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इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है रमजान का महापवित्र महीना

नवादा : रमजान आते ही इंटरनेट से लेकर वाट्सएप पर खजूर, खीर, शरबत और फलों की तस्वीरें फोटो शेयर होने लगती हैं. जैसे मानो ये महीना भूखे रहने का नहीं बल्कि खाने पीने का हो. लेकिन असल में रमजान सिर्फ भूखे रहने का नाम ही नहीं है, बल्कि खुद पर कंट्रोल करना, बुराई को हराना, […]

नवादा : रमजान आते ही इंटरनेट से लेकर वाट्सएप पर खजूर, खीर, शरबत और फलों की तस्वीरें फोटो शेयर होने लगती हैं. जैसे मानो ये महीना भूखे रहने का नहीं बल्कि खाने पीने का हो.

लेकिन असल में रमजान सिर्फ भूखे रहने का नाम ही नहीं है, बल्कि खुद पर कंट्रोल करना, बुराई को हराना, गरीबों के दर्द को महसूस करना, उनकी मदद करना और खुद को एक अच्छा इन्सान बनाने का पूरा प्रोसेस है. न बुरा देखो, न बुरा सुनो और न बुरा बोलो, कुछ ऐसा ही रमजान का महीना होता है.
इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से रमजान नौवां महीना है. रमजान में बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता है कि क्या कर सकते हैं और क्या नहीं. सबसे पहले बात करते हैं कि रमजान में क्या नहीं कर सकते हैं.
रोजे में ये चीजें बिल्कुल न करें : रोजे की सबसे पहली शर्त है भूखा रहना. मतलब सुबह जब पहली अजान होती है, उस वक्त से लेकर शाम में सूरज डूबने तक कुछ भी नहीं खाना है न पीना है. कुछ नहीं मतलब कुछ भी नहीं. सिगरेट, जूस, चाय, पानी कुछ भी नहीं. इस्लाम में शराब हराम है, मतलब शराब पीना गुनाह माना जाता है.
इसलिए रोजे के दौरान शराब के सेवन की एकदम मनाही है. दूसरों की बुराई या झूठ बिल्कुल भी न बोलें. लड़ाई, झगड़ा, गाली देना इन सब चीजों से रोजा टूट जाता है. शारीरिक संबंध बनाना भी मना है. किसी भी औरत या मर्द को गलत नजर से देखना भी मना है. जानबूझ कर उलटी करने से भी रोजा टूट जाता है.
रोजे में इन चीजों का रखें खयाल और सवाब से हो जाएं मालामाल :
रमजान का महीना इबादत का महीना है. मतलब इस महीने में ज्यादा से ज्यादा ऐसा काम किया जाये, जिससे अल्लाह खुश हो. और अल्लाह को खुश करने के लिए सबसे जरूरी है उसके बताये रास्ते पर चलना.
ज्यादा से ज्यादा अल्लाह को याद करें. नमाज और कुरान पढ़ें. क्योंकि इस महीने में जो इबादत की जाती है, आम दिनों के मुकाबले ज्यादा बरकत देती है. एक दूसरे की मदद करें, जकात और फितरा दें. मतलब गरीब को ज्यादा से ज्यादा दान करें.
रोजेदारों को इफ्तार कराएं, मिस्वाक (दातुन) करना, सेहरी (सुबह के वक्त का खाना) का इंतजाम करें, मतलब सुबह सूरज निकलने से पहले कुछ खायें और दूसरों को भी खिलायें. रोजा इस्लाम की पांच अहम बातों में से एक है. जो सभी बालिग पर वाजिब है. वाजिब मतलब करना ही होगा, नहीं करने पर गुनाह के भागीदार होंगे.
बीमार के लिए माफी : अगर कोई बीमार है, जिसमें डॉक्टर ने भूखा रहने से मना किया है. या फिर वह कुछ ऐसी दवा खा रहा है, जिसे छोड़ने से उसकी बीमारी बढ़ जायेगी, तो वह शख्स रोजा छोड़ सकता है.
यात्रा के दौरान छोड़ सकते हैं रोजा : कोई लंबी यात्रा पर है और अगर रोजा रखने में परेशानी आ सकती है, तो रोजा छोड़ा जा सकता है. लेकिन छोड़े हुए रोजे का बदला बाद में रोजा रख कर पूरा करना होगा.
गर्भवती औरतों को छूट : प्रेग्नेंट औरतें या नयी-नयी मां बनने वाली महिलाएं, जो बच्चे को दूध पिलाती हैं, वह भी रोजा नहीं रख सकती हैं. बुजुर्ग और छोटे बच्चों को भी रोजा रखने में छूट दी गयी है.
गलती से कुछ खा लेने से नहीं टूटता है रोजा : कई बार इंसान यह भूल जाता है कि वह रोजा में है और ऐसे में गलती से कुछ खा लेता है, तो इस हालत में रोजा नहीं टूटेगा. लेकिन इसके लिए शर्त है कि अगर खाने के बीच में ही आपको याद आ जाये कि आप रोजा में हैं, तो खाना तुरंत छोड़ देना होगा.
नहाने के दौरान पानी का नाक या मुंह में जाना : कई बार नहाने के वक्त पानी मुंह या नाक में चला जाता है, तो ऐसे मौके पर रोजा टूटता नहीं है, लेकिन जानबूझ कर पानी पी लेने से रोजा टूट जायेगा. अपना थूक निगलने से नहीं टूटता है रोजा. नाखून काटने या बाल दाढ़ी बनाने से भी नहीं टूटता है.
उक्त जानकारी देते हुए इस्लामिक फेडरेशन के अध्यक्ष नेजाम खां कल्लू बताते हैं कि इस्लाम की पांच मुख्य बातें हैं. कलमा (अल्लाह को एक मानना), नमाज, जकात (दान), रोजा और हज (मक्का की यात्रा). उन्होंने बताया कि रमजान के महीने में ही कुरान शरीफ दुनिया में उतरा था, इसलिए भी यह महीना बहुत खास और इबादत का महीना माना जाता है.

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