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सदर अस्पताल खुद बीमार, कैसे होगा मरीजों का इलाज

नवादा : जिला अस्पताल का दर्जा पानेवाले सदर अस्पताल इन दिनों खुद बीमार है. कुव्यवस्था के अालम में समसामयिक बीमारियों के लिए पर्याप्त संसाधन भी नहीं है. इससे मरीजों को प्राइवेट नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ रहा है. ठंड के मौसम में हृदय रोग के मरीजों की तदात काफी बढ़ जाती है. ऐसे हालातों […]

नवादा : जिला अस्पताल का दर्जा पानेवाले सदर अस्पताल इन दिनों खुद बीमार है. कुव्यवस्था के अालम में समसामयिक बीमारियों के लिए पर्याप्त संसाधन भी नहीं है. इससे मरीजों को प्राइवेट नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ रहा है.

ठंड के मौसम में हृदय रोग के मरीजों की तदात काफी बढ़ जाती है. ऐसे हालातों में स्वास्थ्य विभाग को हृदय रोग के प्राथमिक उपचार के लिए ईसीजी अत्यंत जरूरी हो जाता है. बगैर ईसीजी किये हुए किसी भी हृदय रोग से पीड़ित मरीजों का उपचार सही से नहीं किया जा सकता है.
यह परेशानी उस वक्त बढ़ जा रही है, जब रात को कोई हृदय रोग से ग्रसित मरीज पहुंचते हैं. इन हालातों में वैसे मरीजों को रेफर करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है. हालांकि सदर अस्पताल के डीएस का कहना है कि ईसीजी काम कर रहा है. बता दें कि पिछले ही दिनों विश्व मधुमेह दिवस मनाया गया है. लेकिन, इस बात पर अब तक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने गौर नहीं किया है कि इमरजेंसी में डायबिटीज के मरीजों की जांच कैसे किया जाता है.
इमरजेंसी वार्ड में ग्लूको मीटर भी नहीं है उपलब्ध, डायबिटीज रोगियों का नहीं हो पाता है टेस्ट
इन दिनों ठंड का प्रकोप बढ़ना शुरू हो गया है. ऐसी हालातों में हृदय रोग की संभावनाएं बढ़ जाती है. अधिकांश लोगों को रात में ही हृदय संबंधित परेशानी उत्पन्न होती है. इसके लिए सदर अस्पताल में ईसीजी लगाया गया है. इसके अलावा डायबिटीज मरीजों को इमरजेंसी में जांच के लिए ग्लूको मीटर नहीं रहना परेशानी है.
रात्रि ड्यूटी के दौरान ऐसे परेशानी से चिकित्सकों को भी परेशानी होती है. इसके लिए इमरजेंसी हर सुविधाओं से लैस होना चाहिए. वैसे ईसीजी से ही हृदय रोग का प्राथमिक उपचार होता है. जो भी ईसीजी लगा है उसका सही रिजल्ट नहीं मिल रहा है. लेकिन, स्वास्थ्य विभाग इसके लिए प्रयासरत है.
इमरजेंसी वार्ड में कोई आपातकालीन सुविधाएं उपलब्ध नहीं
सदर अस्पताल का हाल यह है कि यहां रात को इमरजेंसी में कोई डायबिटीज मरीज आ जाये तो उसकी जांच का कोई व्यवस्था नहीं है. अंदाज पर ही इमरजेंसी के चिकित्सक दवा देकर मरीज को रखते हैं.
इन हालातों में मरीज का बीमारी बढ़ भी सकता है या ठीक भी हो सकता है. इंसानों के जीवन से खिलवाड़ करने जैसी हालात हो गयी है. रात में इमरजेंसी आने वाले अधिकांश मरीजों को रेफर ही कर दिया जाता है, जो इस बात का प्रमाण है कि सदर अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड में कोई आपातकालीन सुविधाएं नहीं है.
यहां के अधिकारी भले ही सब कुछ ठीक-ठाक रहने की दलीलें दे रहे हैं. लेकिन, सच्चाई हर दिन किसी ना किसी रूप में सामने आ ही जाता है. वैसे डायबिटीज जांच करने वाला मशीन ग्लूको मीटर इमरजेंसी में नहीं रहने की बात यहां के डीएस भी स्वीकारते हैं. उन्होंने कहा कि संबंधित पदाधिकारी को इसकी व्यवस्था की मांग करने के लिए कहा जायेगा.
डाॅ प्रभाकर सिंह, ईसीजी प्रभारी, सदर अस्पताल
ग्लूको मीटर नहीं रहने से हैं परेशानी
सदर अस्पताल में सभी सुविधाएं उपलब्ध है. ईसीजी की बात करें तो दो दिनों पूर्व तक यह ठीक-ठाक काम कर रहा था. थोड़ी बहुत रिपोर्ट आने में दिक्कतें हो रही थी. उसे ईसीजी के कंपनी को बताया गया है. इसके लिए कंपनी के लोग आनेवाले हैं. जल्द ही ठीक हो जायेगा. साथ ही इमरजेंसी में ग्लूको मीटर का नहीं रहने से परेशानी तो है.
इस मामले में संबंधित प्रभारी चिकित्सक से इसकी उपलब्धता के लिए मांग करने को कहा जायेगा. अभी तक इसके लिए हमारे पास लिखित मांग नहीं किया गया है. यह जरूरी उपक्रण है. इसका इमरजेंसी में होना अतिआवश्यक है. इसके अलावा अन्य सभी सुविधाओं का भी ख्याल रखा जा रहा है.
डाॅ विमल प्रसाद सिंह, उपाधीक्षक, सदर अस्पताल
दवा संघ ने की आइसीयू की मांग
नवादा. जिले में बढ़ती डेंगू के प्रकोप को देखते हुए जिला दवा संघ ने आइसीयू लगाने की मांग की है.
जिला दवा संघ के अध्यक्ष बीके राय ने डीएम को आवेदन देकर सदर अस्पताल और रजौली अनुमंडल अस्पताल में आइसीयू की व्यवस्था कराये जाने का मांग की है. उन्होंने बताया कि गरीब मरीजों को इसके महंगे इलाज में परेशानी हो रही है. डेंगू के मरीजों को आइसीयू में भर्ती कराये जाने अत्यधिक लाभ मिलता है. उन्होंने बताया कि जनहित में यह कार्य करने को लेकर डीएम से आग्रह किया गया है कि जल्द इसकी व्यवस्था किया जाये. ताकि, स्थानीय स्तर पर इसका सही इलाज किया जा सके.

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