31.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

ीरोकें … अधिकारियों की अनदेखी से किसान बदहाल

ीरोकें … अधिकारियों की अनदेखी से किसान बदहाल प्रतिनिधि, पकरीबरावां चाहे सरकार किसानो को देश का रीढ़ मानकर जितनी भी लुभावने घोषणाएं करके किसानों का हालत पर मरहम लगाने का प्रयास करे. परंतु अधिकारियों एवं प्रतिनिधियो के चंगुल में फंसकर आंसु बहाने के सिवा किसानो के पास कुछ और नहीं है. इसका जीताजागता उदाहरण पकरीबरावां […]

ीरोकें … अधिकारियों की अनदेखी से किसान बदहाल प्रतिनिधि, पकरीबरावां चाहे सरकार किसानो को देश का रीढ़ मानकर जितनी भी लुभावने घोषणाएं करके किसानों का हालत पर मरहम लगाने का प्रयास करे. परंतु अधिकारियों एवं प्रतिनिधियो के चंगुल में फंसकर आंसु बहाने के सिवा किसानो के पास कुछ और नहीं है. इसका जीताजागता उदाहरण पकरीबरावां प्रखंड के किसानो के बीच साफ झलकता है. यहां के किसानों ने जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारी की अनदेखी का शिकार बदहाली की जिंदगी जीनें को है मजबूर, कहने को तो किसान देश का रीढ़ होते हैं. लेकिन कई लोगों ने रीढ़ को तोड़ने में लगे हुए है. एक तरफ प्रकृति मार से जूझते है किसान, तो दुसरी तरफ अधिकारी व जन प्रतिनिधियों किसान के भोले भाले स्वरूप के साथ खिलवाड़ करने में बाज नहीं आते. किसान भगवान का रूप कहा जाता है. किसान अन्नदाता है परंतु भगवान का भी चीरहरण करने में अधिकारी से लेकर प्रतिनिधि तक नहीं चुकते है. अनावृष्टि अतिवृष्टि के साथ सरकार प्रयोजित योजना में किसानों का लाभ से ज्यादा अधिकारी, कर्मी और प्रतिनिधि उठा रहे है. सरकार किसान के लिए एक से बढ़कर एक लुभावने योजनों की घोषणा अखबार के पन्नों पर होती है परंतु इस योजना का धरातल पर आते आते सही किसानों का जो लाभ मिलती यह किसी से छुपा हुआ नहीं है.बताया जाता है कि कैसे किसान लाभाकारी योजना में ठगी का शिकार होते है. सरकार किसान के लिए बीज, खाद, कीटनाशक दवा, कृषि यंत्र, पटवन की डीजल तेल आदि अनुदानित दर पर किसानों को मुहैया कराने का अनुकुल नियमों को कैसे किसानों का ठगी का शिकार होते है. कई किसान एवं जानकार लोगों ने बताया है कि किसान के लिए अनुदानित दर पर मिलने वाली उपादान जैसे फीटर इंजन या धानबीज, सरसों, दलहन बीज, गेहुं बीज जिसका कीमत खुले बाजार में 70 रूपये है जबकि उसी उपादान या कृषि यंत्र की कीमत अनुदानित दर पर उन्हें 100 रूपये में मिलती है. चौकिये नहीं खास बात यह है कि उसी दुकान में वहीं दुकानदार, किसान भी वहीं और उपादान बीज भी वहीं परन्तु सरकार अनुदानित दर पर विभाग द्वारा अनुशंसा होने पर 70 का 100 रूपये कीमत हो जाती है आखिर वह 30 रूपया कैसे और कहां जाती है. आप भी सोच सकते है 30 रूपये का हिस्सेदान कौन होते है. एक और खास किसानों ने बताया कि खरीफ फसल का डीजल पटवन का अनुदान राशि अबतक किसानों को नहीं मिल पाया. जबकि रबी फसल की बुआई भी समाप्ति के कगार पर है सरकार चाहे जितनी प्रयास कर ले लेकिन किसानों को ससमय शत प्रतिशत लाभ दिखाने में कामयाब नहीं हो सकते है. जबतक अधिकारियों एवं विभाग की मंषा, बिचौलिया गिरी भ्रष्टाचार का खात्मा नहीं होता है. इसी तरह किसान के नाम पर अधिकारी और प्रतिनिधि का पेट रातो रात मालामाल होते रहेगें. किसान बदहाली का शिकार बनकर हलाल होते रहेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें