व इश्वरी पंडित ने बताया कि दीपावली में चाइनिज बल्बों के इस्तेमाल होने से दीयों की बिक्री काफी कम हो गयी है. इसके साथ ही घरौंदा पूजन में भी लोगों ने मिट्टी की जगह प्लास्टिक के बर्तन और खिलौनों का उपयोग करना शुरू कर दिया है. इसके कारण घरेलू उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है़ इस धंधे से जुड़े कई लोग तो पलायन कर गये हैं. और जो हैं भी वह कमोबेश दूसरे धंधों से जुड़े गये हैं. कुम्हारों की स्थिति काफी दयनीय हो गयी है.
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